टीबी या ट्यूबरकुलोसिस एक बहुत गंभीर बीमारी मानी जाती हैं यह एक फैलने वाली बीमारी हैं जो शरीर के फेफड़ो या अन्य ऊतकों में संक्रमण का कारण बन सकता हैं। यदि टीबी की बीमारी का सही समय पर इलाज न किया जाये तो यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फ़ैल सकती हैं। यह हवा के माध्यम से फैलने वाली बीमारी हैं जब टीबी रोग से ग्रसित व्यक्ति छींकता या फिर खांसता हैं तो हवा के माध्यम से यह बीमारी दुसरो को भी अपना शिकार बना लेती हैं। यदि किसी मनुष्य का इम्युनिटी सिस्टम यानि की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो तो वह आसानी से इस बीमारी का शिकार बन सकता हैं।
लिवर टीबी के दो प्रकार होते हैं।
- लेटेंट टीबी – इस स्थिति में रोगाणु आपके शरीर में होते हैं, लेकिन इम्यून सिस्टम उन्हें फैलने नहीं देता है। इस कारण से आपको इसके लक्षण महसूस नहीं होते हैं और न ही यह रोग आपसे किसी अन्य व्यक्ति में फैल पाता है। हालांकि, शरीर में मौजूद ये रोगाणु किसी भी समय एक्टिव होकर संक्रमण फैला सकते हैं और ऐसा आमतौर पर तब होता है जब किसी कारण से इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाए। एचआईवी व अन्य कोई लंबे समय तक रहने वाला संक्रमण आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर बना सकता है।
- एक्टिव टीबी – इस स्थिति में रोगाणु बढ़ने लगते हैं और शरीर में संक्रमण शुरू हो जाता है। एक्टिव टीबी में व्यक्ति को लक्षण महसूस होने लगते हैं और वह अन्य स्वस्थ व्यक्तियों में इस रोग को फैला भी सकता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार एक्टिव टीबी के 90 प्रतिशत मामले आमतौर पर लेटेंट टीबी से ही शुरू होते हैं।
लिवर टीबी के लक्षण किस प्रकार नज़र आते हैं ?
लिवर टीबी के लक्षण जल्दी से नज़र नहीं आते हैं कई बार ऐसा होता हैं की लोग टीबी के लक्षणों को सामान्य समझ लेते हैं परन्तु ऐसा नहीं करना चाहिए यह बीमारी बढ़कर घातक हो जाती हैं यदि किसी भी व्यक्ति को इस प्रकार के लक्षण शरीर में महसूस हो तो वह डॉक्टर से जाँच कराये जैसे की –
- अधिक समय तक खासी का होना
- तेज बुखार आना
- फेफड़ो का संक्रमण होना
- भूख में कमी
- सांस लेने में तकलीफ होना
- सांस का फूलना
- अचानक से वजन का घटना
- सीने में तेज दर्द होना
- डायरिया की शिकायत होना
- ग्रंथियों में स्थिर सूजन होना
लिवर टीबी होने के कारण क्या होते हैं ?
- एचआईवी संक्रमण वाले रोगियों में, प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, जिससे शरीर के लिए ट्यूबरकल बेसिली से लड़ना अधिक कठिन हो जाता है। इन लोगों में अव्यक्त संक्रमण के सक्रिय संक्रमण में बढ़ने की संभावना अधिक होती है।
- टीबी ग्रसित व्यक्ति का संक्रमित रूमाल या तौलिया इस्तेमाल करने से भी यह हो सकता है।
- माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (एमटीबी) बैक्टीरिया के कारण ऐसा हो सकता है।
- जुकाम व फ्लू की तरह टीबी भी हवा से फैल सकता है। जब टीबी से ग्रसित कोई व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है, तो उसके मुँह से लार की अति सूक्ष्म बूंदें निकलती हैं और हवा में फैल जाती हैं। ये बूंदें बहुत सूक्ष्म होती हैं, जो दिखाई नहीं देती हैं लेकिन इनमें टीबी का कारण बनने वाले बैक्टीरिया होते हैं।
लिवर टीबी का इलाज कैसे होते हैं ?
