दिल्ली एनसीआर में कोलन कैंसर का इलाज कहाँ कराएं, जाने इसके शुरुआती लक्षण

पाचन तंत्र भोजन को पचाने और उसमें से पोषक तत्वों को अवशोषित करने का कार्य करता है। पेट (गैस्टोम), अन्नप्रणाली, छोटी और बड़ी आंत मिलकर पाचन तंत्र का निर्माण करते हैं। पाचन तंत्र की समस्याओं को नजरअंदाज करना हमारे लिए खतरनाक हो सकता है। पाचन संबंधी समस्याएं कई खतरों का संकेत हो सकती हैं। कोलन कैंसर भी पाचन से जुड़ी समस्या है। कोलन कैंसर के शुरुआती लक्षण हैं पेट में दर्द, मल के रंग में बदलाव आदि। अगर आपको ऐसी कोई समस्या दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें इसके लिए आप हमारे डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं, डॉक्टर से संपर्क करने के लिए   यहाँ क्लिक करें। इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ कोलन कैंसर से जुड़ी पूरी जानकारी देने की कोशिश करेंगे।

 

 

दिल्ली एनसीआर में कोलन कैंसर के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल? (Best hospitals in Delhi For colon cancer treatment in Hindi)

 

आपको बता दें कि दिल्ली में कोलन कैंसर के इलाज आसानी से उपलब्ध है इसके लिए आप हमें चुन सकते हैं हम आपको सबसे सस्ती कीमत पर इसका इलाज उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश करेंगे। आप इनमें से किसी भी अस्पताल में इलाज करवा सकते हैं:

 

  • बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, राजिंदर नगर, दिल्ली (Blk Super Speciality Hospital, Rajinder Nagar, Delhi)

 

  • इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, सरिता विहार, दिल्ली (Indraprastha Apollo Hospitals, Sarita Vihar, Delhi)

 

  • फोर्टिस हार्ट अस्पताल, ओखला, दिल्ली (Fortis Heart Hospital, Okhla, Delhi)

 

  • मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत, दिल्ली (Max Super Speciality Hospital, Saket, Delhi)

 

यदि आप इस अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं तो हमसे व्हाट्सएप (+91 9654030724) पर संपर्क कर सकते हैं।

 

 

कोलन कैंसर के इलाज के लिए गुरुग्राम के सबसे अच्छे हॉस्पिटल? (Best hospitals in Gurugram For colon cancer treatment in Hindi)

 

  • नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, गुरुग्राम (Narayana Superspeciality Hospital, Gurugram)

 

  • मेदांता द मेडिसिटी, गुरुग्राम (Medanta The Medicity, Gurugram)

 

  • फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड, गुरुग्राम (Fortis Healthcare Ltd., Gurugram)

 

  • पारस अस्पताल, गुरुग्राम (Paras Hospitals, Gurugram)

 

यदि आप इस अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं तो हमसे व्हाट्सएप (+91 9654030724) पर संपर्क कर सकते हैं।

 

 

कोलन कैंसर के लक्षण (Symptoms of colon cancer in Hindi)

 

 

कोलन कैंसर दो तरह के होते हैं। राइड साइडर कोलन कैंसर और लेफ्ट साइडर कोलन कैंसर दोनों तरह के कोलन कैंसर के लक्षण अलग-अलग होते हैं।

 

लेफ्ट साइडर कोलन कैंसर के लक्षण

 

  • खाने में परेशानी

 

  • पेट फूलना

 

  • भूख ना लगना

 

  • मल निकलना बंद होना

 

राइट साइडर कोलन कैंसर के लक्षण

 

  • कमजोरी महसूस होना

 

  • ब्लीडिंग के साथ मल त्यागना

 

  • शरीर में खून की कमी

 

  • काला या महरुन मल होना

 

 

डॉक्टर कोलन कैंसर का इलाज कैसे करते हैं? (How do doctors treat colon cancer in Hindi)

 

 

डॉक्टर कोलन कैंसर के मरीजों का इलाज 4 तरह से कर सकते हैं। इसमें कीमोथैरेपी सबसे एडवांस है और डॉक्टर इसका इस्तेमाल ज्यादा करते हैं। इसके अलावा कैंसर के मरीजों का इलाज सर्जरी और रेडियोथेरेपी से किया जा सकता है। इसके अलावा डॉक्टर माइक्रोस्कोप का भी इस्तेमाल करते हैं जो जेनेटिक स्कैन करके इस कैंसर का पता लगाने में मदद करता है। इससे मरीजों का समय पर इलाज किया जा सकता है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डॉक्टर मरीज की स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार ही इलाज का निर्णय लेते हैं।

