सोशल मीडिया के आज के दौर में लोगों तक जानकारी पहुंचाना कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसे में हर तरह की जानकारी किसी न किसी माध्यम से लोगों तक पहुंच ही जाती है। आपने भी कहीं न कहीं ऐसी बीमारी के बारे में पढ़ा या सुना होगा, जिसके इलाज के लिए मरीज को करोड़ों रुपए के इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है। दरअसल या बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी है।
दरअसल यह एक आनुवांशिक बीमारियों का एक समूह है जिसमें व्यक्ति को रीढ़ की हड्डी से लेकर मस्तिष्क तक की नसों को नुकसान पहुंचता है। यह रोग मरीजों में अलग-अलग रूपों में देखा जाता है। आपको विस्तार से बताते हैं कि यह स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी क्या है?
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी क्या है?
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी आनुवंशिक रोगों का एक समूह है जो मांसपेशियों के नियंत्रण में समस्या पैदा करता है। इस रोग में मस्तिष्क के तंत्रिका तंत्र की कोशिकाएं तथा रीढ़ की हड्डी की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे रोगी की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति न तो अपने बल पर खड़ा हो सकता है और न ही अपने दिमाग से सिग्नल प्राप्त नहीं कर पता है।
एट्रोफी शब्द एक मेडिकल शब्द है जिसका अर्थ छोटा होता है। स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के साथ, कुछ मांसपेशियां उपयोग की कमी से छोटी और कमजोर हो जाती हैं। यहां हम आपको स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में बताने जा रहे हैं। यह ज्यादातर शिशुओं और बच्चों को प्रभावित करता है, लेकिन वयस्कों में भी विकसित हो सकता है। रोग के प्रकार के आधार पर लक्षण और पूर्वानुमान अलग-अलग होते हैं।
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का इलाज कैसे किया जाता है?
इस बीमारी के इलाज उसके प्रकार और लक्षणों पर निर्भर करता है। एसएमए से पीड़ित बहुत से लोग शारीरिक और व्यावसायिक चिकित्सा और सहायक उपकरणों, जैसे आर्थोपेडिक ब्रेसिज़, बैसाखी, वॉकर और व्हीलचेयर की मदद से चलते हैं। इस बीमरी का इलाज जीन रिप्लेसमेंट (Gene replacement) और डिजीज मॉडिफाइंग थेरेपी (disease-modifying therapies) के साथ इलाज किया जा सकता है।
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लक्षण
अधिकांश रोगियों में इस रोग की उपस्थिति के कारण जन्म के समय से ही स्पष्ट लक्षण प्रकट होने लगते हैं। लेकिन कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं जिनमें जन्म के कुछ समय बाद ही इस बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं। स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के मरीजों में ये लक्षण देखे जाते हैं।
- मांसपेशियों में कमजोरी और मरोड़ महसूस होना
- सांस लेने में कठिनाई
- निगलने में परेशानी
- खड़े होने और चलने में परेशानी
- मांसपेशियों में कमजोरी के कारण रीढ़ और छाती के आकार में परिवर्तन
- मांसपेशियों की टोन का नुकसान
- सिर की गतिविधियों को नियंत्रित करने में समस्या
- यह एक दुर्लभ और गंभीर बीमारी है और इसके लक्षण समय के साथ खराब होते जाते हैं।
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का निदान कैसे किया जाता है?
कुछ एसएमए लक्षण उन लक्षणों से मिलते जुलते हैं जो मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसे न्यूरोमस्कुलर विकारों से उत्पन्न होते हैं। लक्षणों के कारण का पता लगाने के लिए, डॉक्टर शारीरिक परीक्षा करेगा और मरीज के चिकित्सा इतिहास के बारे में पूछेगा। एसएमए के निदान के लिए आपका चिकित्सक इनमें से एक या अधिक परीक्षणों को कराने की सलाह दे सकता है:
ब्लड टेस्ट: एक एंजाइम और प्रोटीन ब्लड टेस्ट क्रिएटिन किनेज के उच्च स्तर की जांच कर सकता है। बिगड़ती हुई मांसपेशियां इस एंजाइम को रक्तप्रवाह में छोड़ती हैं।
आनुवंशिक परीक्षण (Genetic test): यह रक्त परीक्षण SMN1 जीन के साथ समस्याओं की पहचान करता है। डायग्नोस्टिक टूल के रूप में, परिवर्तित SMN1 जीन को खोजने के लिए एक आनुवंशिक टेस्ट 95% प्रभावी होते हैं। कुछ राज्य एसएमए के लिए नियमित नवजात जांच के भाग के रूप में परीक्षण करते हैं।
नर्व कंडक्शन टेस्ट (Nerve conduction test): एक इलेक्ट्रोमायोग्राम (ईएमजी) नसों की मांसपेशियों और तंत्रिकाओं की संकेतो को मापता है।
मसल बायोप्सी (Muscle biopsy): शायद ही कभी, डॉक्टर मरीज की मांसपेशी की बायोप्सी कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में मांसपेशियों के ऊतकों की एक छोटी मात्रा को निकालना और जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है।
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के कारण
ज्यादातर लोगों में यह समस्या आनुवंशिक विकारों और रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क के तने में मोटर न्यूरॉन्स की शिथिलता के कारण होती है। जब जीन परिवर्तन के कारण ये मोटर न्यूरॉन काम करना बंद कर देते हैं, तो मांसपेशियों का नियंत्रण खो जाता है। इन्हें सर्वाइवल मोटर न्यूरॉन 1 (SMN1) और SMN2 के नाम से जाना जाता है। मोटर न्यूरॉन्स तंत्रिका कोशिकाएं हैं जो तंत्रिका आंदोलन को नियंत्रित करती हैं। SMN1 और SMN2 जीन प्रोटीन बनाने के लिए निर्देश देते हैं जो कि मोटर न्यूरॉन्स के कार्य करने के लिए आवश्यक माना जाता है। यह अनुवांशिक समस्याओं के कारण भी हो सकता है। यदि यह दोष माता या पिता में से किसी एक में हो तो इससे उत्पन्न होने वाली संतान को यह रोग हो जाता है।
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के प्रकार क्या हैं?