ट्यूबरकुलोसिस का इलाज संभव होता हैं यदि मनुष्य को इस बीमारी का सही समय पर पता लग जाए तो वह सम्पूर्णरूप से इलाज करवा सकता हैं टीबी का इलाज उसके प्रकार के अनुसार किया जाता हैं। टीबी के इलाज के लिए डॉक्टर कुछ दवाइयों का कोर्स बताते हैं जो की पूरा करना होता हैं जिससे की शरीर के सारे संक्रमण खत्म हो जाते हैं।
लेटेंट टीबी के मामलों में दी जाने वाली दवाएं आमतौर पर बैक्टीरिया को नष्ट करने के लिए दी जाती हैं, ताकि बाद में संक्रमण एक्टिव न हो सके। इस दौरान आमतौर पर आयसोनाइजिड, रिफैपेन्टाइन और रिफैम्पिन दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें से एक या कई दवाओं को मिलाकर उन्हें 9 महीने तक लिया जाता है।
लिवर टीबी के इलाज के लिए बेस्ट अस्पताल।
- बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, राजिंदर नगर, दिल्ली
- इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, सरिता विहार, दिल्ली
- फोर्टिस हार्ट अस्पताल, ओखला, दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत, दिल्ली
- नारायण सुपर स्पेशलिटी अस्पताल , गुरुग्राम
- मेदांता द मेडिसिटी , गुरुग्राम
- फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड , गुरुग्राम
- पारस अस्पताल , गुरुग्राम
- शारदा अस्पताल ,ग्रेटर नोएडा
- यथार्थ अस्पताल , ग्रेटर नोएडा
- बकसन अस्पताल ग्रेटर नोएडा
- जेआर अस्पताल ,ग्रेटर नोएडा
- प्रकाश अस्पताल ,ग्रेटर नोएडा
- शांति अस्पताल , ग्रेटर नोएडा
- दिव्य अस्पताल , ग्रेटर नोएडा
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लिवर टीबी होने पर किन चीज़ो का सेवन अधिक करें ?
यदि किसी व्यक्ति को टीबी होती हैं तो वह डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाइयों के साथ-साथ कुछ घरेलू पदार्थो का सेवन करे तो वह जल्दी इस बीमारी से बाहर आ सकता है। टीबी होने पर इन चीज़ो का सेवन करे जैसे की –
- सीताफल टीबी रोग में लाभदायक होता हैं। सीताफल का गूदा निकाल लें। इसे एक गिलास पानी में 50 ग्राम किशमिश के साथ उबालें। जब यह एक चौथाई की मात्रा में रह जाए, तब इसे छान लें। इसमें 2 छोटे चम्मच चीनी और चुटकी भर इलायची पाउडर मिलाएं। इसे ठण्डा करके दिन में दो बार पिएँ।
- आंवले की बीज से रस निकाल लें। इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट पिएँ। इसकी जगह आंवले का पाउडर बनाकर भी शहद के साथ ले सकते हैं।
- पुदीना में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, इसलिए यह टीबी के रोग में लाभदायक होती है। एक चम्मच पुदीने का जूस, दो चम्मच शहद, दो चम्मच सिरका और आधा कप गाजर का जूस मिलाकर रख लें। इसे दिन में तीन बार पिएं।
- 200 ग्राम शहद, 200 ग्राम मिश्री, 100 ग्राम गाय का घी मिलाकर रख लें। इसे 6-6 ग्राम की मात्रा में रोगी को दिन में कई बार चटाएँ। इसके साथ में बकरी या गाय का दूध पिलाएँ। एक चम्मच मिश्री और एक चम्मच देशी-घी को मिलाकर सोने से पहले गर्म दूध के साथ लें।
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