 

 

कोलन कैंसर कैसे विकसित होता है? (How Colon Cancer Develops in Hindi)

 

शरीर को स्वस्थ रखने और ठीक से काम करने के लिए शरीर की सभी कोशिकाएं सामान्य रूप से बढ़ती हैं, और विभाजित होती हैं और फिर अपने आप कुछ समय बाद मर (खत्म हो) जाती हैं। कभी-कभी यह प्रक्रिया नियंत्रण से बाहर हो जाती है। कोशिकाएं तब भी बढ़ती और विभाजित होती रहती हैं, जब वे मरने वाली होती हैं। जब कोलन और मलाशय को अस्तर करने वाली कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, तो अंततः कोलन कैंसर विकसित हो सकता है।

अधिकांश कोलन कैंसर छोटे प्रीकैंसरस (एडेनोमेटस या दाँतेदार) पॉलीप्स के रूप में शुरू होते हैं। ये पॉलीप्स आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ते हैं और तब तक लक्षण पैदा नहीं करते जब तक कि वे बड़े या कैंसरयुक्त नहीं हो जाते। यह कैंसर के विकास से पहले इस पूर्व-कैंसर पॉलीप चरण में पता लग सकता है। ऐसा तभी हो सकता है जब आप इसे नज़रअंदाज़ ना करें।

 

 

कोलन कैंसर का निदान (Colon Cancer diagnosis in Hindi)

 

 

डॉक्टर कोलन कैंसर का निदान करने के लिए डॉक्टर ये टेस्ट करवाने का सुझाव देते हैं, जिसमे शामिल हैं:

 

  • कोलोनोस्कोपी:  कोलन कैंसर की आशंका होने पर डॉक्टर मरीज को कोलोनोस्कोपी कराने की सलाह देते हैं। इस टेस्ट के दौरान, रोगी की बड़ी आंत में गुदा के माध्यम से एक लंबी और लचीली ट्यूब डाली जाती है। इस ट्यूब को मेडिकल भाषा में कोलोनोस्कोप कहते हैं। इस ट्यूब का एक हिस्सा गुदा से जुड़ा होता है और दूसरे हिस्से में एक छोटा कैमरा होता है, जिसकी मदद से गुदा के अंदर का हिस्सा दिखाई देता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोलन कैंसर आकार और शरीर के प्रकार को कैसे प्रभावित करता है।

 

  • पेट सीटी (पीईटी-सीटी): कोलन कैंसर का पता सीटी स्कैन के जरिए भी लगाया जा सकता है। इसमें पेट (पीईटी) (पीईटी-पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी) को रोगी के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है, रेडियोधर्मी सामग्री की इमेजिंग की जाती है। इस टेस्ट के जरिए मरीज के अंग में बढ़ रहे कैंसर का पता लगाया जाता है।

 

  • ब्लड स्टूल टेस्ट : यह टेस्ट मल के नमूने में रक्त की जाँच करता है। कई स्थितियां मल में रक्त का कारण बन सकती हैं, और सकारात्मक परिणाम का मतलब यह नहीं है कि कैंसर मौजूद है।

 

 

कोलोरेक्टल कैंसर की जांच कब शुरू होनी चाहिए? (When should colon cancer screening begin in Hindi)

 

कोलन कैंसर ज्यादातर 45 वर्ष की अधिक आयु वाले लोगों में देखने को मिलता था लेकिन अब यह नवजवानों में भी देखने को मिलता है। विशेषज्ञ औसत जोखिम वाले व्यक्तियों में नियमित रूप से जांच कराने की सलाह देते हैं, यदि आपको ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण महसूस होते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। यदि पहले परिवार में किसी को कोलन कैंसर हुआ है तो आने वाली पीढ़ी में भी इसके होने की संभावना होती है। पुरुषों और महिलाओं  दोनों को प्रभावित करता है। अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से पूछें कि आपके व्यक्तिगत जोखिम कारकों के आधार पर आपकी स्क्रीनिंग शुरू करने के लिए कौन सी उम्र सबसे अच्छी है।

 

यदि आप कोलन कैंसर की बीमारी है और आप इससे संबंधित कोई भी सवाल पूछन चाहते हैं तो  यहाँ क्लिक करें या आप हमसे व्हाट्सएप (+91 9654030724) पर संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमें Connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी।

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