एसएमए के चार प्राथमिक प्रकार हैं:
टाइप 1 (गंभीर): एसएमए वाले लगभग 60% लोगों में टाइप 1 होता है, जिसे वेर्डनिग-हॉफमैन डिजीज भी कहा जाता है।
टाइप 2 (मध्यवर्ती): टाइप 2 एसएमए (जिसे डबोविट्ज डिजीज भी कहा जाता है) के लक्षण तब दिखाई देते हैं जब बच्चा छह महीने से 18 महीने के बीच का होता है।
टाइप 3 (हल्का): टाइप 3 एसएमए के लक्षण (जिसे कुगेलबर्ट-वेलैंडर या जुवेनाइल-ऑनसेट एसएमए भी कहा जाता है) बच्चे के जीवन के पहले 18 महीनों के बाद दिखाई देते हैं।
टाइप 4 (वयस्को में ज्यादा होती है): एसएमए का दुर्लभ प्रकार वयस्को में 30 की उम्र तक देखने को मिलता है।
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल
यदि आप स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का इलाज कराना चाहते हैं, तो आप हमारे द्वारा इन सूचीबद्ध अस्पतालों में से किसी भी अस्पताल में अपना इलाज करा सकते हैं:
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज के लिए दिल्ली के बेस्ट अस्पताल
- बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, राजिंदर नगर, दिल्ली
- इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, सरिता विहार, दिल्ली
- फोर्टिस हार्ट अस्पताल, ओखला, दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत, दिल्ली
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज के लिए गुरुग्राम के बेस्ट अस्पताल
- नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, गुरुग्राम
- मेदांता द मेडिसिटी, गुरुग्राम
- फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड, गुरुग्राम
- पारस अस्पताल, गुरुग्राम
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज के लिए ग्रेटर नोएडा के बेस्ट अस्पताल
- शारदा अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
- यथार्थ अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
- बकसन अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
- जेआर अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
- प्रकाश अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
- दिव्य अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
- शांति अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज के लिए मेरठ के बेस्ट अस्पताल
- सुभारती अस्पताल, मेरठ
- आनंद अस्पताल, मेरठ
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज के लिए हापुड़ के बेस्ट अस्पताल
- शारदा अस्पताल, हापुड़
- जीएस अस्पताल, हापुड़
- बकसन अस्पताल, हापुड़
- जेआर अस्पताल, हापुड़
- प्रकाश अस्पताल, हापुड़
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज के लिए कोलकाता के सबसे अच्छे अस्पताल
- रवींद्रनाथ टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डिएक साइंस, मुकुंदपुर, कोलकाता
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज के लिए बैंगलोर के सबसे अच्छे अस्पताल
- फोर्टिस अस्पताल, बन्नेरगट्टा रोड, बैंगलोर
- अपोलो अस्पताल, बैंगलोर
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज के लिए मुंबई के सबसे अच्छे अस्पताल
- नानावटी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, विले पार्ले वेस्ट, मुंबई
- लीलावती अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, बांद्रा, मुंबई
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज के लिए हैदराबाद के सबसे अच्छे अस्पताल
- ग्लेनीगल्स ग्लोबल हॉस्पिटल्स, लकडी का पूल, हैदराबाद
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज के लिए चेन्नई के सबसे अच्छे अस्पताल
- अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर, चेन्नई
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज के लिए अहमदाबाद के सबसे अच्छे अस्पताल
- केयर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, सोला, अहमदाबाद
यदि आप इनमें से कोई अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं तो हमसे व्हाट्सएप (+91 9654030724 और +91 9599004811) पर संपर्क कर सकते हैं।
यदि आप स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का इलाज कराना चाहते हैं, या इस बीमारी से सम्बंधित कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें। इसके अलावा आप प्ले स्टोर (play store) से हमारा ऐप डाउनलोड करके डॉक्टर से डायरेक्ट कंसल्ट कर सकता हैं। आप हमसे व्हाट्सएप (+91 9654030724,+919599004811) पर भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमें Connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी।
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