सरोगेसी क्या है (Surrogacy In Hindi)
जिस दंपत्ति को किसी भी कारणवश संतान की प्राप्ति नहीं हो पाती है उनके लिए सरोगेसी किसी वरदान से कम नहीं है। आपने भी कभी ना कभी सरोगेसी के बारे में सुना होगा लेकिन बहुत से लोग अभी भी इससे अनजान है। आमिर खान, तुषार कपूर और करन जोहर कुछ ऐसे बड़े नाम हैं जिन्होंने सरोगेसी का सहारा लेकर संतान प्राप्ति की है। आइये आपको भी विस्तारपूर्वक इसकी जानकारी देते हैं की सरोगेसी क्या है और इसके जरिये संतान प्राप्ति का सुख कैसे लिया जा सकता है।
सरोगेसी एक ऐसा जरिया है जिससे कोई भी संतान की ख़ुशी हासिल कर सकता है | इस लेटेस्ट टेक्निक को अपनाकर आप भी माता-पिता होने का सुख पा सकते है | जी , हाँ सरोगेसी एक महिला और दंपती के बीच का एग्रीमेन्ट होता है | जो अपना खुद का बच्चा चाहता है | सामान्य शब्दों में अगर कहे तो सरोगेसी का मतलब है की बच्चे के जन्म तक एक महिला की किराए की खोक |
वैसे तो सरोगेसी की टेक्निक उन लोगो के लिएबनाइ गयी है जिन लोगो को खुद के बच्चे पैदा करने में मुश्किलें आती है | कभी किसी को बच्चे को जन्म देने में कठिनाई आती है , तो कभी बार-बार गर्भपात हो रहा हो या फिर या बार-बार आईवीएफ तकनीक फ़ैल रही हो | जो महिला किसी और दंपती के बच्चो को अपनी कोख से जन्म देने को तैयार हो जाती है उसे ही सरोगेट मदर के नाम से जाना जाता है |
सरोगेट एक बेहतर विकल्प है, खासकर उन लोगों के लिए जो बच्चा पैदा करने में असमर्थ हैं|सरोगेट उन लोगों के लिए खुला विकल्प है, जो बच्चे का इरादा रखते हैं | सरोगेट तब होता है जब एक महिला आपके लिए एक बच्चे को जन्म देती है | उसका बच्चे पर कोई अधिकार नहीं होता है |
सरोगेसी दो प्रकार की होती है-
1. ट्रेडिशनल सरोगेसी :
ट्रेडिशनल सरोगेसी में पिता के शुक्राणुओं को एक अन्य महिला के अंडाणुओं के साथ निषेचित किया जाता है। इसमें जैनेटिक संबंध सिर्फ पिता से होता है|
2. जेस्टेशनल सरोगेसी :
जेस्टेशनल सरोगेसी में माता-पिता के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर की बच्चेदानी में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इसमें बच्चे का जैनेटिक संबंध माता-पिता दोनों से होता है।
सबसे पहली बात यह है कि यहां भारत में किराए की कोख लेने का खर्चा यानी सरोगेसी का खर्चा अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है और साथ ही भारत में ऐसी बहुत सी गरीब और लाचार महिलाएं भी मौजूद हैं जो बड़ी ही आसानी से सरोगेट मदर बनने को तैयार हो जाती हैं | एक ओर जहां, सरोगेट मदर जो बनती हैं उनका प्रेग्नेंट होने से लेकर डिलीवरी तक अच्छी तरह से देखभाल किया जाता है |
गर्भ के दौरान महिलाओं को 9 महीने के मेडिकल ट्रीटमेंट में रखना, उसके खाने-पीने का ख्याल रखना सरोगेसी कराने वाले माता- पिता या पिता की जिम्मेदारी होती है | एक रिपोर्ट के अनुसार ये महिलाएं ज्यादातर गरीब होती हैं इसलिए कभी कभी वे बहुत कम पैसों में भी वे सरोगेट बनने के लिए तैयार हो जाती हैं | इसमें उन्हें तेज शारीरिक दर्द का भी सामना करना पड़ता है और एक बाद एक बच्चे पैदा करने में वे बहुत जल्द काफी कमजोर हो जाती हैं |
सेरोगेसी क्यों चुने
सरोगेट एक बेहतर विकल्प है, खासकर उन लोगों के लिए जो बच्चा पैदा करने में असमर्थ हैं। सरोगेट उन लोगों के लिए खुला विकल्प है, जो बच्चे का इरादा रखते हैं। सरोगेट तब होता है जब एक महिला (“सरोगेट मां”) आपके लिए एक बच्चे को जन्म देती है। उसका बच्चे पर कोई अधिकार नहीं होता है और इस तरह बच्चा, जैसे ही पैदा होता है, कानूनी तौर पर उसका अधिकार नहीं होगा।
कैसे एक सरोगेट चुनें
अगर आप एक सरोगेट एजेंसी के माध्यम से जाते हैं, तो आपको संभावित सरोगेट मां से साक्षात्कार करने का अवसर दिया जाएगा। इस तरह आप कई सवाल को पूछ सकते सकते हैं। अधिकांश लोगों को पता नहीं है कि एक सरोगेट क्या है। अत्यंत सावधानी और ध्यान देने के साथ यह एक बड़ा निर्णय है। ऐसे लोगों के बारे में कोई नियम नहीं है जो सरोगेट बन सकते हैं, इसलिए इनमें से अधिकांश मानदंड व्यक्तिपरक हैं।
सरोगेसी के लिए भारत क्यों है पॉपुलर
सबसे पहली बात यह है कि यहां भारत में किराए की कोख लेने का खर्चा यानी सरोगेसी का खर्चा अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है और साथ ही भारत में ऐसी बहुत सी गरीब और लाचार महिलाएं भी मौजूद हैं जो बड़ी ही आसानी से सरोगेट मदर बनने को तैयार हो जाती हैं। एक ओर जहां, सरोगेट मदर जो बनती हैं उनका प्रेग्नेंट होने से लेकर डिलीवरी तक अच्छी तरह से देखभाल किया जाता है, वहीं साथ ही उन्हें अच्छी खासी रकम भी दी जाती है।
एक रिपोर्ट की मानें तो सरोगेसी सबसे ज्यादा भारत में ही होते हैं। जहां एक ओर पूरी दुनिया में साल में 500 सरोगेसी के मामले होते हैं तो वहीं उनमें से 300 सिर्फ भारत में ही होते हैं। बता दें कि भारत में गुजरात राज्य के अलावा मुंबई एवं कुछ अन्य प्रांतों में यह सुविधाएं मिल जाती हैं। हालांकि भारत में यह सुविधा सस्ती मिल जाती है, इसलिए विदेशी भी किराए कोख के लिए भारत की ओर रुख ज्यादा करते हैं।
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