सरोगेसी क्या है ? क्यों किया जाता है इसका उपयोग – जाने इससे जुड़ी सारी जानकारी

सरोगेसी क्या है ? क्यों किया जाता है इसका उपयोग ? अक्सर ऐसे सवाल आपके दिमाग में आते होंगे। सरोगेसी तकनीक का सबसे ज्यादा उपयोग बॉलीवुड हस्तियों ने किया है। इस तकनीक का उपयोग करके करन जौहर, तुषार कपूर, शाहरूख खान आदि स्टार्स पेरेंट्स बनें हैं।आइये  विस्तारपूर्वक जानते हैं, की सरोगेसी क्या है और इसके जरिये संतान प्राप्ति का सुख कैसे लिया जा सकता है।

 

 

सरोगेसी क्या है

 

 

  • अगर किसी दंपति को किसी कारणवश संतान की प्राप्ति नहीं हो रही हो, तो वह सरोगेसी के जरिये संतान की ख़ुशी को हासिल कर सकते हैं। इस तकनीक को आसान शब्दों में ‘किराए की कोख’ भी कहा जाता है।

 

  • सरोगेसी प्रक्रिया में एक स्वस्थ महिला के शरीर में मेडिकल तकनीक के जरिये पुरूष के स्पर्म को इंजेक्ट किया जाता है। जिसके 9 महीने बाद एक स्वस्थ बच्चे का जन्म होता है। जो महिला इस तकनीक द्वारा गर्भधारण करती है, वो पूरे 9 महीने तक डॉक्टर्स की देखरेख में रहती हैं, ताकि उसे किसी तरह की समस्या न हो और वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके।

 

  • इस तकनीक की जरुरत इसलिए पड़ी, क्योंकि बहुत बार कुछ महिलाएं अपने कोख में बच्चा कंसीव नहीं कर पाती है, और जिस वजह से बार-बार उनका गर्भपात हो जाता है। ऐसी महिलाओं के लिए सरोगेसी एक वरदान है।

 

 

सरोगेसी के प्रकार

 

 

 

दो तरह की सरोगेसी होती है।

 

ट्रेडिशनल

 

यह एक पारंपरिक सरोगेसी है, जिसमे पिता के शुक्राणुओं को एक स्वस्थ महिला के अंडाणु के साथ प्राकृतिक रूप से उसमे निषेचित किया जाता है। शुक्राणुओं को सरोगेट मदर के नेचुरल ओव्युलेशन के समय डाला जाता है। इसमें जेनेटिक संबंध सिर्फ और सिर्फ पिता से होता है।

 

 

जेस्टेशनल

 

  • जेस्टेशनल सरोगेसी में माता-पिता के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर की बच्चेदानी में आसानी से प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।

 

  • इस प्रक्रिया में बच्चे का जेनेटिक संबंध मां और पिता दोनों से होता है। इस पद्धति में सरोगेट मदर को दवाईयां खिलाकर अंडाणु विहीन चक्र में रखना पड़ता है, जिससे बच्चा होने तक उसके अपने अंडाणु कभी भी न बन सके।

 

 

सरोगेसी के लिए भारत क्यों है पॉपुलर

 

 

भारत में सरोगेसी का खर्चा अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है। यहां बहुत सी गरीब और लाचार महिलाएं हैं, जो बड़ी ही आसानी से सरोगेट मदर बनने को तैयार हो जाती हैं। जब कोई महिला सरोगेट मदर बनती हैं, तो उनका प्रेग्नेंट होने से लेकर डिलीवरी होने तक अच्छी तरह से देखभाल किया जाता है, और साथ ही उन्हें अच्छी खासी रकम भी दी जाती है।

 

 

सरोगेसी से जुड़ी जानकारी

 

 

  • यह एक कानूनी प्रक्रिया भी है, क्योंकि इसमें मेडिकल क्लीनिक, महिला और निसंतान दंपति के बीच एक लीगल एग्रीमेंट किया जाता है। जिसमें सरोगेसी से जुड़ी सभी जरूरी शर्तों का उल्लेख किया जाता है।

 

  • इस तकनीक का उपयोग आमतौर पर निसंतान दंपति और आईवीएफ तकनीक के फेल होने के कारण किया जाता है।

 

  • सरोगेसी के लिए मान्यता प्राप्त मेडिकल क्लीनिक से ही संपर्क करके एक स्वस्थ महिला का चुनाव करे।

 

  • उसके बाद पुरूष के स्पर्म्स को महिला के शरीर में मेडिकल तकनीक के जरिए इंजेक्ट किया जाता हैं। और फिर महिला अगले 9 महीनों तक डॉक्टर्स की देखरेख में रहती है।

 

  • जब बच्चे का जन्म होता है तब मेडिकल क्लीनिक निसंतान दंपति को उनका बच्चा सौंप देता है और सरोगेट मदर को एक तय कीमत दे दी जाती है।

 

  • संशोधन ने सरोगेसी बिल 2018 में कई बदलाव किए। जिसके मुताबिक सरोगेसी महिला सिर्फ एक बार ही सरोगेसी कर सकेंगी।

 

  • कोई भी सिंगल, होमोसेक्शुअल सरोगेसी से पेरेंट्स नही बन सकते है।

 

  • यह तकनीक बहुत ही मंहगी प्रकिया होती है, जिसमे 8-12 लाख रूपये तक खर्च हो जाते है।

 

सरोगेसी की प्रकिया को चुनने से पहले इसके बारे में पूरी जानकारी लेना बहुत जरूरी होता है। इसलिए इस प्रक्रिया को अपनाने से पहले एक बार डॉक्टर से संपर्क जरूर करे और उनसे पूरी जानकारी ले।

 

 

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