स्यूडोफेकिया शब्द लैटिन शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है फाल्स लेंस। दरअसल इस शब्द का प्रयोग तब किया जाता है जब आंख में नेचुरल लेंस के स्थान पर आर्टिफिशियल लेंस लगाया जाता है। जब किसी व्यक्ति को आंखो से जुड़ी समस्या होती है तब हम आंखो के विशेषज्ञ को दिखते हैं। टेक्नोलॉजी के इस युग में लोगों को कई नई तरह की बीमारियां हो रही हैं।
आंखो से जुड़ी बीमारी मोतियाबिंद जो बहुत से लोगों में देखने को मिलती हैं। मोतियाबिंद को अंग्रेजी में कैटरेक्ट कहते हैं। मोतियाबिंद होने पर देखने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है इस कारण धुंधला दिखाई देने लगता है। यदि आपको आंखो से जुड़ी कोई भी समस्या है तो आप हमारे डॉक्टर से कंसल्ट कर सकते हैं। अपना अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
स्यूडोफेकिया क्या है?
डॉक्टर इस शब्द का प्रयोग तब करते हैं जब आंख में नेचुरल लेंस के स्थान पर आर्टिफिशियल लेंस लगाया जाता है। जब आंखो में लेंस को इम्प्लांट किया जाता है। तो इसे इंट्रोक्यूलर लेंस (IOL) या स्यूडोफेकिया IOL कहा जाता है। आपको बता दें की स्यूडोफेकिया आईओएल का उपयोग मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान किया जाता है क्योंकि मोतियाबिंद से पीड़ित व्यक्ति नेचुरल लेंस के माध्यम से धुंधली दृष्टि का कारण बनता है। यह एक सामान्य स्थिति है जो उम्र बढ़ने से संबंधित होती है। दरअसल यह लेंस आंख का वह हिस्सा है जो प्रकाश और छवियों को केंद्रित करता है ताकि व्यक्ति देख सके। स्यूडोफेकिया आईओएल(IOL) की आवश्यकता कब होती है, इसे कैसे लगाया जाता है आपको इसके बारे में बताते हैं।
जाने आंख खराब होने के लक्षण
स्यूडोफैकिया को आईओएल की आवश्यकता हो सकती है यदि निम्नलिखित लक्षण देखे जाते हैं। इसके लक्षण मोतियाबिंद से मिलते जुलते हैं।
- धुंधुला दिखाई देना
- कलर को पहचानने में परेशानी आना
- कम रोशनी और रात में देखने में परेशानी होना
- पढ़ते वक्त एक्सट्रा लाइट की जरूरत महसूस होना
- प्रभावित आंख में डबल विजन की शिकायत होना
- पास और दूर की चीजों पर फोकस करने में परेशानी होना
- लाइट के प्रति अत्यधिक सेंसटिव होना जिसमें सनलाइट, कार की हेडलाइट्स आदि शामिल है
- सामान्य से अधिक चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस को बदलना
स्यूडोफेकिया के कारण
यदि किसी को मोतियाबिंद है तो अधिकांश समय डॉक्टर इस उपचार का उपयोग कर सकते हैं, और इसलिए लेंस को हटाना पड़ता है। यह मोतियाबिंद को ठीक करने का सबसे प्रभावी तरीका है, यही कारण है कि अधिकांश डॉक्टर मोतियाबिंद से जुड़े मामलो में रोग को यह प्रक्रिया कराने की सलाह देते हैं, और यह करने के लिए काफी सरल और त्वरित ऑपरेशन भी है।
- बढ़ती उम्र
- धूम्रपान का सेवन
- अनुवांशिक
- डायबिटीज की समस्या
- आंख में किसी तरह की चोट या सूजन होना
- अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन के संपर्क में आना
- आंखों पर देर तक सूरज की रोशनी पड़ना
स्यूडोफैकिया की प्रक्रिया कैसे की जाती है?
