बोन मैरो ट्रांसप्लांट क्या खर्च है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट क्या है ?

 

 

बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन एक कठिन मेडिकल प्रोसेस है जिसमें ख़राब या नष्ट हुई स्टेम सेल को स्वस्थ बोन मैरो सेल से बदला जाता है। बोन मैरो हड्डियों के बीच में पाया जाने वाला एक पदार्थ होता है जिसमें स्टेम सेल होते है। बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन की जरुरत तब पड़ती है जब बोन मैरो ठीक तरह से काम करना बंद कर देता है या पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नही कर पाता है। बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन में यह जरुरी है कि रोगी का बोन मैरो डोनर के बोन मैरो से मिलता-जुलता होना चाहिए। इसके साथ ही ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन यानी ‘एच एल ए‘ का मैच होना भी आवश्यक है।

 

एचएलए‘ के समान होने की संभावना अपने सगे भाई-बहन में 25 प्रतिशत जबकि माता-पिता में मात्र एक से तीन प्रतिशत होती है। जब ‘एचएलए’ शत-प्रतिशत मैच कर जाता है तो डॉक्टर इसके ट्रांसप्लांट की तैयारी शुरू कर देते हैं। वही बोन मैरो ट्रांसप्लांट करने से पहले फ़िल्टर की जाती हैं।

 

 

 

बोन मैरो ट्रांसप्लांट के प्रकार

 

 

बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन दो प्रकार का होता है-

 

ऑटोलोगस ट्रांसप्लांट

ऑटोलोगस शब्द का अर्थ है “स्वयं” इसलिए यहां व्यक्ति की अपनी स्टेम कोशिकाओं का उपयोग कुछ इस प्रकार किया जाता है। बोन मैरो के ऑटोलोगस ट्रांसप्लांट में रोगी के शरीर से ही किसी स्वस्थ मूल कोशिकाओं या बोन मैरो लेकर उनका ट्रांसप्लांट किया जाता है। इस तरह के ट्रांसप्लांट का इस्तेमाल ब्लड कैंसर को ठीक करने के लिए किया जाता है।

 

 

एलोजेनिक ट्रांसप्लांट 

एलोजेनिक शब्द का अर्थ है “अन्य” जो स्वयं या दाता के अलावा अन्य है। यहां, स्टेम सेल को दूसरे व्यक्ति से हटा दिया जाता है, बोन मैरो के एलोजेनिक ट्रांसप्लांट में किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर से स्वस्थ मूल कोशिकाओं या बोन मैरो किसी ऐसे व्यक्ति के साथ किया जाता है जिसको बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। एलोजेनिक ट्रांसप्लांट का उपयोग थेलेसिमिया, एप्लास्टिक एनीमिया, हाई रिस्क एएमएल जैसी कई सारी बीमारियों को ठीक करने में किया जाता है।

 

 

 

बोन मैरो ट्रांसप्लांट कैसे होता है ?

 

 

बोन मैरो ट्रांसप्लांट दो तरीके से किया जाता है। पहला, बोन मैरो मरीज के खुद के शरीर से ही लिया जाता है जिसे मेडिकल की भाषा में “ऑटोलोगस” बोन मेरो ट्रांसप्लांट के नाम से जाना जाता है। दूसरा, बोन मैरो किसी दूसरे स्वस्थ व्यक्ति के शरीर से लिया जाता है जिसे मेडिकल की भाषा में “एलोजेनिक” बोन मैरो ट्रांसप्लांट के नाम से जाना जाता है।

 

 

“ऑटोलोगस” बोन मैरो ट्रांसप्लांट

“ऑटोलोगस स्टेम सेल ट्रांसप्लांट करने के लिए मरीज के शरीर में से ही स्वस्थ मूल कोशिकाओं का उपयोग करके नई कोशिकाएं बनाई जाती है। इस प्रकार ट्रांसप्लांट का उपयोग करके ब्लड कैंसर को प्रयाप्त मात्रा में ठीक करने के लिए किया जाता है।

 

 

 

ऑटोलोगस” प्रक्रिया निम्न प्रकार है। 

 

 

