ब्रेस्ट कैंसर एक खतरनाक रोग है, जिससे हर साल लाखों लोग मर जाते हैं और ये रोग तेजी से बढ़ रहा है। यह बिमारी रोगी के साथ-साथ उसके पुरे परिवार को भी झेलना पड़ता है। क्या आपको पता है महिलाओं के मृत्यु का सबसे बड़ा कारण ब्रैस्ट कैंसर है। अगर समय रहते इसका इलाज कराया जाए तो इस बिमारी से बचा जा सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 30 से 50 साल की महिलाओं में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। और हैरान की बात तो यह है कि ब्रेस्ट कैंसर का खतरा सिर्फ महिलाओं को ही नहीं बल्कि पुरुषों को भी होता है। इसलिए इससे बचाव के लिए सावधानी बरतनी पड़ेगी, जिनसे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम हो।
ब्रैस्ट कैंसर होने के कारण
- आमतौर पर ब्रेस्ट कैंसर असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि है जो ब्रेस्ट के किसी भी हिस्से में हो सकती है। यह निप्पल में दूध ले जाने वाली नलियों, दूध उत्पन्न करने वाले छोटे कोशों और ग्रंथिहीन टिश्युओं में भी हो सकता है।
- ब्रेस्ट कैंसर आनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है।
- अगर कोई महिला ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कराती और उसके निप्पल से दूध का रिसाव हो रहा है, तो यह भी ब्रेस्ट कैंसर का कारण हो सकता है।
- दूध के अलावा खून या पानी का रिसाव होना भी खतरनाक है। ऐसे में निप्पल के आकार में बदलाव भी हो सकता है और महिला का कोई एक निप्पल अंदर की तरफ भी मुड़ सकता है।
ब्रैस्ट कैंसर के लक्षण
- अगर आपको निप्पल के आकर में परिवर्तन नजर आ रहा है तो , यह ब्रैस्ट कैंसर होने का संकेत हो सकता है ,
- स्तन पर एक साइड सुजा या चक्क्ते होना भी लक्षण हो सकता है ब्रैस्ट कैंसर होने का ,
- स्तन में गाँठ का बनना ,
- निप्पल पर पपड़ी बनना ,
- त्वचा के रंग में बदलाव भी ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है।
ब्रैस्ट कैंसर के प्रकार
इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा
ब्रेस्ट कैंसर का ये रूप मिल्क डक्ट्स में विकसित होता है। इतना ही नहीं महिलाओं में होने वाला ब्रेस्ट कैंसर 75 फीसदी इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा ही होता है। इस प्रकार का कैंसर डक्ट वॉल से होते हुए स्तन के चर्बी वाले हिस्से में फैल जाता है।
इन्फ्लेमेटरी कार्सिनोमा
ये ब्रेस्ट कैंसर बहुत ही कम देखने को मिलता है। यानी 1 फीसदी भी इस प्रकार का कैंसर नहीं होता। दरसअल इन्फ्लेमेटरी कार्सिनोमा का उपचार बहुत मुश्किल होता है। इतना ही नहीं ब्रेस्ट कैंसर का ये रूप शरीर में तेजी से फैलता है। जिससे महिलाओं की मौत का जोखिम भी बना रहता है।
पेजेट्स डिज़ीज़
इन्फ्लेमेटरी कार्सिनोमा की ही तरह पेजेट्स डिजीज भी लगभग 1 फीसदी ही महिलाओं में पाया जाता है। ये निप्पल के आसपास से शुरू होता है और इससे निप्पल के आसपास रक्त जमा हो जाता है जिससे निप्पल और उसके चारों और का हिस्सा काला पड़ने लगता है।
ब्रेस्ट कैंसर का ये प्रकार भी इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा की तरह निप्पल के मिल्क डक्ट्स से शुरू होता है। इस प्रकार का ब्रेस्ट कैंसर आमतौर पर उन महिलाओं को होता है जिन्हें ब्रेस्ट से संबंधित समस्याएं होने लगे। जैसे- निप्पल क्रस्टिंग, ईचिंग होना, स्तनों में दर्द या फिर कोई इंफेक्शन होना।
ब्रेस्ट कैंसर से बचाव
- नियमित तौर पर एक्सरसाइज करने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम रहता है ,
- स्वस्थ आहार का सेवन करे ,
- वजन को ज्यादा बढ़ने न दे।
ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए इन चीजों का करे सेवन
ब्रोकली
ब्रोकली एंटी कैंसर न्यूट्रिशनल वेजिटेबल है। ब्रोकली में सल्फोराफेन और फाइटोकेमिकल्स नामक तत्व होते हैं जो शरीर में ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं।
दालें और बीन्स
महिलाओं के लिए दालों और बीन्स को डाइट में शामिल करना बहुत जरूरी है क्योंकि इनमें फोलिक एसिड अच्छी मात्रा में होते हैं। इसके अलावा, इसमें फाइबर और कई पोषक तत्व होते हैं जो कैंसर से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं। जो महिलाएं नियमित तौर पर दालों और बीन्स का सेवन करती हैं, वो अपने लिए ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम कर लेती हैं।
सेब
अगर आपके घर में सेब छीलकर खाए जाते हैं तो ध्यान रखें उन रंगीन छिलकों के साथ आप एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर और अन्य कैंसर-विरोधी पोषक तत्वों को भी अलग कर देते हैं। सेब के छिलकों में कैंसर सेल को बढ़ने से रोकने की क्षमता होती है।
मशरूम
मशरूम में एल-अर्गोथाइयोनाइन नामक एंटीऑक्सीडेंट होता है जो ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने नहीं देता और शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है। इसलिए घर में अक्सर मशरूम बनाया जाना चाहिए, और घर की महिलाओं को खासतौर पर इन्हें खाना चाहिए।
डेयरी उत्पाद
डाइट में दूध व अन्य डेयरी उत्पाद जरूर शामिल करें। इनमें कैल्शियम, आयरन और इतने अधिक पोषक तत्व होते हैं जो ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क को 19 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं।
लहसुन
एलियूम नामक कैंसर-प्रतिरोधी तत्व का समृद्ध स्रोत लहसुन एवं इसके संबंधी (प्याज, गन्दना, हरा प्याज व चाइव्स) गांठों की वृद्धि को कम करने एवं स्तन कैंसर के साथ ही साथ कोलोरेक्टल एवं प्रॉस्टेट कैंसर जैसे अन्य प्रकार के कैंसर को रोकने में सहायता करते हैं।
ग्रीन टी
यह शक्तिशाली एंटी-ऑक्सिडैंट्स से भरपूर होती है, जो ब्लड प्रेशर को कम करने में हेल्पफुल है। ग्रीन टी के नियमित सेवन से स्तन कैंसर की वृद्धि की गति को कम किया जा सकता है अथवा रोका जा सकता है।
टमाटर
स्तन कैंसर से रक्षा के लिए टमाटर सबसे उत्तम फल है, यह अपने उच्च एंटी-ऑक्सिडैंट गुणों के कारण असाधारण लाभ प्रदान करने में सक्षम है।
ब्रेस्ट कैंसर एक जानलेवा बिमारी है। समय पर इसका इलाज़ कराने से इस बिमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। यह खतरा सिर्फ महिलाओं को ही नहीं बल्कि पुरुषो में भी हो रही है. इसलिए सावधान रहना बहुत आवश्यक है और किसी तरह की समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह लेते रहे और उनसे सम्पर्क करके अपना जांच कराये।
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