Nipah Virus: की चपेट में आने से बचें, जाने इसके उपाय।

केरल, ही नहीं बल्कि आजकल पूरा देश ही निपाह वायरस (Nipah Virus)  की दहशत में हैं। केरल से लेकर दिल्ली तक तमिलनाडु से लेकर कन्याकुमारी तक लोग इस वायरस के कारण डरे हुए हैं लेकिन लोगों को इसकी वजह से भयभीत होने की जरूरत नहीं है बल्कि सावधान (Alerts) रहने की आवश्यकता है।

 

क्या है ‘निपाह वायरस’

 

‘निपाह वायरस’ एक तरह का पशुजन्य रोग है, मेडिकल टर्म में इसे NIV वायरस भी कहा जाता है।
ये वायरस Paramyxoviridae family का सदस्य है, जो कि जानवर से फलों में और फलों के जरिए व्यक्तियों में फैलता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक निपाह वायरस (NiV) तेजी से उभरता हुआ वायरस है।

 

NiV के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था, वहीं से इस वायरस को ये नाम मिला। उस वक्त इस बीमारी के वाहक सूअर थे और आज इस बीमारी के वाहक चमगादड़ हैं। इसके बाद से इन वायरस के केस साउथ एशिया ( भारत, बांग्लादेश, मलेशिया और सिंगापुर) में पाए गए। भारत में ‘निपाह वायरस’ का पहला मामला वर्ष 2001 के जनवरी और फरवरी माह में पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में दर्ज किया गया था। इस दौरान 66 लोग निपाह वायरस से संक्रमित  (Infection) हुए थे। इनमें से उचित इलाज न मिलने की वजह से 45 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, ‘निपाह वायरस’ का दूसरा हमला वर्ष 2007 में पश्चिम बंगाल के नदिया में दर्ज किया गया, उस वक्त पांच मामले दर्ज किए गए थे, इसमें से पांचों की मौत हो गई थी।

 

फ्रूट बैट

 

इसके कुछ वक्त बात इस वायरस का संक्रमण उन लोगों में देखा गया, जिन्होंने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा या पेड़ से गिरे हुए खजूर (Dates) खाए, कहा गया कि ये खजूर चमगादड़ की वजह से संक्रमित थे और इस वजह से इन्हें ‘फ्रूट बैट’ कहा गया, जिसके कारण इस वायरस के वाहक चमगादड़ बने।

 

एनआईवी वायरस के लक्षण

 

‘निपाह वायरस’ की चपेट में आने वाले इंसान को तेज बुखार,दिमाग या सिर में तेज जलन,दिमाग में सूजन और दर्द,मानसिक भ्रम, सांस लेने में परेशानी होती है। संक्रमण बढ़ने से मरीज कोमा में भी जा सकता है, इसके बाद इंसान की मौत हो जाती है। ये वायरस एन्सेफलाइटिस सिड्रोंम (Encephalitis Syndrome) के जरिए बहुत तेजी से फैलता है। डाक्टरों ने इसे घातक इंसेफ्लाइटिस (Encephalitis) या दिमागी बुखार कहा है।सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (disease control)  एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक ‘निपाह वायरस’ काइंसेफ्लाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग को नुकसान पहुंचता है।

 

कोई वैक्सीन नहीं

 

इस वायरस के दौरान मरीज़ को आईसीयू (ICU)  व वेंटीलेटर (ventilator) की जरूरत पड़ती हैं 5 से 14 दिन तक इसकी चपेट में आने के बाद ये वायरस तेज बुखार और सिरदर्द की वजह बन सकता है, जिसके दौरान मरीज़ कोमा में भी जा सकता हैं इस संक्रमण के शुरुआती समय में सांस लेने में समस्या भी होती हैं और मरीज़ो में न्यूरोलॉजिकल की दिक्कते भी होने लगती हैं।

 

गंभीर दिमागी बीमारी

 

साल 1998-99 में जब ये बीमारी फैली थी तो इस वायरस की चपेट में 265 लोग आए थे, जिन्हें अस्पतालों में भर्ती किया गया लेकिन इनमें से केवल 20% मरीज ऐसे थे जिन्हें गंभीर दिमागी बीमारी हुई थी और ये बच नहीं पाए थे। इनमें ये संक्रमण चमगादड़ों, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैला था। मलेशिया और सिंगापुर में जानवरों के कारण इस रोग के फैलने की जानकारी मिली थी जबकि भारत और बांग्लादेश में इंसान से इंसान का संपर्क होने पर ये रोग फैला है।

 

डायग्नोसिस

 

इस वायरस का टेस्ट डायग्नोसिस आरटी-पीसीआर के द्वारा गले- नाक के सेरेब्रोस्पाइनल (Cerebrospinal) तरल पदार्थ, मूत्र और रक्त के द्वारा किया जाना चाहिए।ईएलआईएसए (आईजीजी और आईजीएम) द्वारा इस वायरस की एंटीबॉडी का पता लगाया जा सकता है। ‘निपाह वायरस’ संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में फैल सकता है। मानव से मानव में संक्रमण के नियंत्रण के लिये बैरियर नर्सिंग तकनीक महत्वपूर्ण है। ‘निपाह वायरस’ के लिए अभी कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन निपाह वायरस के जी ग्लाइकोप्रोटीन के द्वारा बनाने वाले मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (antibody) का उपयोग पैसिव वैक्सीनेशन (passive vaccine) के रूप में करने के बाद लाभ पाया गया है।

 

उपचार व् उपाय

 

‘निपाह वायरस’ का इलाज खोजा नहीं जा सका है, इस रोग से ग्रस्त लोगों का इलाज मात्र रोकथाम है। इस वायरस से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए। पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए, जब भी बाहर से कोई फल लेकर आए उसे अच्छे से गर्म पानी में धोकर खाएं।

 

रोगी से दूर रहें

 

इसे रोकने के लिए संक्रमित रोगी से दुरी बनाये रखे तो ज्यादा बेहतर होता हैं यदि रोगी से मिलना भी पड़े तो मिलने के बाद साबुन से हाथो (Hand Wash) को अच्छी तरह से धो लेना चाहिये। आमतौर पर शौचालय में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे बाल्टी और मग को खास तौर पर साफ रखें।निपाह बुखार’ से मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को ढंकना महत्वपूर्ण है, मृत व्यक्ति को गले लगाने से बचना चाइये और उसके अंतिम संस्कार से पहले शरीर को स्नान करते समय सावधानी बरतनी चाहिए । अपने पालतू जानवरों को भी संक्रमित जानवरों, संक्रमित इलाकों या संक्रमित व्यक्ति से दूर रखें। अगर आपको जरा भी बुखार का अनुभव हो या फिर सांस लेने में दिक्कत लगे तो तुरंत डॉक्टर से मिले।

 

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