अवसाद कितने प्रकार के होते हैं आप इससे कैसे बचें?

 

 

अवसाद किसी के भी जीवन का हिस्सा बन सकता है। क्या आपको ये मालूम है कि अवसाद के कितने प्रकार होते हैं? अगर नहीं तो आज हम आपको इसी के बारे में बताऐंगे। दरअसल अवसाद सिर्फ उदास होना ही नहीं है। हर कोई समय-समय पर अवसाद महसूस करता है, परेशान होता है, या नाखुश रहता है, लेकिन आपका उदास रहना आपके डंप होने का कारण नहीं है। अवसाद एक मनोदशा का विकार है जो उस व्यक्ति की सोच और व्यवहार को प्रभावित करता है। इसे पहचानने के लिए आपको अवसाद के लक्षण को जानना जरुरी है।

 

 

 

अवसाद के लक्षण

 

 

  • निराशा होना

 

 

  • बहुत अधिक थकान महसूस करना

 

 

  • हमेशा सोच में डूबे रहना

 

 

  • जीवन में रूचि की कमी

 

 

  • स्वभाव का चिड़चिड़ा होना

 

 

 

 

  •  नींद ना आना

 

 

  • भूख ना लगना

 

 

  • ध्यान केंद्रित करने में परेशानी

 

 

  • मन में आत्महत्या का विचार आना।

 

 

 

अवसाद के प्रकार

 

 

 

मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर (Major Depressive Disorder)

 

मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर ये अवसाद लगभग सभी लोगों में देखा जाता है। जब आप लंबे समय तक उदास रहते हैं या आपका अपने काम में मन नहीं लगता है तो इसे इस नाम से जाना जाता है। यदि आपको 2 सप्ताह से अधिक समय तक ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको इस प्रकार का अवसाद हो सकता है।

 

 

 

परसिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर (Persistent depressive disorder)

 

अवसाद को एक विकार के रूप में जाना जाता है, परसिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर को डिस्टीमिया के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें की इस अवसाद के लक्षण कम से कम दो महीने से अधिक समय तक रहता है। ऐसा होने पर लोग बहुत ज्यादा उदास महसूस करते हैं। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये आपके लिए कोई बड़ी समस्या बन सकता है।

 

 

 

मैनिक डिप्रेशन  (बियोपोलर डिसऑर्डर)

 

मैनिक डिप्रेशन जिसे कभी-कभी बियोपोलर डिसऑर्डर के नाम से भी जाना जाता है, यह आपके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है, जो आपकी मनोदशा में अत्यधिक उतार-चढ़ाव और ऊर्जा में कमी, अधिक सोचमें डूबे रहना, व्यवहार में बदलाव और नींद में कमी ये सभी इसी के कारण होता है। यह अवसाद के साथ “उदासीनता भी पैदा करता है। आपका ज्यादा समय तक इससे घिरा रहना आपके मन में आत्महत्या के विचारों का भी एक कारण बन सकता है।

 

 

 

पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression)

 

ऐसा ज्यादातर छोटे बच्चों के साथ होता है वह बहुत ज्यादा रोते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनके मन में यह हार्मोनल बदलाव के कारण होता है। ऐसा उनके ड्रामेटिक हार्मोनल में बदलाव की वजह से होता है। यह अवसाद का प्रकार महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हर सात में से एक महिला होती है। जब महिला गर्भवती होती है तो उसके होने वाले बच्चे में भी इसके लक्षण देखे जा सकते हैं।

 

 

 

सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (Seasonal Affective Disorder)

 

सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) जिसके नाम  समझ में आ रहा है ये मौसम के बदलाव से संबंधित होता है। जिन लोगों को एसएडी होता है। वे प्रत्येक वर्ष लगभग एक ही समय पर इस लक्षण का शिकार होते हैं। कई लोगों को ये समस्या सर्दियों के मौसम में ज्यादा होती है तो कुछ को बारिश के मौसम में ये समस्या होती है।अगर हम एसएडी की बात करें तो  बहुत से लोगों को वसंत या गर्मियों में ये समस्या ज्यादा होती है। इस अवसाद के होने पर निराशा, थकान, और किसी भी काम में रुचि ना होना या चिड़चिड़ापन महसूस होता है।

 

 

 

एटिपिकल डिप्रेशन (Atypical Depression)

 

आपने कभी इस अवसाद के बारे में नहीं सुना होगा। लेकिन आपको बता दें की ज्यादातर लोग इस अवसाद का शिकार होते हैं। इस अवसाद के होने पर वह व्यक्ति अधिक भोजन करता है, बहुत अधिक सोता है लेकिन उसे खुद नहीं लगता है कि वह इस अवसाद का शिकार है। इन लक्षणों के आधार पर, आपको एटिपिकल डिप्रेशन, वर्तमान में इसे एटिपिकल फीचर्स के साथ डिप्रेसिव डिसऑर्डर के रूप में जाना जाता है।

 

 

 

अवसाद से बचने के उपाय

 

 

यदि आप अवसाद के प्रकार से बचना चाहते हैं तो आपको बस कुछ साधारण उपाय करने होंगे :

 

 

  • यदि आप धूम्रपान या शराब का सेवन करते हैं, तो इसका सेवन बंद कर दें, क्योंकि ये आपके अवसाद को कम नहीं करता बल्कि बढ़ाता है।

 

 

  • एक पर्याप्त  मात्रा नींद लें इससे भी आपका अवसाद कम होगा ये सभी अवसाद के प्रकार को खत्म करता है।

 

 

  • अवसाद अपने साथ कई अन्य बीमारी को भी जन्म देता है, इसलिए आपको इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। एक पौष्टिक भोजन से आप अवसाद को कम कर सकते हैं।

 

 

  • रोजाना करें व्यायाम, इससे भी आप अवसाद जैसे विकार को कम कर सकते हैं ओर ऐसा करने से आप मानसिक और शारीरिक रूप से खुद को स्वस्थ रख सकते हैं।

 

 

आज के समय में लोगों पर बढ़ते काम का दबाव ही उन्हें अवसाद की ओर खींच रहा है यदि आप लंबे समय से अवसाद का शिकार हैं तो ऐसे में आप हमारे डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं और अपनी इस समस्या का समाधान पा सकते हैं।


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