महिलाओं में क्यों बढ़ रही है पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम – जाने इसके लक्षण और बचने के उपाय

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) यह महिला के हार्मोन के स्तर को प्रभावित करती है  और जिसमे ओवरी के अंदर सिस्ट यानी की गाँठ हो जाती है। PCOS को मल्टीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज भी कहा जाता है। यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है। समय से पीरियड्स न होने की वजह से बाद में चलकर ये PCOS का रूप ले सकती है।

 

PCOS की समस्या होने पर महिलाओं के शरीर में एंड्रोडेन्स या मेल हार्मोन अधिक होने लगते हैं। जिस वजह से गर्भवती होने में इन्हे बहुत कठिनाई होती है, क्योंकि इस हार्मोन की वजह से ओव्यूलेशन और मासिक चक्र रुक जाता है।

 

यह बीमारी ज्यादातर तीस साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में होती थी, लेकिन अब यह समस्या कम उम्र की लड़कियों को भी होने लगी है।

 

 

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के लक्षण

 

 

  • महिलाओं में पीरियड्स रेगुलर न होना,

 

 

  • शरीर व चेहरे पर बाल अधिक हो जाते हैं और सिर के बाल कम होने लगते हैं,

 

  • त्वचा पर बहुत अधिक मुंहासे होना,

 

 

  • त्वचा का काला पड़ना,

 

  • नींद न आने की समस्या,

 

  • थकान महसूस होना,

 

  • बार बार गर्भपात हो जाना,

 

  • सिर के बालो का अधिक झड़ना,

 

 

 

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के कारण

 

 

  • यह बीमारी माँ से बच्चों में आती है। महिलाओं में अक्सर यह देखा जाता है कि यह बीमारी मां के जीन्स के बच्चों में संचरित होती है।

 

  • महिलाओं में 70 प्रतिशत इंसुलिन प्रतिरोधिता पाई जाती है। इसका मतलब यह है कि कोशिकाएं अच्छी तरह से इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं कर पाती है। और इस वजह से महिलाओं में मोटापे , डायबिटीज और हृदय रोग जैसी बीमारियां हो जाती है।

 

  • इस बिमारी की वजह से महिलाओं के शरीर में सूजन आ जाती है और इस सूजन के कारण मेल हार्मोन का और अधिक स्राव होता है और यह बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है।

 

  • दौड़भाग के इस युग में बढ़ रहे तनाव के कारण लोगो का खानपान और दिनचर्या बिगड़ चुकी है। धूम्रपान, शराब, देर रात का खाना इत्यादि कारणों से भी PCOS की समस्या होती है।

 

  • असंतुलित आहार का सेवन पिज़्ज़ा, बर्गर जैसे शरीर के लिए हानिकारक है।

 

 

PCOS में होने वाली समस्याएं 

 

 

  • बांझपन,

 

  • डिप्रेशन,

 

  • नींद की समस्या (स्लीप एप्निया),

 

 

  • हाई ब्लड प्रेशर,

 

  • उच्च रक्त शर्करा,

 

  • असामान्य कोलेस्ट्रॉल

 

 

जिन महिलाओ को PCOS की समस्या होती है, उनमे  मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है। इसलिए इस बीमारी का जल्द से जल्द इलाज करा लेना चाहिए।

 

 

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की जाँच

 

 

महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का पता लगाने के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई जांच करा सकते हैं।

 

  • ब्लड टेस्ट,

 

  • पेल्विक टेस्ट,

 

  • अल्ट्रासांउड से भी पता लगाया जाता है।

 

 

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का उपचार

 

 

  • रोज सुबह एक्सरसाइज करे, ऐसा करने से आपका पीरियड साइकल और ओव्यूलेशन सही रहता है।

 

  • प्रोक्सी थेरेपी।

 

  • अपने जीवनशैली में बदलाव लाये।

 

  • अपने वजन को नियंत्रण में रखे।

 

  • धूम्रपान न करे, क्योंकि महिलाओं में पुरुष हार्मोन एंड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है। इसलिए धूम्रपान का सेवन बिलकुल भी न करे।

 

  • अपने हार्मोन्स को बैलेंस करने के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं भी ले सकते है।

 

  •  ओव्यूलेशन इंडक्शन भी एक तरीका है, जिसमें दवाओं की मदद से हार्मोन को बैलेंस किया जा सकता है।

 

  •   लेप्रोस्कोपी सबसे मॉडर्न ट्रीटमेंट है,  इसमें ओवरी से सिस्ट को बाहर निकाल दिया जाता है।

 

  • मॉडर्न ट्रीटमेंट में एबनॉर्मल ओवरी के टिश्यू को हटा दिया जाता है। लेकिन इस का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि सर्जरी ठीक से नहीं होने पर दोबारा सिस्ट बनने की आशंका बनी रहती है।

 

 

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम जिसे पीसीओएस भी कहा जाता है। इस बीमारी के लक्षण अगर आपको भी दिख रहे है, तो तुरंत ही डॉक्टर से सलाह ले।

 

 

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