क्या है गर्भकालीन मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज): जाने इसके कारण, लक्षण, निदान और इलाज

 

जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भकालीन डायबिटीज) गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को होने वाली एक समस्या है। यह समस्या अस्थायी (temporary ) होती है और गर्भावस्था के दूसरे तिमाही में होती है। समय पर इस समस्या का निदान कराकर इसे ठीक किया जा सकता है। इस लेख में आप जानेंगी गर्भावस्था में शुगर (गर्भावधि डायबिटीज, जेस्‍टेशनल डायबिटीज) के लक्षण, कारण, इलाज और बचाव। जेस्‍टेशनल डायबिटीज, गर्भ में डायबिटीज क्या होती है, गर्भवती महिलाएं इससे कैसे बच सकती हैं, इसके कारण क्या होते हैं के बारे में।

 

जेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर आमतौर पर प्रेगनेंट महिला को स्वस्थ भोजन, एक्सरसाइज और मेडिटेशन करने की सलाह देते हैं ताकि रक्त शर्करा (blood sugar level) के स्तर को कम किया जा सके।

 

 

गर्भकालीन मधुमेह क्या है ?

 

 

जेस्टेशनल डायबिटीज या गर्भकालीन मधुमेह सामान्य डायबिटीज की तरह ही एक आम समस्या है लेकिन यह महिलाओं को प्रेगनेंसी (gestation) के दौरान होती है। प्रेगनेंट महिला के शरीर में ब्लड ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाने के कारण उसे यह समस्या होती है जिसके कारण उसकी प्रेगनेंसी प्रभावित होती है और उसके बच्चे के सेहत पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। हालांकि बच्चे को जन्म देने के बाद ब्लड शुगर लेवल आमतौर पर सामान्य हो जाता है। लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान यदि महिला जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित हो तो उसे टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना भी बहुत ज्यादा होती है।

 

 

गर्भकालीन मधुमेह के कारण

 

 

  • जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या महिलाओं में प्रेनगेंसी के दौरान हार्मोन में परिवर्तन (Changes in hormones) के कारण होती है। जब कोई महिला गर्भवती होती है तो उस दौरान महिला के शरीर में कॉर्टिसोल, एस्ट्रोजन एवं लैक्टोजन जैसे कुछ विशेष हार्मोन्स का स्तर बढ़ जाता है जिसके कारण महिलाओं के शरीर में रक्त शर्करा का प्रबंधन गड़बड़ हो जाता है। इस स्थिति को इंसुलिन रेजिस्टेंस कहते हैं।

 

  • इस दौरान यदि इंसुलिन उत्पन्न करने वाला अंग अग्न्याशय (pancreas) पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं उत्पन्न करता है तो इन हार्मोन्स का स्तर वैसे ही बना रहता है और रक्त शर्करा का स्तर (blood sugar levels) अधिक बढ़ जाता है जिसके कारण गर्भवती महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज हो जाती है। आपको बता दें कि इंसुलिन एक हार्मोन है जो हमारे शरीर में अग्न्याशय (pancreas) की विशेष कोशिकाओं में बनता है और शरीर को प्रभावी तरीके से ग्लूकोज को एनर्जी के रूप में मेटाबोलाइज करने के लिए अनुमति देता है।

 

गर्भकालीन मधुमेह के लक्षण

 

 

 

  • हाथों और पैरों में झुनझुनी या सुन्नता (numbness) का अनुभव।

 

 

  • शरीर में सूजन और दर्द

 

  • अत्यधिक थकान

 

  • अधिक प्यास लगना।

 

  • अधिक भूख लगना और बार-बार खाने का मन होना।

 

 

गर्भकालीन मधुमेह के निदान

 

 

गर्भावधि मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) के निदान के लिए टेस्ट आमतौर पर प्रेगनेंसी के 24 से 28 हफ्तों के बाद कराया जाता है, इनमे कुछ टेस्ट शामिल है, जैसे की –

 

  • ग्लूकोज स्क्रीनिंग टेस्ट (Glucose screening test)

 

  • ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Glucose tolerance test)

 

  • ब्लड टेस्ट

 

 

गर्भावस्था के दौरान शुगर की मात्रा बढ़ने पर क्या क्या खाना चाहिये

 

 

आइये जानते है गर्भावस्था के दौरान शुगर की मात्रा बढ़ने पर क्या क्या खाना चाहिये-

 

कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)

 

  • कार्बोहाइड्रेट शरीर की उर्जा का मुख्य स्रोत है। आप अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट के लिए निम्न को शामिल कर सकती है, जैसे की – अनाज की रोटी और जई, ब्राउन चावल और पास्ता, पूर्ण अनाज वाली खिचड़ी, फलियां, आलू और मकई जैसे स्टार्च वाली सब्जियां, दूध और दही भी शरीर को कार्बोहाइड्रेट प्रदान करते हैं।

