बेचैन पैर सिंड्रोम (Bechain per syndrome) को अंग्रेजी में रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (restless leg syndrome) के नाम से जाना जाता है। इसका नाम सुनकर आपको घबराने की जरुरत नहीं है, यह किसी को भी हो सकता है। इसके पीछे उसकी मानसिक या शारीरिक समस्याएं भी एक कारण हो सकती हैं, ऐसा आपके द्वारा ली गई कुछ दवाओं की वजह से भी हो सकता है। इसे विलिस-एकबॉम रोग (Willis-Ekbom disease) के रूप में भी जाना जाता है।
बेचैन पैर सिंड्रोम (Bechain per syndrome) को हल्के या गंभीर रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, इसके लक्षणों का बार-बार होना इसे और भी गंभीर बनाता है। ज्यादातर ये समस्या तब होती है जब आप अपने शरीर में अचानक कोई झटका देते हैं तभी आपके पैरों में अचानक एक साथ कई नसे खिचती हैं, जिसकी वजह से आपको बहुत तेज उस हिस्से पर दर्द होता है। दरअसल बेचैन पैर सिंड्रोम (Bechain pair syndrome) ज्यादातर लोगों को रात में सोते वक़्त होता है।
किसी-किसी को तो ये समस्या इतनी ज्यादा होती है कि वह रात में चैन से सो भी नहीं पाते हैं। इसकी वजह से उन्हें बहुत ज्यादा बेचैनी होती है। जबकि कुछ दिनों तक उसी हिस्से में दर्द होता रहता है और अपने आप ठीक भी हो जाता है। आखिर क्या है बेचैन पैर सिंड्रोम के लक्षण जिन्हें समझ कर आप इससे बच सकते हैं।
बेचैन पैर सिंड्रोम के लक्षण
- पिंडली में जलन महसूस होना (burning),
- सुई चुभने जैसा महसूस होना,
- पैर में बिजली के हल्के झटके महसूस होना (similar to electric shocks),
- खिचाव महसूस होना (tugging),
- झुनझुनी आना (tingling),
- सोते समय अंगड़ाई लेना।
यदि आप इस बेचैन पैर सिंड्रोम से बचना चाहते हैं, तो आपको तुरंत अपने पैरों को हिलाना होगा या तुरंत उस हिस्से में मूवमेंट करना पड़ेगा, तभी आपको उसमें आराम महसूस होगा। यदि उस दौरान आप स्थिर रहेंगे तो इसका दर्द और भी बढ़ेगा जो आपके लिए और भी कष्ट दाई होगा।
बेचैन पैर सिंड्रोम के लक्षण आमतौर पर समय के साथ और भी बिगड़ जाते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए सप्ताह या महीना बिना किसी लक्षण के गुजर जाता है। रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (RLS) एक बीमारी है, जो गर्भावस्था या दवा के कारण भी हो सकती है।
बैचैन पैर सिंड्रोम वाले अधिकांश लोगों में पीरिऑडिक लिंब मूवमेंट डिसऑर्डर (periodic limb movement disorder PLMD) नामक एक स्थिति होती है। पीएलएमडी एक ऐसी स्थिति है जब कोई व्यक्ति पैर में अंगड़ाई या झटका देता है तब उसके साथ ऐसा होता है। ऐसा आमतौर पर नींद लेने के दौरान होता है। (PLMD) और आरएलएस भी इससे प्रभावित कर सकते हैं।
बेचैन पैर सिंड्रोम से बचने के उपाए
वैसे तो अभी तक इसका कोई इलाज नहीं मिला है, लेकिन आप इसके लिए कुछ सावधानी भरे कदम जरूर उठा सकते हैं :
मसाज : यदि आपके साथ ऐसा होता है तो आपको अपने हाथों से मसाज करनी चाहिए, इससे आपको काफी आराम मिल जाएगा। मसाज के लिए आप चाहे तो सरसों के तेल का इस्तेमाल कर सकतें हैं।
हीटिंग पैड : बेचैन पैर सिंड्रोम किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है यदि आपके साथ ऐसा बार बार होता है, तो आप हीटिंग पैड का इस्तेमाल जरूर करें। क्योंकि इससे आपको काफी जल्दी आराम मिल जाएगा।
लेग्स स्ट्रैचिंग वाली एक्सरसाइज ना करें : ये समस्या आपको तब भी होती है, जब आप अपने पैरों से स्ट्रैचिंग वाली एक्सरसाइज ज्यादा करते हैं। इसलिए आप यही कोशिश करें की लेग्स स्ट्रैचिंग वाली एक्सरसाइज कम ही करें, इसकी वजह से आपको ये परेशानी ज्यादा हो सकती है।
नशीले पदार्थो का सेवन : जब कोई व्यक्ति जरुरत से ज्यादा धूम्रपान, शराब या अन्य हाई डोज दवाओं का सेवन करते हैं, तो इसकी वजह से भी ये दिक्कत हो सकती है। इसलिए नशीले पदार्थो का सेवन बिल्कुल बंद कर दें, क्योंकि इसकी वजह से आपको और भी कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
बेचैन पैर सिंड्रोम से अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ
पेरिफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy) : आपके हाथों और पैरों की नसों को यह नुकसान कभी-कभी मधुमेह और शराब की वजह से भी हो सकता है इसकी वजह से आपको पेरिफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy) भी करानी पड़ सकती है।
आयरन की कमी (Iron deficiency) : एनीमिया के बिना भी, शरीर में आयरन की कमी आरएलएस (RLS) का कारण हो सकता है। यदि महिलाओं ने बहुत ज्यादा मासिक धर्म का अनुभव किया हो, या आप बार-बार रक्त दान करते हैं, तो इसकी वजह से भी आपके शरीर में आयरन की कमी हो सकती है।
किडनी हो सकती है खराब (Kidney failure) : यदि पहले कभी आपकी किडनी ख़राब हुई है, तो इसके पीछे की एक वजह आपके शरीर में आयरन की कमी भी हो सकती है। जब किडनी ठीक से काम नहीं करती हैं, तो आपके रक्त में आयरन की कमी हो सकते हैं।
रीढ़ की हड्डी को होता है नुकसान (Spinal cord conditions) : जब किसी कारण आपकी रीढ़ की हड्डी को क्षति या चोट लग जाती है तो इसके कारण भी आपके साथ ऐसा हो सकता है। रीढ़ की हड्डी में एनेस्थेसिया होने से रीढ़ की हड्डी का ब्लॉक और आरएलएस (RLS) विकसित होने का जोखिम भी बढ़ाता है। इसलिए आपको ऐसी किसी भी स्थिति को बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। आप चाहें तो ऐसा होने पर हमारे डॉक्टर से सलाह लें सकते हैं।
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