जानिए भारत में टोटल नी रिप्लेसमेंट की सफलता दर कितनी है?

टोटल नी रिप्लेसमेंट भारत में सबसे ज्यादा की जाने वाली और प्रभावी ओर्थपेडीक प्रक्रिया में से एक हैं। टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की जरुरत अधिकतर तब पड़ती हैं जब मरीज को चलने, बैठने में बहुत अधिक महसूस हो। इस सर्जरी में, घुटने के क्षतिग्रस्त हिस्से को हटाकर उसकी जगह कृत्रिम जोड़ (prosthetic knee) लगाया जाता है। इस ब्लॉग में हम टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के बारे में विस्तार से जानेंगे – सर्जरी क्या होती है, इसके कारण, प्रक्रिया, और इसके बाद की देखभाल।

 

 

टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी क्या है?

 

टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी एक प्रकार की ऑर्थोपेडिक सर्जरी होती है, जिसमें घुटने के क्षतिग्रस्त हिस्से को हटाकर उसकी जगह कृत्रिम जोड़ (artificial joint) लगाया जाता है। घुटने में सामान्य तौर पर तीन मुख्य हिस्से होते हैं:

 

  • फीमर (Femur): यह आपकी जांघ की हड्डी होती है।
  • टिबिया (Tibia): यह आपके पैर की निचली हड्डी होती है।
  • पटेला (Patella): जिसे हम घुटने की टोपी (kneecap) के रूप में जानते हैं।

 

जब घुटने के इन हिस्सों में गठिया या अन्य विकारों की वजह से क्षति होती है, तो घुटना ठीक से काम नहीं करता, और व्यक्ति को असहनीय दर्द होता है। सर्जरी में इन क्षतिग्रस्त हिस्सों को हटा दिया जाता है और उनकी जगह कृत्रिम धातु या प्लास्टिक के बने हिस्सों को लगाया जाता है, ताकि घुटने को सामान्य रूप से कार्य करने में मदद मिले।

 

टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की आवश्यकता क्यों होती है?

 

टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी आमतौर पर उन लोगों के लिए होती है, जिनके घुटनों में लंबे समय से दर्द है और अन्य उपचारों, जैसे दवाएं, थेरेपी, या इंजेक्शन से भी राहत नहीं मिल रही है। कुछ प्रमुख कारण जो इस सर्जरी की आवश्यकता को दर्शाते हैं, वे निम्नलिखित हैं:

 

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis): यह सबसे आम कारण होता है। उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों के कार्टिलेज (cartilage) में टूट-फूट होने लगती है, जिससे हड्डियाँ आपस में रगड़ने लगती हैं और दर्द, सूजन और जकड़न पैदा होती है।

 

  • रूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis): यह एक ऑटोइम्यून बीमारी होती है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से जोड़ों पर हमला करती है। इससे सूजन, दर्द और घुटने का क्षतिग्रस्त होना शुरू हो जाता है।

 

  • घुटने में गंभीर चोट (Severe Knee Injury): कभी-कभी घुटने में गंभीर चोट लगने से भी सर्जरी की जरूरत पड़ती है। चोट के कारण हड्डियाँ टूट सकती हैं या जोड़ बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जिससे दर्द और अस्थिरता पैदा हो सकती है।

 

  • जोड़ों में संक्रमण (Joint Infection): किसी भी प्रकार का संक्रमण घुटने की कार्यक्षमता को खराब कर सकता है, जिससे घुटने का बदलना आवश्यक हो जाता है।

 

 

टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए उपयुक्त समय क्या हो सकता हैं ?

