लकवा क्या है? जानिए इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

लकवा से पीड़ित व्यक्ति अपनी एक या अधिक मांसपेशियों को हिलाने में असमर्थ होता है। जब तंत्रिकाएँ रीढ़ की हड्डी से मस्तिष्क को संदेश भेजना बंद कर देती हैं तब आप अपने उस अंग से काम करने में असमर्थ होते है। शरीर के जिस हिस्से में लकवा होता है तब वह प्रभावी क्षेत्र की संवेदन-शक्ति को समाप्त कर देता है या उस अंग को चलाना-फिराना या घुमाना असम्भव हो जाता है।

 

 

 

लकवा क्या है?

 

 

लकवा एक एकल मांसपेशी, समूह या शरीर के एक बड़े क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है, यह सब इसके कारण पर निर्भर करता है। स्ट्रोक, सिर या मस्तिष्क की चोट, रीढ़ की हड्डी में चोट और मल्टीपल स्केलेरोसिस लकवा के मुख्य कारणों में से हैं। आपको बता दें की जब किसी व्यक्ति में लकवा स्थायी होता है, तो इसका इलाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन कुछ यांत्रिक उपकरणों की मदद से रोगी के जीवन को आसान बनाने की कोशिश जरूर की जा सकती है।

 

कुछ मामलों में, जब लकवा पैरों और हाथों को प्रभावित करता है, तो न्यूरोप्रोस्टेसिस उपकरणों का उपयोग किया जाता है। यह विद्युत धाराओं की सहायता से मांसपेशियों को उत्तेजित करता है, जिससे रोगी को लकवाग्रस्त अंगों के साथ कुछ गतिविधि करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, यह डिवाइस काफी महंगा होता है।

 

 

 

लकवा के लक्षण

 

 

लकवा के लक्षण आमतौर पर आसानी से पहचानने वाले होते हैं। लकवाग्रस्त रोगी अपने शरीर के किसी विशेष अंग या शरीर के किसी बड़े क्षेत्र को महसूस करना बंद कर देता है। कई बार, किसी अंग के लकवाग्रस्त होने से पहले, यह सुन्नता या झुनझुनी के लक्षण दिखाता है।

 

 

 

  • सिरदर्द,

 

 

  • सांस लेने मे तकलीफ,

 

 

  • मुंह से दुर्गंध (सफ़ेद झाग) आना,

 

 

  • सोचने, समझने, बोलने और लिखने में कठिनाई होना,

 

 

  • व्यवहार में बदलाव,

 

 

  • मूत्राशय या आंतों का नुकसान,

 

 

 

लकवा के कारण

 

 

कुछ संभावित कारण जिनके द्वारा किसी व्यक्ति का शरीर स्थायी रूप से या अस्थायी रूप से लकवा से प्रभावित हो सकता है। यह आमतौर पर रीढ़ की हड्डी में किसी प्रकार की चोट या क्षति के कारण होता है। कई अन्य कारण हैं जिनके साथ पक्षाघात जुड़ा हुआ है। इनमें से कुछ में शामिल हैं:

 

 

 

  • चोट लगना,

 

 

  • पोलियो,

 

 

  • मस्तिष्क का लकवा,

 

 

  • पार्किंसंस रोग,

 

 

  • बहुत ज्यादा शारीरिक श्रम,

 

 

  • अधिक व्यायाम,

 

 

  • गिलैन बर्रे सिंड्रोम।

 

 

 

लकवा से बचाव के उपाय

 

 

 

रात भर एक करवट न लेटें : यदि आप खुद को लकवा से बचाना चाहते है तो सोते वक़्त पूरी रात एक ही करवट में न सोएं। क्योंकि ऐसा करना आपको लकवा होने के कारणों को बढ़ाता है। रात में सोते समय कभी दाई और बाई और करवट ले कर सोएं।

 

 

 

व्यायाम करना न भूलें – यदि आप लकवा से बचना चाहते है तो रोजाना व्यायाम जरूर करें। इस बात का ध्यान रखें की आपको अपने पूरे शरीर की मांसपेशियों का उपयोग करना है। ऐसा करने से आपका पूरा शरीर स्वस्थ रहेगा और आप खुद को कई रोगों से बचा पाएंगे। व्यायाम करने से आपके पूरे शरीर में रक्त का संचार सही तरीके से होता है।

 

 

 

खुद को गिरने या दुर्घटनाओं से बचाएं : ऐसा भी बहुत बार देखा गया है की जब आपके शरीर के किसी हिस्से में आपको चोट लग जाए या आपके साथ किसी तरह की कोई दुर्घटना हो जाती है तो इसके कारण भी आपको लकवा हो सकता है। ऐसे में आपको अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए। एक बार जब कोई व्यक्ति शारीरिक गतिविधि पर नियंत्रण खो देता है, तो उसका जोखिम और बढ़ जाता है। सीढ़ियों, बाथरूम, में सभी को इस बात का बहुत ध्यान रखना चाहिए। एक बार गिरने से आपके शरीर की किसी भी हिस्से में चोट लग सकती है जो आपके शरीर के किसी भी भाग को प्रभावित करती है।

 

 

 

आपको बता दें की लकवा के मरीजों में अभी तक यह देखा गया है कि लगभग 80 प्रतिशत मामलों में इसे ठीक किया जा सकता है। जबकि 50 प्रतिशत से अधिक लकवा के मरीजों में इसका कारण निम्न रक्तचाप या उच्च रक्तचाप भी होता है। इसलिए, यदि आपको रक्तचाप की समस्या है तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। वरना ये लकवा का कारण भी बन सकते हैं।

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