 

  • सोया दूध शाकाहारियों या लैक्टोज असहिष्णुता वाले लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है। सोया दूध में कार्बोहाइड्रेट भी होता है।

 

 

सब्जियां (Vegetables)

 

  • सब्जियां शरीर को कार्बोहाइड्रेट भी प्रदान करती हैं। कुछ सब्जियों में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत कम हो सकती है, जैसे कि बीन्स या ब्रोकली।

 

  • आपको विशेष रूप से विभिन्न प्रकार की सब्ज़ियां खाने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि प्रत्येक रंग की सब्जी में पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा अलग होती है।

 

 

प्रोटीन (Proteins)

 

प्रोटीन एक स्वस्थ आहार का आवश्यक घटक है। अधिकांश प्रोटीन स्रोतों में कार्बोहाइड्रेट नहीं होते हैं और रक्त शर्करा नहीं बढ़ाते है, लेकिन बीन्स और फलियां जैसे प्रोटीन के शाकाहारी स्रोतों की जांच करना सुनिश्चित करें, क्योकि इनमे कार्बोहाइड्रेट हो सकता हैं।

 

 

वसा (Fats)

 

अच्छे स्वास्थ्य के लिए, ट्रांस वसा जैसे संतृप्त वसा का सेवन सीमित करें। ट्रांस वसा मुख्य रूप से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में अधिक पायी जाती हैं।

 

 

गर्भावस्था के दौरान रक्त शर्करा के स्तर

 

 

  • गर्भावस्था के दौरान सामान्य शुगर लेवल खाने से पहले 95 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर(मिलीग्राम/डीएल) से अधिक नहीं होना चाहिए

 

  • खाने से एक घंटे के बाद चीनी स्तर को 140 मिलीग्राम/डी एल अधिक नहीं होना चाहिए , और खाने के दो घंटे बाद 120 मिलीग्राम / डीएल से अधिक नहीं होना चाहिए।

 

 

प्रेगनेंसी में शुगर कंट्रोल कैसे करे

 

 

  • जीवन शैली में सुधार

 

  • रोज़ 30 मिनट नियमित तौर से टहलें

 

  • साबुत अनाज से बने पौष्टिक आहार ज़्यादा खाएं

 

 

  • शुगर कंट्रोल

 

  • रोज़ भोजन करते समय सलाद खाएं, सलाद खाने से आपके शरीर में फाइबर बढ़ता है और ग्लूकोज लेवल को बढ़ने से रोकता है|

 

 

जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भकालीन मधुमेह) के इलाज

 

 

  • गर्भावधि मधुमेह का सबसे पहला इलाज है, सही जीवनशैली और स्वस्थ खानपान। इस दौरान, आपको एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की ज़रूरत है।

 

  • जैसे-जैसे गर्भावस्था बढ़ेगी आपको इंसुलिन की आवश्यकता ज्यादा होगी। इसके लिए डॉक्टर इंसुलिन के इंजेक्शन दे सकते हैं। सामान्य मधुमेह में दी जाने वालीं कई दवाइयां गर्भावस्था में लेनी सुरक्षित नहीं होती, इसलिए इंसुलिन के इन्जेक्शन लेना ज़रूरी हो जाता है इसके अलावा, डॉक्टर दवा भी दे सकते हैं।

 

  • अगर आपको गर्भावधि मधुमेह है, तो दिन में तीन से चार बार आप अपनी रक्त शर्करा की जांच करें। इससे आपको रक्त शर्करा नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी।

 

  • फिट रहने के लिए व्यायाम ज़रूरी है। ज़रूरी नहीं कि इसके लिए आप जिम जाएं या कड़ी कसरत करें। फिट रहने के लिए नियमित रूप से सैर कर सकते हैं या फिर तैराकी आती है, तो ट्रेनर की देखरेख में इसे भी कर सकते हैं।

 

  • अगर गर्भावस्था से पहले आपका वज़न सामान्य से ज्यादा है, तो पहले अपना वज़न नियंत्रित करें और फिर गर्भधारण की योजना बनाएं।

 

  • अगर इन सबके बावजूद आपको मधुमेह के लक्षण नज़र आते हैं, तो बिना देरी किए डॉक्टर के पास जाएं और अपनी जांच कराएं।

 

  • अधिकांश महिलाओं में प्रसव के बाद रक्तशर्करा सामान्य हो जाती है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान अगर आप गर्भाकालीन मधुमेह से ग्रसित हैं, तो संभव है कि अगली गर्भावास्थाओं में भी आप इस रोग से ग्रस्त हों।

 

 

अगर आप भी गर्भवती महिला है, तो डॉक्टर से जांच कराते रहे और सलाह लेते रहे। ऐसा करने से आप और आपके होने वाले बच्चे को किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी।

 

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