डायबिटीज के दो प्रकार है – टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज। टाइप 1 डायबिटीज में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है या फिर इंसुलिन बनना बंद हो जाता है, पर इस डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन टाइप 2 डायबिटीज से ग्रसित लोगों का ब्लड शुगर का लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और फिर इसे कंट्रोल करना बहुत मुश्किल होता है।
किसे होता है टाइप 1 डायबिटीज
इस डायबिटीज में पैन्क्रियाज की बीटा कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं और इस वजह से इंसुलिन का बनना बंद हो जाता है। यह अनुवांशिक कारणों , ऑटो-इम्यून या फिर वायरल संक्रमण की वजह से होता है।
ये बीमारी किसी को भी हो सकता है, लेकिन टाइप 1 डायबिटीज आमतौर कम उम्र के लोगो में देखने को मिलती है। यह ऐसी बीमारी है , जो बच्चों में होती है। हालांकि भारत में 1% से 2% लोगों में ही टाइप 1 डायबिटीज होती है।
टाइप 1 डायबिटीज , ज्यादातर 12 से 25 साल के उम्र के लोगो में देखने को मिलती है।
टाइप 1 लक्षण
- बार-बार पेशाब आना ,
- बहुत प्यास लगना,
- पानी की कमी होना,
- कमजोरी महसूस होना,
- दिल की धड़कन का बढ़ना,
- हमेशा भूक का अहसास होना,
- धुंधला दिखाई देना,
- घाव का धीरे-धीरे ठीक होना,
- वजन कम होना,
- ब्लड प्रेशर हाई होना,
- सिरदर्द होना,
डायबिटीज से बचने के लिए इंसुलिन दिया जाता है। इंसुलिन एक तरह का हॉर्मोन है , जो हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है। इसके जरिए ही रक्त कोशिकाओं को शुगर मिलती है, और यह हमारे शरीर में शुगर पहुंचाने का भी काम करता है , जिससे
कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है।
टाइप 1 डायबिटीज किन कारणों से होता है?
- यह एक ऑटोइम्यून बीमारी माना जाता है। इस बीमारी में शरीर की बीटा कोशिकाओं पर असर पड़ता है। ये कोशिकाएं हैं जो इंसुलिन बनाती हैं।
- मधुमेह ज्यादातर वंशानुगत और जीवनशैली बिगड़ी होने के कारण होता है।
- टाइप 1 डायबिटीज में वह लोग आते हैं , जिनके परिवार में माता-पिता या पहले से किसी को मधुमेह हो तो परिवार के सदस्यों को यह बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है।
- इसके अलावा यदि आप शारीरिक श्रम कम करते हैं,
- खान-पान पर ध्यान न देने की वजह से भी हो सकता है डायबिटीज का खतरा,
- फास्ट फूड और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से भी मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है,
- जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। जिसे हम डायबिटीज कहते है। इंसुलिन एक हार्मोन है, जो कि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है , जिसका काम शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। इस हार्मोन की वजह से शरीर में शुगर की मात्रा कंट्रोल होती है। मधुमेह हो जाने पर शरीर में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।
टाइप 1 डायबिटीज वाली समस्याएं क्या हैं?
शुगर का अधिक होना होना शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है , जिससे हमे बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पर सकता है , जैसे की –
- आँखों की समस्याओं, अंधापन होना,
- नर्व में पैन हो सकता है,
- त्वचा पर संक्रमण, विशेष रूप से पैरो में,
- किडनी खराब हो सकता है,
- हाई ब्लड प्रेशर,
- कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का बढ़ना,
टाइप 1 मधुमेह का इलाज कैसे किया जाता है?
यदि आपको टाइप 1 डायबिटीज है, तो आपका शरीर अपना इंसुलिन नहीं बना सकता है। आपको अपने शरीर को अपने रक्त में शर्करा का उपयोग करने में मदद करने के लिए इंसुलिन लेने की आवश्यकता होती है । आप उचित आहार और व्यायाम के साथ अपने रक्त शर्करा के स्तर को स्वस्थ श्रेणी में रखने में मदद कर सकते हैं।
इंसुलिन
टाइप 1 मधुमेह वाले लोगों को हर दिन इंसुलिन लेना चाहिए। आप आमतौर पर एक इंजेक्शन के माध्यम से इंसुलिन लेते हैं। लेकिन कुछ लोग इंसुलिन पंप का उपयोग करते हैं। पंप त्वचा में इंसुलिन इंजेक्ट करता है। यह रक्त शर्करा के स्तर को कण्ट्रोल रखता है.
इंसुलिन की आपको जरूरत पूरे दिन बदलती रहती है। टाइप 1 मधुमेह वाले लोग नियमित रूप से अपने रक्त शर्करा को मापने के लिए यह पता लगाते हैं कि उन्हें कितना इंसुलिन की आवश्यकता है। आहार और व्यायाम दोनों रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं।
आहार
टाइप 1 मधुमेह वाले लोगों को रक्त शर्करा को स्थिर रखने के लिए नियमित भोजन और स्नैक्स (snacks)खाने चाहिए। मधुमेह से परिचित आहार विशेषज्ञ एक स्वस्थ, संतुलित भोजन योजना स्थापित करने में मदद कर सकते हैं।
व्यायाम
व्यायाम भी रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। आपके व्यायाम के स्तर के अनुसार इंसुलिन की मात्रा को समायोजित करने की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए रोज नियमित रूप से व्यायाम करे।
टाइप 1 डायबिटीज का इलाज उचित उपचार से किया जा सकता है, जैसे इंसुलिन लेना, स्वस्थ आहार लेना और व्यायाम करना। जो लोग अपने स्वस्थ का ध्यान सही से रखते है और समय-समय पर डॉक्टर से जांच कराते है , वे हमेसा स्वस्थ रहते है. इसलिए किसी तरह की समस्या होने पर तुरंत ही डॉक्टर से सम्पर्क करके उनसे जांच कराये।
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