 

सर्जरी का निर्णय लेना एक महत्वपूर्ण कदम है, और इसे डॉक्टर के साथ मिलकर सावधानीपूर्वक विचार करके लिया जाना चाहिए। अगर निम्नलिखित स्थितियां हो रही हैं, तो यह सर्जरी कराने का सही समय हो सकता है:

 

  • घुटने में गंभीर और निरंतर दर्द, जो दवाइयों और फिजियोथेरेपी से ठीक नहीं हो रहा है।
  • चलने, सीढ़ियां चढ़ने या उठने-बैठने जैसी दैनिक गतिविधियों में कठिनाई।
  • आराम के समय भी घुटने में दर्द या सूजन रहना।
  • डॉक्टर द्वारा सुझाए गए सभी उपचारों के बाद भी घुटने की हालत में सुधार न होना।
  • घुटने में अस्थिरता, जिसके कारण खड़े रहना या चलना मुश्किल हो जाता है।

 

 

टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की तैयारी किस प्रकार की जाती हैं ?

 

टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी से पहले की तैयारी बहुत महत्वपूर्ण होती है। इससे सर्जरी के बाद की रिकवरी को तेज और सफल बनाने में मदद मिलती है। सर्जरी से पहले डॉक्टर कुछ जरूरी जांच और परीक्षण करवाते हैं, जैसे:

 

  • ब्लड टेस्ट और यूरीन टेस्ट: शरीर की सामान्य स्थिति और संक्रमण की जांच के लिए।

 

  • एक्स-रे और एमआरआई स्कैन: घुटने की हड्डियों और कार्टिलेज की स्थिति को सही से समझने के लिए।

 

  • एनेस्थीसिया परामर्श: एनेस्थीसिया (निश्छेदन) विशेषज्ञ से मिलकर यह तय किया जाता है कि सर्जरी के दौरान कौन सा एनेस्थीसिया उपयोग किया जाएगा – जनरल एनेस्थीसिया (पूरे शरीर को सुन्न करना) या लोकल एनेस्थीसिया (केवल घुटने के क्षेत्र को सुन्न करना)।

 

  • मेडिकेशन तैयारी: सर्जरी से पहले कौन-कौन सी दवाइयाँ ली जा सकती हैं और कौन-सी बंद करनी पड़ेंगी, इसके बारे में जानकारी दी जाती है।

 

 

टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की प्रक्रिया

 

टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी आमतौर पर 1 से 2 घंटे में पूरी हो जाती है। सर्जरी की प्रक्रिया इस प्रकार होती है:

 

  • एनेस्थीसिया: सबसे पहले मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है, ताकि सर्जरी के दौरान कोई दर्द महसूस न हो।

 

  • चीर लगाना (Incision): सर्जन घुटने के सामने की ओर एक चीरा लगाते हैं, जिससे वे घुटने के जोड़ तक पहुंच सकें। आमतौर पर यह चीरा 6 से 10 इंच लंबा होता है।

 

  • क्षतिग्रस्त हिस्से को हटाना: घुटने की जांघ की हड्डी (Femur), टिबिया (Tibia) और घुटने की टोपी (Patella) के क्षतिग्रस्त हिस्सों को हटाया जाता है।

 

  • कृत्रिम जोड़ लगाना: हड्डियों के क्षतिग्रस्त हिस्सों को हटाने के बाद, उनकी जगह कृत्रिम जोड़ लगाए जाते हैं। यह कृत्रिम जोड़ धातु (metal) याप्लास्टिक (plastic) के हो सकते हैं, और इन्हें हड्डियों से मजबूती से जोड़ दिया जाता है।

 

  • सर्जरी का समापन: कृत्रिम जोड़ लगाने के बाद, चीरे को सिला जाता है, और घुटने को पट्टी बांधकर स्थिर किया जाता है।

 

 

सर्जरी के बाद की देखभाल किस प्रकार करनी चाहिए ?

