जब कोई व्यक्ति बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर से पीड़ित होता है, तो उसे ऐसा महसूस होता है की जैसे वह किसी रोलरकोस्टर पर बैठा हैं। ऐसे उनके साथ इसलिए भी होता है क्योंकि उनके जीवन में या तो तनाव रहता है या उस व्यक्ति के अपने साथी के साथ संबंध खराब होते हैं तब भी उसके साथ ऐसा होता है। इसकी वजह से आपकी पसंद और नापसंद भी बार-बार बदलती है और उनके व्यवाहर में भी बदलाव आता है।
बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर व्यक्ति के मानसिक विकार से जुड़ा होता है। दरअसल प्रत्येक व्यक्ति में बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर के लक्षण अलग-अलग होत हैं। वे हल्के या गंभीर भी हो सकते हैं। उनके लिए, उनके विचार सामान्य होते हैं, और वे अक्सर अपनी समस्याओं के लिए दूसरों को दोषी मानते हैं। वे मदद पाने की कोशिश कर सकते हैं क्योंकि उन्हें अपने रिश्तों और काम के साथ समस्याएँ हैं।
बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर के लक्षण
बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर के लक्षण एक मानसिक बीमारी है जो आपको अपनी भावनाओं पर किसी भी तरह का कंट्रोल नहीं होता है और यह अन्य लोगों के साथ आपके संबंधों को प्रभावित कर सकती है। आपको बता दें की 100 में से लगभग 1 व्यक्ति में बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर के लक्षण देखने को मिलती हैं।
यह पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से प्रभावित करता है, लेकिन महिलाओं को इसमें ज्यादा समस्या होती है। हर व्यक्ति बीपीडी का अलग अनुभव करता है। यदि आपको बीपीडी है, तो आपको निम्न समस्याएं हो सकती हैं:
- अजीब तरह से व्यवहार करना
- रहन-सहन, सोच, बातचीत स्वभाव का चिड़चिड़ा होना
- हमेशा बड़बड़ाते रहना
- हमेशा नकारात्मक बातें सोचना
- सामाजिक चिंता से पीड़ित और अपने करीबी लोगों से मिलने में असहज महसूस करना
- अनजान लोगों से मिलने पर अप्राकृतिक या संदिग्ध प्रतिक्रिया दिखाना
- दूसरों के बहकावे में जल्दी आना
- दूसरों को हमेशा शक की निगाहों से देखना और उनपर विश्वास ना करने
- सामाजिक या व्यक्तिगत संबंधों में रुचि की कमी और अकेले रहना पसंद करना
- भावनात्मक रूप से कमजोर होना
- अन्य गतिविधियों में रूचि ना लेना
- हमेशा गैरजिम्मेदाराना हरकते करना
- अपने काम को ध्यान से ना करना
- स्वभाव में जिद्दी होना
- दूसरों के प्रति उदासीन होना
बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर से बचने के उपाय
बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर आमतौर पर आपके आनुवंशिक कारणों और बचपन में रहने वाले वातावरण पर निर्भर करता है। ऐसी स्थिति में बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर ऐसी समस्या नहीं है, जिससे कि ऐसा होने से पहले उसे रोका जा सके। इसके बावजूद, कुछ उपायों को अपनाकर, इस समस्या के लक्षणों को नियंत्रण में किया जा सकता है और आप एक बेहतर जीवन जी सकते है।
- नियमित रूप से डॉक्टर से सलाह लेते रहें और बिना उनसे पूछे किसी भी तरह की दवाओं का सेवन न करें, और बार-बार डॉक्टर ना बदलें।
- अपने पूरे दिन का रूटीन बनाए उसके हिसाब से अपने सारे काम करें।
- यदि आपका डॉक्टर आपको चेकअप के लिए बुलाता है तो उसे अनदेखा न करें।
- अपने भोजन पौष्टिक रखें इससे आप स्वस्थ रहेंगे और दूसरों पर निर्भर ना रहें अपना सभी काम खुद करें।
- बहुत सारे फल और सब्जियां खाएं, यह आपको अच्छा महसूस कराएगा।
- व्यायाम या योग रोजाना करें क्योंकि ऐसा करने से आप मानसिक और शारीरिक रूप से बेहतर महसूस करते हैं।
- नकरात्मक लोगों से दूर रहें क्योंकि ऐसे लोग आपको हमेशा बेहतर महसूस नहीं होने देते हैं और दूसरों से आपकी तुलना करते रहते हैं।
- अपने दोस्तों या परिवार और अपने चिकित्सक से चर्चा करें कि आप आंतरिक रूप से कैसा महसूस कर रहे हैं और आपके दिमाग में क्या चल रहा है।
बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर को रोकने के लिए जोखिम कारकों को सबसे पहले जानना चाहिए। बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर न केवल रोगी को प्रभावित करता है, बल्कि उसकी देखभाल करने वाले व्यक्ति पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, ऐसे रोगियों की देखभाल करने वाले लोगों को भी अतिरिक्त सतर्क रहने की आवश्यकता है।
बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर होने पर रिश्ते-नाते, कार्यालय के काम में परेशानी और सामाजिक रूप से अकेले रहने का डर हो सकता है। इसके अलावा वह व्यक्ति अत्यधिक नशा लगता है।
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