किडनी कैंसर का निदान क्या होते हैं और उनकी लागत

कैंसर जैसी बीमारी किसी भी मनुष्य के लिए अधिक घातक होती हैं तथा जानलेवा भी साबित होती हैं। कैंसर के कई प्रकार होते हैं जिनमें से हम बात करेंगे किडनी कैंसर के बारे में। किडनी शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा होता हैं जो की शरीर की गंदगी और अन्य तरल पदार्थ को निकालने के लिए खून को फ़िल्टर करता हैं। यदि किसी भी मनुष्य को किडनी से सम्बंधित कोई बीमारी होती हैं तो डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

 

 

 

किडनी कैंसर क्या होता हैं ?

 

 

जब स्वस्थ किडनी की सेल्स अनियमित रूप से बढ़ने लगती हैं और अधिक बढ़ने लगती हैं जो की आगे जाकर ट्यूमर बनता हैं और देखते ही देखते वह कैंसर बन जाता हैं। यदि किडनी कैंसर का इलाज सही समय पर न हो तो इससे मरीज की जान को भी खतरा हो सकता हैं, कैंसर के शुरुआत में इलाज होना संभव होता हैं क्योकि तब तक कैंसर शरीर के अन्य अंगो तक नहीं पंहुचा होता हैं।

 

 

 

किडनी कैंसर के प्रकार क्या हैं ?

 

 

किडनी कैंसर के पांच प्रकार होते हैं –

 

 

रीनल सेल कार्सिनोमा: यह प्रकार कैंसर का सबसे आम प्रकार होता हैं जो की रीनल ट्यूबों में विकसित होता हैं।

 

 

ट्रांजिशनल सेल कार्सिनोमा: ट्रांजिशनल सेल कार्सिनोमा नामक कैंसर गुर्दे से शुरू होता हैं जिसे की रीनल पेल्विस कहा जाता है, इस प्रकार के कैंसर का इलाज मूत्राशय के कैंसर की तरह किया जाता है क्योंकि दोनों कैंसर एक ही कोशिका में शुरू होते हैं।

 

 

विल्म्स ट्यूमर: यह कैंसर बच्चों में अधिक देखा जाता हैं जिसे की कीमोथेरेपी के उपयोग से ठीक किया जा सकता हैं।

 

 

सारकोमा: यह कैंसर किडनियों के क्षेत्र के आसपास आ जाता हैं या फिर शरीर के अन्य भागों में भी फ़ैल सकता हैं ।

 

 

लिंफोमा: इस प्रकार का कैंसर दोनों किडनी को बड़ा कर सकता है और अक्सर बढ़े हुए लिम्फ नोड्स से जुड़ा होता है, जिसे शरीर के अन्य हिस्सों में लिम्फैडेनोपैथी के रूप में जाना जाता है। इसमें छाती, गर्दन और पेट की गुहा शामिल हो सकती है।

 

 

 

किडनी कैंसर होने के लक्षण क्या होता हैं ?

 

 

किडनी कैंसर के कई लक्षण नज़र आते हैं जैसे की –

 

 

  • मूत्र में रक्त, मूत्र का रंग गुलाबी, लाल या भूरा हो सकता है
  • उदर क्षेत्र के पार्श्व में एक गांठ का बनना
  • पसलियों के ठीक नीचे, गंभीर पीठ दर्द
  • लगातार पेट में परेशानी रहना
  • अत्यधिक कमजोरी
  • भूख में कमी
  • अनजाने में वजन कम होना
  • पसीना
  • खून की कमी
  • निचले अंगों में सूजन
  • सर्दी या संक्रमण के बिना लगातार बुखार रहना

 

 

 

किडनी कैंसर के कारण क्या होते हैं ?

 

किडनी कैंसर के निम्लिखित कारण होते हैं जैसे की –

 

  • धूम्रपान करने से किडनी कैंसर का खतरा अधिक रहता हैं।

 

  • यदि किसी मनुष्य को अधिक मोटापा हो जाता हैं तो उन्हें भी किडनी कैंसर होने का खतरा बना रहता हैं।

 

  • परिवार में किसी को किडनी कैंसर हो या इतिहास में रहा हो तो इस बीमारी का खतरा हो सकता हैं।

 

  • किडनी कैंसर का खतरा उम्र के साथ बढ़ता जाता है।

 

 

  • हेपेटाइटिस सी संक्रमण से किडनी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

 

  • किडनी विकारों का निदान होने पर डायलिसिस की आवश्यकता होने पर किडनी कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

 

  • उच्च रक्तचाप या उच्च रक्तचाप वाले लोगों में किडनी कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।

 

 

 

किडनी कैंसर के निदान किस प्रकार होते हैं और इनकी लागत कितनी होती हैं ?

 

किडनी कैंसर के निदान अन्य प्रकारों से हो सकता हैं जैसे की-

 

 

यूरिन परिक्षण: यह टेस्ट किडनी के रोग या यूरिन के रास्ते में आने वाले किसी भी संक्रमण की जांच के लिए किया जाता है। यदि किडनी कैंसर का पता लगाना हो तो यह परिक्षण मददगार होता हैं।

 

ब्लड टेस्ट: इस टेस्ट में खून में मौजूद रक्त कोशिकाओं की भी सम्पूर्ण जांच होता है। कैंसर की बीमारी से लेकर शरीर में होने वाले इन्फेक्शन और खून की कमी आदि का पता लगाने के लिए यह टेस्ट किया जाता है।

 

सीटी स्कैन: सीटी स्कैन एक्स-रे का एक रूप है जिसमें एक बड़ी एक्स-रे मशीन शामिल होती है। सीटी स्कैन को कभी-कभी कैट स्कैन भी कहा जाता है इस परिक्षण से ट्यूमर, कैंसर या फिर पेट से सम्बंधित अन्य बीमारियों का पता चल सकता हैं।

 

एमआरआई: शरीर के अंदर की वस्तुओं को देखने के लिए MRI का उपयोग किया जाता हैं। एमआरआई डॉक्टर किसी बीमारी या चोट का पता लगाने के लिए करते हैं।

 

चेस्ट एक्स-रे: इस टेस्ट के दौरान जिस अंग की जांच करनी होती है उस पर एक्स-रे किरणें छोड़ी जाती हैं, जिससे अंग की अंदरूनी तस्वीर दिखाई देती है। चेस्ट एक्स-रे फेफड़ों के रोगों का पता लगाने के लिए किया जाता हैं।

 

किडनी बायोप्सी: कैंसर क पता लगाने के लिए किडनी बायोप्सी की जाती हैं। किडनी बायोप्सी में किडनी का छोटा सा अंश अलग किया जाता हैं जिसे की यह पता चल जाए की कैंसर हैं या नहीं।

 

अल्ट्रासाउंड: अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग जिसे सोनोग्राफी भी कहा जाता है। इस तकनीक का उपयोग शरीर के अंदर के अंग और ऊतकों को देखने के लिए किया जाता है। अल्ट्रासाउंड किसी भी प्रकार की गांठ या ट्यूमर को जांचने के लिए किया जाता हैं।

 

किडनी कैंसर के निदान की लागत –

 

 

निदान (टेस्ट) लागत
यूरिन परिक्षण ₹500 – ₹1000
ब्लड टेस्ट ₹500 – ₹700
सीटी स्कैन ₹2000 – ₹3500
एमआरआई ₹6000 – ₹8000
चेस्ट एक्स-रे ₹1000 – ₹1500
किडनी बायोप्सी ₹10,000 – ₹20,000
अल्ट्रासाउंड ₹500 – ₹700

 

 

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