 

सर्जरी के बाद की देखभाल और पुनर्वास (Rehabilitation) टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। सही देखभाल से मरीज जल्द ही सामान्य जीवन में लौट सकता है। सर्जरी के बाद की देखभाल के निम्नलिखित चरण होते हैं:

 

  • आईसीयू में देखभाल: सर्जरी के तुरंत बाद मरीज को आईसीयू (Intensive Care Unit) में ले जाया जाता है, ताकि उसकी स्थिति पर निगरानी रखी जा सके।

 

  • दर्द प्रबंधन: सर्जरी के बाद दर्द होना सामान्य है, इसलिए डॉक्टर पेनकिलर या दर्द निवारक दवाइयाँ देते हैं। धीरे-धीरे दर्द कम होता है और मरीज सामान्य गतिविधियों में लौटने लगता है।

 

  • फिजियोथेरेपी: फिजियोथेरेपी सर्जरी के बाद की सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। इससे घुटने की गतिशीलता और ताकत वापस आती है। फिजियोथेरेपिस्ट मरीज को हल्के व्यायाम करवाते हैं, जिससे घुटने का लचीलापन बढ़ता है और चलने-फिरने में मदद मिलती है।

 

  • चलने का अभ्यास: सर्जरी के कुछ दिनों बाद, डॉक्टर मरीज को चलने की सलाह देते हैं। शुरुआत में वॉकर या बैसाखी का सहारा लिया जाता है,लेकिन धीरे-धीरे मरीज बिना किसी सहारे के चलने की स्थिति में आ जाता है।

 

  • घाव की देखभाल: घुटने पर लगी सर्जिकल पट्टी को साफ और सूखा रखना बेहद जरूरी है, ताकि संक्रमण का खतरा न हो। डॉक्टर समय-समय पर घाव की जांच करते हैं और अगर कोई जटिलता होती है, तो तुरंत उपाय करते हैं।

 

 

भारत में टोटल नी रिप्लेसमेंट की सफलता दर कितनी है?

 

भारत में टोटल नी रिप्लेसमेंट की सफलता दर काफी ऊँची है, और यह आमतौर पर 90-95% के आसपास होती है। आधुनिक तकनीक, अनुभवी सर्जन, और उन्नत इम्प्लांट के कारण यह प्रक्रिया अधिकांश रोगियों के लिए प्रभावी और सुरक्षित मानी जाती है।

 

 

टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद के संभावित जोखिम क्या होते हैं ?

 

हर सर्जरी के साथ कुछ जोखिम भी होते हैं, और टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी भी इससे अलग नहीं है। हालांकि सर्जरी से पहले डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि मरीज की स्थिति इस प्रक्रिया के लिए उपयुक्त हो, फिर भी कुछ संभावित जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे:

 

  • संक्रमण: सर्जरी के बाद घाव में संक्रमण होने का खतरा रहता है। इसके लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक्स देते हैं और घाव की नियमित सफाई करने की सलाह देते हैं।

 

  • रक्तस्राव: सर्जरी के बाद घुटने या उसके आसपास रक्तस्राव हो सकता है, जिसे डॉक्टर तुरंत नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं।

 

  • रक्त के थक्के (Blood Clots): टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद रक्त के थक्के बनने का खतरा होता है, खासकर पैरों में। इसके लिए एंटीकोआगुलेंट दवाइयाँ दी जाती हैं और डॉक्टर मरीज को समय-समय पर पैर हिलाने और हल्का व्यायाम करने की सलाह देते हैं।

 

  • कृत्रिम जोड़ में ढीलापन: सर्जरी के बाद कभी-कभी कृत्रिम जोड़ ढीला हो सकता है, जिससे फिर से सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि यह समस्या बहुत ही दुर्लभ होती है।

 

 

टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए भारत के अच्छे अस्पताल-

 

 

 

निष्कर्ष:

टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी उन लोगों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प है, जिनके घुटनों में गंभीर दर्द है और जिनका जीवन इस दर्द से प्रभावित हो रहा है। यह सर्जरी न केवल घुटने के दर्द से राहत दिलाती है, बल्कि मरीज को उसकी दैनिक गतिविधियों को स्वतंत्र रूप से करने में सक्षम बनाती है। सही देखभाल और पुनर्वास के साथ, सर्जरी के बाद मरीज सामान्य जीवन जी सकता है और एक सक्रिय जीवनशैली अपना सकता है।

 

 

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