एट्रियल फाइब्रिलेशन के कारण, लक्षण और बचने के उपाय

 

 

आलिंद फाइब्रिलेशन इसे एट्रियल फाइब्रिलेशन के नाम से भी जाना जाता है। दिल की धड़कन के सबसे आम प्रकारों में से एक है, जो अनियमित हृदय की धड़कन को दर्षाता हैं। ऐसा होने पर आपके दिल की धड़कन सामान्य से तेज हो जाती है। इसके अलावा, आपके दिल के ऊपरी और निचले कक्ष एक साथ काम नहीं करते हैं, जैसा कि उन्हें करना चाहिए।

 

जब ऐसा होता है, तो निचले कक्ष पूरी तरह से नहीं भरते हैं या आपके फेफड़े पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाते हैं। ऐसा होने पर आप खुद को बहुत थका हुआ महसूस करते हैं, चक्कर आने जैसा महसूस करते हैं या सीने में दर्द होने लगता है। ऐसा होने पर आपके दिल में रक्त भी जमा होता है, जिससे थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है और इसकी वजह से स्ट्रोक या अन्य जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।

 

 

 

एट्रियल फाइब्रिलेशन के प्रकार

 

 

• वाल्वुलर फाइब्रिलेशन (Valvular fibrillation) यह एक हृदय वाल्व की समस्या के कारण होता है, एक हृदय वाल्व समस्या के उदाहरण के लिए आपके वाल्व में छेद हो जाता है, जिसके बाद इसका डॉक्टर इलाज करते हैं।

 

 

• गैर वाल्वुलर (Non valvular) AFib (कभी कभी NVAF भी कहा जाता है) एट्रियल यह उन्हें होता है जिन लोगों को उच्च रक्त चाप और थाइरायड होता है। एक हृदय वाल्व इस समस्या के कारण नहीं है यह समस्या लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है।

 

 

 

एट्रियल फाइब्रिलेशन के कारण

 

 

 

 

  • कोंजेस्टिव दिल की विफलता

 

 

  • कोरोनरी धमनी की बीमारी (coronary artery disease)

 

 

  • दिल का वाल्व रोग

 

 

  • हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (hypertrophic cardiomyopathy), जिसमें हृदय की मांसपेशियां मोटी हो जाती है

 

 

  • दिल की सर्जरी (heart surgery)

 

 

  • जन्मजात हृदय दोष, हृदय दोष आपके साथ पैदा हुआ है

 

 

  • पेरिकार्डिटिस, जो हृदय की थैली की सूजन है

 

 

  • कुछ दवाइयाँ लेने की वजह से

 

 

  • गलग्रंथि की बीमारी (Thyroid disease)

 

 

एट्रियल फाइब्रिलेशन के लक्षण

 

 

  • दिल की धड़कन – अचानक तेज़ होना, कंपकंपी या छाती में सनसनी महसूस होना।

 

 

  • ऊर्जा की कमी या थकान महसूस होना।

 

 

  • चक्कर आना – आँखो के सामने अँधेरा छाना या बेहोश होना।

 

 

  • सीने में बेचैनी – सीने में दर्द, दबाव महसूस होना।

 

 

  • साँस की तकलीफ – सामान्य गतिविधियों के दौरान साँस लेने में कठिनाई होना।

 

 

एट्रियल फिब्रिलेशन और अनियमित दिल की धड़कन

 

 

कभी-कभी तेजी से दिल की धड़कन एट्रियल फाइब्रिलेशन की तुलना में अधिक आम है। वे हृदय के ऊपरी हिस्से में भी होते हैं, लेकिन आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखाते हैं। वे जोखिम का कारण नहीं बनते हैं और जल्द ही ठीक हो जाते हैं। जबकि आलिंद फिब्रिलेशन गंभीर है और  आपको तत्काल डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।

 

 

 

एट्रियल फाइब्रिलेशन के जोखिम कारक

 

 

निम्नलिखित कारक आलिंद फिब्रिलेशन की संभावना को बढ़ा सकते हैं:

 

 

  • बुढ़ापा

 

 

  • मोटापा

 

 

  • उच्च रक्त चाप

 

 

 

 

  • ह्रदय का रुक जाना

 

 

  • हाइपोथाइरॉइडिज़्म (Hyperthyroidism)

 

 

  • इस्केमिक (Ischemic) दिल का रोग

 

 

  • गुर्दे की पुरानी बीमारी

 

 

  • शराब का ज्यादा सेवन।

 

एट्रियल फाइब्रिलेशन के लिए टेस्ट

 

 

एट्रियल फाइब्रिलेशन की जाँच करने के लिए, डॉक्टर स्टेथोस्कोप (Stethoscope) का इस्तेमाल करते हैं। यह एक इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम यानी ईसीजी या ईकेजी (आपके दिल की विद्युत गतिविधि का रिकॉर्ड करता है), होल्टर मॉनिटरिंग (Holter monitoring) 24 से 28 घंटे के लिए आपके हृदय की धड़कन की जाँच की जाती है और हृदय रोग का पता लगाने के लिए कोई अन्य टेस्ट भी कर सकता है।

 

 

 

एट्रियल फाइब्रिलेशन से बचने के उपाय

 

 

  • धूम्रपान से बचें

 

 

  • स्वस्थ आहार का सेवन

 

 

  • शराब के सेवन से बचें

 

 

  • रोजाना व्यायाम करें

 

 

  • शरीर का सामान्य वजन बनाए रखना जरुरी है।

 

यदि आपको दिल से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या ज्यादा होती है तो आपको इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि एक दिल ही है जिसकी वजह से आप जीवित रहते हैं। ऐसे में आप हमारे डॉक्टर से सलाह लें सकते हैं

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