हृदय अतालता (Cardiac Arrhythmia) क्या है? जाने इसके लक्षणों के बारे में : डॉ. बीरेंद्र सिंह थिंड

हर इंसान का दिल एक सामान्य गति से धड़कता है। अगर बिना कारण आपकी धड़कन अनियमित हो जाती है, तो ये आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। आमतौर पर अत्यधिक काम करने से या फिर सेहत का स्वस्थ न रहने पर दिल की धड़कन अधिक बढ़ जाती है, लेकिन अगर आपको यह समस्या बार-बार हो रही हो या धड़कन अनियमित होने का कोई कारण नहीं समझ आ रहा है, तो सावधान हो जाएं, क्योंकि ये कई बार जानलेवा भी हो सकता है। दिल की अनियमित धड़कन को ‘एरिथमिया’ या ‘हृदय अतालता’ कहते हैं।

 

 

एरिथमिया क्या है ?

 

 

जब किसी को भी एरिथमिया की समस्या होती है, तो उसके दिल की धड़कन कभी सामान्य से ज्यादा बढ़ जाती है, तो कभी सामान्य से धीमी हो जाती है। आमतौर पर एरिथमिया की समस्या तब होता है, जब दिल की धड़कन को नियंत्रित करने वाले इलेक्ट्रिक वेव्स (Electric waves) ठीक से काम नहीं करते हैं।

 

 

क्यों होता है एरिथमिया ?

 

 

एरिथमिया की समस्या अधिक चिंता और तनाव लेने की वजह से होता है। इसके अलावा अधिक मात्रा में कैफीन, निकोटीन और अल्‍कोहल का सेवन करना भी एरिथमिया होने के कारण बन सकते हैं। अगर आपको सांसों का उखड़ना, चक्‍कर आना, सीने में दर्द अथवा बेहोशी की शिकायत हो रही हो, तो डॉक्‍टर से जरूर संपर्क करें और तुरंत ही डॉक्टर की सलाह ले।

 

 

एरिथमिया के कारण

 

  • दिल की धड़कन बढ़ने की संभावना ज्यादातर गंभीर भावनात्‍मक एहसास के कारण ही होती है। यह समस्या तनाव, डर, चिंता, आदि के कारण सबसे अधिक होती है।

 

  • अपने क्षमता से अधिक काम कर लेने की वजह से भी दिल की गति बढ़ जाती है।

 

  • अगर आपने कैफीन, निकोटीन, एल्‍कोहल का सेवन किया है तो यह पल्पिटेशंस का कारण बन सकता है। कुछ दवाओं के सेवन के कारण भी दिल की धड़कन बढ़ सकती है।

 

  • यह समस्‍या हार्मोन में बदलाव, मासिक धर्म, गर्भावस्‍था के समय हो सकती है।

 

  • अगर किसी व्यक्ति को थायरॉइड, निम्‍न रक्‍तचाप, एनीमिया, लो ब्‍लड शुगर, बुखार और निर्जलीकरण की समस्या है, तो दिल की धड़कन बढ़ सकती है।

 

  • कार्बोहाइड्रेट, वसायुक्‍त, और अधिक शुगर वाले आहार का सेवन करने के कारण दिल की धड़कन बढ़ जाती है।

 

  • अधिक मात्रा में नाइट्रेट, सोडियम वाले आहारों के सेवन करने से भी दिल की धड़कन बढ़ सकती है।

 

 

एरिथमिया से बचाव

 

 

  • अधिक तनाव और चिंता से दूर रहे।

 

  • रोजाना नियमित रूप से योग करे, जैसे की – ताई-ची और अरोमाथेरेपी आदि आपकी काफी मदद कर सकते हैं।

 

  • अल्‍कोहल, निकोटिन और कैफीन जैसे चीजों से परहेज करे।

 

  • खांसी और सर्दी की कुछ दवाओं तथा कुछ हर्बल उत्‍पादों में भी इस तरह के तत्‍व हो सकते हैं, इसलिए आपको उनसे भी दूर रहना चाहिए।

 

 

 

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