डेंगू बुखार ऐसी बीमारी हैं जो एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है। यह बीमारी डेंगू वायरस के कारण होती है। इसके लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 3 से 14 दिन बाद दिखाई देने लगते हैं। इसके लक्षणों में – तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और त्वचा पर लाल चकत्ते आदि शामिल हैं।
कैसे और कब होता है डेंगू बुखार
डेंगू के मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। डेंगू बुखार मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। डेंगू के मच्छर दिन के समय में ही काटते हैं। डेंगू बुखार ज्यादातर बारिश के मौसम में होता है और उसके बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर में भी यह बीमारी सबसे ज्यादा फैलती है, क्योंकि इस मौसम बारिश की वजह से मच्छर पनपते हैं। और जो डेंगू के मच्छर होते है, वो बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाते है।
डेंगू बुखार कैसे फैलता है
जो डेंगू से पीड़ित मरीज होते है उनके खून में डेंगू वायरस बहुत ही अधिक मात्रा में होता है। जब एडीज मच्छर डेंगू के किसी मरीज को काटता है तो डेंगू वायरस खून के साथ मच्छर के शरीर में चला जाता है और जब वो मच्छर किसी इंसान को काटता है, तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में भी पहुंच जाता है, जिस कारण वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है। और इस तरह डेंगू बुखार फैलता है।
डेंगू बुखार कितने तरह का होता है
यह तीन तरह का होता है –
1. क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार
2. डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF)
3. डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)
इन तीनों में से सबसे ज्यादा DHF और DSS खतरनाक होता है। जब किसी व्यक्ति को साधारण डेंगू बुखार होता है, तो वह अपने आप ठीक भी हो जाता है, लेकिन अगर किसी को DHF या DSS है, तो यह जानलेवा भी हो सकता है। इसलिए यह पहचानना सबसे जरूरी है कि किस तरह का डेंगू बुखार है, ताकि सही समय पर डॉक्टर से मिलकर सही इलाज कराया जा सके।
डेंगू बुखार के लक्षण
साधारण डेंगू बुखार
- बहुत अधिक ठंड लगना
- अचानक तेज बुखार आना
- सिरदर्द होना
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
- आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना
- कमजोरी लगना
- भूख न लगना
- जी मिचलाना
- गले में दर्द होना
- रैशेज होना
डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF)
- नाक और मसूढ़ों से खून आना
- शौच या उलटी में खून आना
- नीले-काले रंग के चक्क्ते होना
डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)
इस बुखार में DHF के लक्षणों के साथ-साथ ‘शॉक’ की अवस्था के भी कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे की –
- बहुत बेचैनी होना
- तेज बुखार होना
- डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज धीरे-धीरे अपना होश खोने लगता है
डेंगू बुखार होने से कई बार मल्टी ऑर्गन फेल्योर भी हो जाता है। जिस वजह से इसमें मौजूद सेल्स के अंदर जो फ्लूइड होता है, वह बाहर निकल जाता है। और साथ ही पेट के अंदर पानी भी जमा हो जाता है, जिस वजह से लंग्स और लिवर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए इसे नजरअंदाज न करे और बताये गए लक्षणों को ध्यान में रखे और कोई भी समस्या होने पर तुरंत ही डॉक्टर से सलाह ले।
