एंटीबॉडी टेस्ट (Antibody Test) क्या है? जाने इसे कब कराएं

कोरोना के इस दौर में लोगों ने अलग-अलग टेस्ट के नाम सुने हैं। लेकिन इनमें से एक टेस्ट को लेकर लोग काफी कंफ्यूज है। हम बात कर रहे हैं एंटीबॉडी टेस्ट के बारे में दरअसल इसको लेकर लोगों के मन में कई सवाल है तो आइए जानते हैं एंटीबॉडी टेस्ट (Antibody Test) क्या है और इससे जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब।

 

 

एंटीबॉडी टेस्ट क्या है? (What is Antibody test in Hindi)

 

एंटीबॉडी मानव शरीर का वह तत्व है जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को शरीर में वायरस को बेअसर करने के लिए पैदा करती है। दरअसल हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत ही रोचक है। जब शरीर में कोई संक्रमण होता है तो उसके बाद एंटीबॉडी बनने में कई सप्ताह लगते हैं, यदि इससे पहले एंटीबॉडी का परीक्षण किया जाता है, तो सही जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। एंटीबॉडी दो प्रकार की होती हैं। पहले एंटीबॉडी आईजीएम (इम्युनोग्लोबुलिन एम) और आईजीजी (इम्युनोग्लोबुलिन जी) हैं।

जब भी हम किसी खतरनाक वायरस या बीमारी से संक्रमित होते हैं, तो हमारा शरीर एक सुरक्षात्मक प्रोटीन का उत्पादन करता है, इसे एंटीबॉडी कहा जाता है। ये एंटीबॉडी वायरस के समान होते हैं जो आपके शरीर में प्रवेश करते हैं। यह एंटीबॉडी वायरस की सतह पर मौजूद प्रोटीन के जरिए खुद की पहचान करती है। इसे एंटीजन के रूप में जाना जाता है।

एंटीजन उस वायरस को चिह्नित करता है जो मानव शरीर में प्रवेश करता है और या तो वायरस को निष्क्रिय कर देता या मार देता है। आपको बता दें कि कोविड वायरस पूरी तरह से ठीक होने के बाद ही एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है। इससे पता चलता है कि शरीर ने एंटीबॉडी बनाई है या नहीं।

 

 

एंटीबॉडी कितने प्रकार की होती है? (What are the type of antibody in Hindi)

 

एंटीबॉडी दो प्रकार के होते हैं

आईजीएम एंटीबॉडी: आईजीएम एंटीबॉडी किसी भी संक्रमण के लिए शरीर की प्रारंभिक प्रतिक्रिया होती है और संक्रमण के प्रारंभिक चरण में विकसित होती है। आईजीएम एंटीबॉडी आमतौर पर पहले सप्ताह में सकारात्मक होते हैं और कोविड-19 संक्रमण के मामले कुछ दिन में गायब हो जाते हैं।आईजीएम एंटीबॉडी से संकेत मिलता है कि व्यक्ति आज प्रतिरक्षा चरण में है।

 

आईजीजी एंटीबॉडीज: आईजीजी एंटीबॉडीज किसी भी संक्रमण का देर से पता लगाते हैं। आईजीजी एंटीबॉडी एक लंबे समय तक रहता है।

 

 

डॉक्टर एंटीबॉडी टेस्ट की सलाह क्यों देते हैं?

 

विशेषज्ञों का कहना है कि एंटीबॉडी टेस्ट से पता चल सकता है कि वायरस कितना खतरनाक है। इसके अलावा इस टेस्ट के जरिए यह भी देखा जाता है कि व्यक्ति को जो वैक्सीन लगी है वह असरदार है या उसे दोबारा इसे लगावाने की जरूरत है। वहीं अगर आप इस वायरस से ठीक हो जाते हैं तो एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए भी शरीर में एंटीबॉडी की मात्रा का पता लगाया जा सकता है।

 

 

एंटीबॉडी का पता कैसे लगाया जाता है?

 

कोरोना की जांच के लिए एक और टेस्ट जिसे एंटीबॉडी टेस्ट के नाम से जाना जाता है। एंटीबॉडी टेस्ट खून का सैंपल लेकर किया जाता है इसलिए इसे सीरोलॉजिकल टेस्ट भी कहते हैं। इस समय इस टेस्ट की सलाह डॉक्टर कई मरीजों के देते हैं।

 

 

एंटीबॉडी टेस्ट किसे करवाना चाहिए?

 

कोरोना से ठीक होने के कुछ देर बाद ही शरीर के अंदर एंटीबॉडी का निर्माण होता है। ऐसे में अगर आप जल्दी से टेस्ट करवा रहे हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद नहीं होगा। आमतौर पर कोरोना से ठीक होने के 15 से 16 दिन बाद शरीर इम्युनोग्लोबिन आईजीजी का उत्पादन करता है, जिसका पता टेस्टिंग के दौरान लगाया जा सकता है। इसलिए जल्दी से इसका परीक्षण करना ठीक नहीं होगा। यह आपको नेगेटिव रिपोर्ट दे सकता है।

जबकि इम्युनोग्लोबिन आईजीएम 4 से 5 दिनों के भीतर शरीर के अंदर बनना शुरू हो जाता है। कोविड 19 से संक्रमण से उबरने के कई महीने बाद भी शरीर में इम्युनोग्लोबिन के आईजीजी मौजूद रहते हैं। इसके अलावा टीकाकरण के बाद भी शरीर में कुछ लक्षण देखे जा सकते हैं।


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