क्या गर्भावस्था के दौरान डेंगू बुखार के कारण नवजात शिशुओं का वजन कम होता है?

गर्भावस्था के दौरान डेंगू बुखार एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन गई है, जिससे नवजात शिशुओं के वजन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि डेंगू बुखार से प्रभावित गर्भवती महिलाओं के बच्चों का जन्म वजन सामान्य से कम हो सकता है, जो बच्चे के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है। आज हम जानेंगे की क्या गर्भावस्था के दौरान डेंगू बुखार के कारण नवजात शिशुओं का वजन कम होता है?

 

डेंगू बुखार क्या है?

 

डेंगू बुखार एक वायरल संक्रमण है, जो एडीस मच्छरों के काटने से फैलता है। यह वायरस तेजी से फैलता है और विशेष रूप से मानसून के मौसम में अधिक सक्रिय होता है। डेंगू बुखार के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते, और कभी-कभी रक्तस्राव शामिल हो सकते हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए, यह स्थिति और भी अधिक खतरनाक हो सकती है।

 

गर्भावस्था में डेंगू का प्रभाव

 

डॉ. शालिनी मेहरा, गाइनकोलॉजिस्ट और प्रसूति विशेषज्ञ, का कहना है, गर्भवती महिलाओं के लिए डेंगू बुखार बहुत ही जोखिमपूर्ण हो सकता है। डेंगू के कारण होने वाली गंभीर समस्याओं में से एक है नवजात शिशुओं का कम वजन। हमारे अध्ययन में पाया गया है कि डेंगू बुखार से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के बच्चों का वजन सामान्य से लगभग 200-500 ग्राम तक कम हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान डेंगू बुखार का प्रमुख प्रभाव रक्त प्रवाह और पोषण वितरण में रुकावट के कारण होता है। यह समस्या प्लेसेंटा (अपरा) के सही तरीके से काम न करने से उत्पन्न होती है, जिससे शिशु को पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता।

 

मामलों का अध्ययन

 

दिल्ली के एक प्रमुख अस्पताल में डेंगू बुखार से प्रभावित गर्भवती महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 35% महिलाओं के शिशुओं का जन्म वजन 2.5 किलोग्राम से कम था। यह स्थिति शिशु के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हो सकती है, क्योंकि कम वजन के शिशुओं को संक्रमण, श्वसन समस्याओं, और विकास में देरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

अध्ययन में शामिल 30 वर्षीय सुमन शर्मा ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, मुझे गर्भावस्था के सातवें महीने में डेंगू बुखार हो गया था। मेरे बेटे का जन्म वजन केवल 2.2 किलोग्राम था। हालांकि वह अब स्वस्थ है, लेकिन शुरुआत में उसे कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा।

 

रोकथाम और उपचार

 

गर्भावस्था के दौरान डेंगू बुखार से बचाव के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले, मच्छरों के काटने से बचने के लिए उचित सुरक्षा उपायों का पालन करना चाहिए। इसमें मच्छरदानी का उपयोग, मच्छर भगाने वाले क्रीम का उपयोग, और पूरी बांह के कपड़े पहनना शामिल है।

डॉ. मेहरा कहती हैं, गर्भवती महिलाओं को डेंगू के लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए और तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। डेंगू के लक्षण प्रकट होते ही तत्काल जांच और उपचार शुरू करना बहुत जरूरी है, ताकि जटिलताओं को रोका जा सके।

 

सरकार और स्वास्थ्य संगठनों की भूमिका

 

सरकार और स्वास्थ्य संगठनों द्वारा डेंगू की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। नियमित फॉगिंग और स्वच्छता अभियानों के माध्यम से मच्छरों की संख्या को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष स्वास्थ्य शिविर और परामर्श सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि वे डेंगू बुखार से बचाव के तरीकों के बारे में जान सकें।

गर्भावस्था के दौरान डेंगू बुखार एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती है, जो नवजात शिशुओं के वजन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इस स्थिति से बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं को मच्छरों से बचने के सभी उपाय अपनाने चाहिए और डेंगू के लक्षण प्रकट होते ही तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। सरकार और स्वास्थ्य संगठनों के प्रयासों से इस समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है, ताकि सभी गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों का स्वास्थ्य सुरक्षित रह सके।

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