बच्चों में डेंगू बुखार होने का खतरा ज्यादा होता है
- आमतौर पर बच्चों का इम्युन सिस्टम कमजोर होता है। इसलिए पैरंट्स को अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए कि बच्चे घर से बाहर जाने पर पूरे कपड़े पहनकर जाएं और वह जहां खेलते हों, वहां आसपास गंदा पानी न जमा हो।
- यदि बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो, बहुत ज्यादा सो रहा हो, उसे तेज बुखार हो, शरीर पर रैशेज हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो तुरंत ही डॉक्टर को दिखाएं।
- बच्चों को डेंगू हो तो उन्हें अस्पताल में रखकर ही इलाज कराना चाहिए क्योंकि बच्चों में प्लेटलेट्स जल्दी गिरते हैं और उनमें डीहाइड्रेशन (पानी की कमी) भी जल्दी होता है।
डेंगू बुखार के परीक्षण
- अगर किसी भी व्यक्ति को तेज बुखार हो, जोड़ो में तेज दर्द हो रहा हो या फिर शरीर पर कहीं भी रैशेज नजर आ रहे हों, तो पहले दिन ही डेंगू का टेस्ट करा लेना चाहिए।
- 1-2 दिन लगातार अगर तेज बुखार हो रहा हो, तो भी फिजिशियन से जरूर सम्पर्क करे, और उनसे जांच कराएं।
- डेंगू की जांच के लिए शुरुआत में एंटीजन ब्लड टेस्ट (एनएस 1) किया जाता है। इस टेस्ट में डेंगू शुरू में ज्यादा पॉजिटिव आता है, जबकि बाद में धीरे-धीरे पॉजिविटी कम होने लगती है। अगर तीन-चार दिन के बाद टेस्ट कराते हैं तो एंटीबॉडी टेस्ट (डेंगू सिरॉलजी) कराना बेहतर है।
- वाइट ब्लड सेल्स का टोटल काउंट और अलग-अलग काउंट भी करा लेना चाहिए। इस टेस्ट में प्लेटलेट्स की संख्या पता चल जाती है।
डेंगू बुखार से बचाव के तरीके
- इस बीमारी से बचने के लिए मच्छरों के काटने से बचे और इन मच्छरों के फैलने पर नियंत्रण रखा जाए।
- डेंगू के मच्छर कूलर व पानी की टंकी आदि में अधिक पनपता है। जिन जगहों पर पानी के जमा होने की उम्मीद हैं वहां कीटनाशकों का उपयोग करें।
- रात को सोते वक़्त मच्छरदानी लगाकर सोएं और पूरे कपड़े पहनकर रहें।
- मच्छरों से बचने के लिए क्रीम लगाकर रखें।
- घर के आसपास साफ-सफाई रखें क्योंकि गंदगी में डेंगू के मच्छरों के पनपने की आशंका बढ़ जाती है।
- कचरे के डिब्बे को हमेशा ढककर रखें।
- डेंगू बुखार से बचने के लिए इसके लक्षणों को पहचान कर सही समय पर डॉक्टर की सलाह लें।
- अगर इसका इलाज सही समय पर नहीं किया गया, तो डेंगू हेमोरेजिक फीवर का रूप ले लेता है।
- अपने खाने में हल्दी का अधिक इस्तेमाल करें। सुबह आधा चम्मच हल्दी पानी के साथ या रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध के साथ लें।
- अधिक मात्रा में विटामिन-सी से भरपूर चीजों का सेवन करें जैसे की – एक दिन में दो आंवले, संतरे या मौसमी ले सकते हैं। यह हमारे इम्यून सिस्टम को सही रखता है।
डेंगू बुखार होने पर बरतें ये सावधानी
- अधिक ठंडा पानी न पीएं
- मैदा से बने चीजों का सेवन न करे
- बासी खाना न खाएं
- खाने में हल्दी, अजवाइन, अदरक, हींग का अधिक इस्तेमाल करें
- इस मौसम में पत्ते वाली सब्जियां, अरबी, फूलगोभी न खाएं
- पर्याप्त मात्रा में नींद लें
- खूब पानी पीएं और हो सके तो पानी को उबालकर पीएं
- मिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं
- खाना कम खाये
- छाछ, नारियल पानी, नींबू पानी आदि खूब पिएं
डेंगू बुखार होने पर किसी अच्छे फिजिशियन के पास जाना चाहिए। और अगर बच्चों में डेंगू के लक्षण नजर आएं तो उसे तुरंत ही डॉक्टर (पीडिअट्रिशन) से सम्पर्क करके उनके पास ले जाएं।
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