आज के समय में डायबिटीज की बीमारी पुरे देश में एक महामारी के रूप में बढ़ती जा रही है। वैसे डायबिटीज एक बहुत पुराना रोग है। यह बीमारी शरीर में ब्लड शुगर बढ़ने से होती है. और जब इंसुलिन सही तरीके से काम नहीं करता है। यह बीमारी सामान्य और पुराने होने की वजह से लोगो में रोग के प्रति अनेक मिथ्या धारणाएं बन गई हैं। आइये जानते है इससे जुडी क्या गलत धारणा है और इस रोग के होने का मुख्य कारण क्या है।
डायबिटीज की बीमारी किसी भी आयु में हो सकती है ?
- इस बीमारी को लेकर लोगो के मन में यह गलत धारणा है कि यह सिर्फ 40 साल की उम्र के बाद होता है। छोटे बच्चों और युवाओं में नहीं होता। पर सच्चाई यह है कि आजकल यह रोग किसी को भी हो सकता है, छोटे बच्चो से लेकर वयस्कों को, हर किसी को अपनी चपेट में ले रही है।
- जीवन शैली में बदलाव लाकर टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन यह रोग गंभीर हो जाये तब इन्सुलिन के इन्जेक्शन जरूरी होते हैं।
मोटापा ही अकेला कारण नहीं
- हर किसी को यही लगता है की डायबिटीज की समस्या मोटापे के कारण होती है, जो की गलत है। हर मोटे व्यक्ति, डायबिटीज से ग्रस्त नहीं होते, पर इनके मधुमेह ग्रस्त होने की संभावना जरूर होती है। ऐसा डॉक्टर्स का कहना है की वजन को नियंत्रण में रखकर इस रोग से कुछ हद तक बचा जा सकता है।
- हमारे बुजुर्गो का कहना है की, ‘ज्यादा चीनी, मिठाई खाने से डायबिटीज की बीमारी हो जाती है, जो की डायबिटीज से जुड़ी गलत धारणा है, लेकिन रोग होने पर कड़ाई न किया जाए, तो यह गंभीर रूप ले सकता है।
डायबिटीज से जुड़ी कुछ गलत धारणा
पुराने विचारों के डॉक्टर
- पुराने विचारों के डॉक्टर मधुमेह के मरीजों को चीनी, चावल, आलू न खाने की सलाह देते हैं। आधुनिक शोधों से ज्ञात हुआ है कि इनको नियमित रूप से नियंत्रित मात्रा में भोजन लेना चाहिए, जिसमें कैलोरी की मात्रा जरूरत के मुताबिक हो। इनको वसा-घी, तेल, तले भोजन पदार्थो का सेवन कम से कम करना चाहिए। सरल शर्करा चीनी, गुड़, शहद का सेवन यदाकदा सीमित मात्रा में करें। यदि इनको मिठाई खाने की इच्छा है तो अवश्य खा लें, पर भोजन में उतनी कैलोरीयुक्त अन्य भोज्य पदार्थ का कम सेवन करें।
- मरीज समझते हैं कि पेशाब में ग्लूकोज न आने का अर्थ है, वह रोग मुक्त हो गये हैं। रोग के नियन्त्रण का मापदण्ड रक्त ग्लूकोज स्तर होता है, न कि पेशाब में ग्लूकोज। अत: नियमित रूप से रक्त ग्लूकोज की माप स्वयं ग्लूको मीटर से करें या लैब से करवाए।
पुराने समय में डायबिटीज से जुड़ी कुछ गलत धारणा
- आम धारणा है कि मधुमेह के मरीज चीनी के स्थान पर शहद, गुड़ मनमर्जी मात्रा में सेवन कर सकते हैं। सच यह है कि यह भी सरल शर्करा और फॉस्ट शुगर है, इनका सेवन भी मरीजों के लिए कतई उचित नहीं है।
- पुराने समय में मान्यता थी कि मधुमेह के मरीजों को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए। पर आधुनिक शोधों से सिद्ध हुआ है कि इनको सक्रिय रहना चाहिए और मध्यम तीव्रता के 30-40 मिनट व्यायाम कम से कम सप्ताह में 4 दिन करना आवश्यक है, जिससे वजन नियन्त्रित रहता है, रक्त ग्लूकोज पर बेहतर नियन्त्रण होता है, जटिलताएं देरी से शुरू होकर मंद गति से होती हैं। पर व्यायाम करते समय इनको दवा, इन्सुलिन और भोजन की मात्रा में समुचित तालमेल रखना चाहिए।
- व्यायाम करने से रक्त ग्लूकोज स्तर कम होने के कारण चक्कर, पसीना आना, घबराहट, कमजोरी इत्यादि समस्याएं होने पर व्यायाम रोक कर ग्लूकोज सरल शर्करायुक्त भोज्य पदार्थो का तुरन्त सेवन करना चाहिए।
कुछ मरीज समझते हैं कि मिठाई खाने के बाद यदि कडुए भोज्य पदार्थ सेवन कर लें तो मिठाई खाने के दुष्परिणाम नहीं होंगे, यह धारणा भी भ्रामक है। इन दोनों बातों का मधुमेह के प्रभाव से सीधा कोई सम्बंध नहीं।
यदि मीठा खाने का शौक है तो यह शुगर फ्री, सैक्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। कुछ मरीज इनका इस्तेमाल इनके हानिप्रद होने के कारण नहीं करते। पर शोधों से इनके हानिप्रद प्रभाव का पता नहीं लगा है। मधुमेह ग्रस्त होने पर चिंता व तनावग्रस्त न हों, बस जीवन शैली में अपेक्षित बदलाव लाकर, सक्रिय रह कर नियमित व्यायाम कर, नियमित दवाओं/इन्सुलिन का इस्तेमाल कर यह सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं। रक्त ग्लूकोज स्तर पर कड़ाई से नियन्त्रण करने से जटिलताएं नहीं होती, या देरी से शुरू होकर मंदगति से होती हैं। अभी रोग से स्थायी निजात की आशा न करें। किसी के बहकावे में न आएं।
जीवन शैली में बदलाव लाएं
एक बार रोग ग्रस्त होने पर जीवन शैली, आदतों, भोजन में बदलाव तथा जरूरी होने पर दवाओं का सेवन शेष जीवन पर्यन्त करना पड़ता है, साथ ही नियमित रूप से चिकित्सक से परीक्षण और आवश्यक जांचें करवानी चाहिए, जिससे रोग के नियन्त्रण और इसके कारण होने वाली जटिलताओं का शुरुआती अवस्था भी पता लग सके।
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