मोतियाबिंद का मुख्य और आखिरी उपचार सर्जरी ही है। सर्जरी से पहले, डॉक्टर आंख के आकार और आकार के आधार पर सही लेंस का चयन करेंगे। डॉक्टर पुतली को फैलाने के लिए एक ऑय ड्राप डालेंगे। इसके साथ ही आंख के आसपास की जगह को भी साफ किया जाएगा। आंख को सुन्न करने के लिए एक दवा दी जाएगी ताकि कोई दर्द महसूस न हो। डॉक्टर इनमें से किसी एक तकनीक का उपयोग करके आपके धुंधले लेंस को निकाल देंगे:
लेंस एमुल्सिफिकेशन (lens emulsification)
इसमें डॉक्टर आपकी आंख के सामने एक छोटा सा कट लगा देता है। एक प्रोब जो अल्ट्रासाउंड तरंगें भेजता है उसमें डाला जाता है और मोतियाबिंद टूट जाता है। पुराने लेंस के टुकड़ों को फिर सक्शन कर दिया जाता है।
लेज़र
डॉक्टर आंख में छोटा सा कट लगाने और मोतियाबिंद को दूर करने के लिए लेजर का उपयोग करते हैं।
एक्स्ट्राकैप्सुलर मोतियाबिंद चीरा (extracapsular cataract incision)
डॉक्टर आंख के सामने एक बड़ा चीरा लगाता है और पूरा मोतियाबिंद निकाल देता है। आपके पुराने लेंस को हटा दिए जाने के बाद, आपका डॉक्टर इसे एक नए लेंस से बदल देगा। एक पैच या शील्ड को आंख के ऊपर तब तक रखा जाता है जब तक कि यह पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता है। सर्जरी के बाद मरीज उसी दिन घर जा सकता है, लेकिन वह अकेले घर नहीं जा सकते।
मोतियाबिंद के इलाज के लिए हॉस्पिटल
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मोतियाबिंद के इलाज के लिए दिल्ली के बेस्ट अस्पताल
मोतियाबिंद के इलाज के लिए गुरुग्राम के बेस्ट अस्पताल
- नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, गुरुग्राम
मोतियाबिंद के इलाज के लिए ग्रेटर नोएडा के बेस्ट अस्पताल
- यथार्थ अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
- बकसन अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
- जेआर अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
- प्रकाश अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
- दिव्य अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
- शांति अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
मोतियाबिंद के इलाज के लिए मेरठ के बेस्ट अस्पताल
- सुभारती अस्पताल, मेरठ
मोतियाबिंद के इलाज के लिए हापुड़ के बेस्ट अस्पताल
- बकसन अस्पताल, हापुड़
- जेआर अस्पताल, हापुड़
- प्रकाश अस्पताल, हापुड़
मोतियाबिंद के इलाज के लिए कोलकाता के सबसे अच्छे अस्पताल
मोतियाबिंद के इलाज के लिए बैंगलोर के सबसे अच्छे अस्पताल
मोतियाबिंद के इलाज के लिए मुंबई के सबसे अच्छे अस्पताल
मोतियाबिंद के इलाज के लिए हैदराबाद के सबसे अच्छे अस्पताल
मोतियाबिंद के इलाज के लिए चेन्नई के सबसे अच्छे अस्पताल
मोतियाबिंद के इलाज के लिए अहमदाबाद के सबसे अच्छे अस्पताल
- केयर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, सोला, अहमदाबाद
यदि आप इनमें से कोई अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं तो हमसे व्हाट्सएप (+91 9599004311) पर संपर्क कर सकते हैं।
स्यूडोफेकिया का निदान कैसे किया जाता है?
स्यूडोफेकिया आईओएल के लिए रोगी की आवश्यकता को समझने के लिए, डॉक्टर कुछ नेत्र परीक्षण करते हैं। जिसकी मदद से डॉक्टर यह पता लगा सकते हैं कि मरीज को स्यूडोफेकिक आईओएल की जरूरत है या नहीं। डॉक्टर को नीचे बताए गए एक या दो आई टेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं।
- विजुअल एक्यूटी टेस्ट : इसमें आपको एक नेत्र चार्ट पर अक्षरों को पढ़ने के लिए कहा जाता है। इस टेस्ट के जरिए दृष्टि की जांच की जाती है।
- विजुअल एक्यूटी टेस्ट: रोगी के परितारिका, लेंस और आंख की संरचना के साथ समस्याओं को देखने के लिए डॉक्टर एक विशेष रोशनी वाले उपकरण का उपयोग करता है।
- रेटिनल एक्जाम : इसके लिए डॉक्टर सबसे पहले पुतलियों को फैलाने के लिए ड्रॉप्स देते हैं। इससे रेटिना की जांच करना आसान हो जाता है। डॉक्टर फिर रेटिना और लेंस की जांच करने के लिए एक विशेष उपकरण का उपयोग करता है। जिससे मोतियाबिंद या अन्य किसी बीमारी का पता चल सके।
मोतियाबिंद कितने प्रकार के होते हैं?
- ट्रॉमेटिक मोतियाबिंद: आंख में चोट लगने के कारण होने वाले मोतियाबिंद को ट्रॉमेटिक मोतियाबिंद कहा जाता है। चोट लगने के कई साल बाद भी मोतियाबिंद हो सकता है।
- सेकेंडरी मोतियाबिंद: ग्लूकोमा सर्जरी के बाद इस प्रकार के मोतियाबिंद के विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
- रेडिएशन मोतियाबिंद: कुछ मोतियाबिंद विकिरण के संपर्क में आने के कारण होते हैं।
- जन्मजात मोतियाबिंद: यह जन्मजात या बचपन का मोतियाबिंद है। यह मोतियाबिंद बहुत छोटा होता है और आंखों की दृष्टि को प्रभावित नहीं करता है। लेकिन बढ़ती उम्र के साथ आंखों के लेंस को बदलना पड़ सकता है।
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