  • मरीज को मोजोबिल जैसी आदि दवाईयाँ दी जाती है, जिससे मूल कोशिकाऐं बढ़ जाती है और साथ ही रक्त भी तेज गति से बढ़ने लगता है।

 

  • स्वस्थ मूल कोशिकाओं को इकट्ठा किया जाता है – आम भाषा में रक्त को एकत्रित किया जाता है। मरीज की बांहों की नसों से रक्त का सेम्पल लिया जाता है। और बोन मेरो रीढ़ की हड्डी से लिया जाता है।

 

  • मरीज के शरीर का रक्त एक ऐसी मशीन से होकर निकलता है, जहा से मूल कोशिकाओं को पहले से ही निकाल लिया जाता है। मूल कोशिकाओं का रक्त जमा कर मरीज की नसों में वापस डाल दिया जाता है। जिन मूल कोशिकाओं को निकाला जाता है उन्हें तब तक जमाया जाता है जब तक ट्रांसप्लांट दुबारा न किया जा रहा हो।

 

 

“एलोजेनिक” बोन मैरो ट्रांसप्लांट। 

 

एलोजेनिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट में किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर से मूल कोशिकाओं को लिया जाता है और मरीज के शरीर में नई कोशिकाएं उत्पन करने के लिए निश्चित किया जाता है।

 

 

“एलोजेनिक” प्रक्रिया निम्न प्रकार है।

 

 

  • मूल कोशिकाओं को आमतौर पर रक्त मे से इकट्ठा किया जाता है और कभी-कभी डोनर के बोन मेरो से लिया जाता है। वही मरीज की बांहों की नसों से रक्त का सेम्पल लिया जाता है। और बोन मैरो रीढ़ या कूल्हे की हड्डी से लिया जाता है।

 

  • मरीज को हाई डोज़ “कीमोथेरपी” दी जाती है जो की या तो रेडिशन के साथ दी जाती है या फिर रेडिशन के बिना जिससे शरीर में बची हुए कैंसर कोशिकाओं को मर दिया जाता है और व्यक्ति की रक्षा प्रणाली को कमजोर कर दिया जाता है ताकि यह मूल कोशिकाओं को रिजेक्ट ना कर पाए।

 

  • “कीमोथेरपी” हो जाने के बाद मरीज के शरीर में मूल कोशिकाओं का निषेद किया जाता है। यह डोनेट की गई मूल कोशिकाओं में जाकर नई कोशिकाओं का उत्पादन शुरू कर देती है।

 

  • इस तरह से ट्रांसप्लांट करने के यह बेनिफिट होते है। यह कोशिकाएं मरीज के शरीर में जाने के बाद एक नई प्रणाली का निर्माण करती है।

 

 

 

बोन मैरो ट्रांसप्लांट का खर्चा

 

 

बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक महंगी प्रक्रिया है। इसके इलाज की फीस अलग-अलग होती है। बोन मेरौ ट्रांसप्लांट कराने का खर्च लगभग 1000000 रुपय से 2000000 रुपय तक है। भारत में बहुत से बड़े अस्पताल के डॉक्टर है जो का बोन मेरौ ट्रांसप्लांट करते है। लेकिन सभी अस्पतालों में बोन मेरौ ट्रांसप्लांट का खर्च अलग-अलग होता है।

 

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बोन मैरो ट्रांसप्लांट इलाज के लिए अच्छे अस्पताल।

 

 

 

बोन मैरो ट्रांसप्लांट इलाज के लिए दिल्ली के अच्छे अस्पताल।

 

 

 

 

बोन मैरो ट्रांसप्लांट इलाज के लिए गुरुग्राम के अच्छे अस्पताल।

 

 

 

 

 

बोन मैरो ट्रांसप्लांट इलाज के लिए ग्रेटर नोएडा के अच्छे अस्पताल।

 

 

  • शारदा अस्पताल ,ग्रेटर नोएडा
  • यथार्थ अस्पताल , ग्रेटर नोएडा
  • बकसन अस्पताल ग्रेटर नोएडा
  • जेआर अस्पताल ,ग्रेटर नोएडा
  • प्रकाश अस्पताल ,ग्रेटर नोएडा
  • शांति अस्पताल , ग्रेटर नोएडा
  • दिव्य अस्पताल , ग्रेटर नोएडा

 

 

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