जाने ओवेरियन सिस्ट होने के कारण और लक्षण।

आजकल के समय में महिलाओं में ओवेरियन सिस्ट की समस्या अधिक देखने को मिल रही हैं। यह एक आम समस्या हैं परन्तु अगर समस्या अधिक बढ़ जाती हैं तो यह बीमारी गंभीर हो सकती हैं और अधिक घातक भी साबित हो सकती हैं। ओवेरियन सिस्ट की समस्या बिना किसी लक्षण के भी हो सकती हैं इसलिए इस बीमारी को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। यदि ओवरियन सिस्ट की समस्या अधिक बढ़ती हैं तो ओवरियन कैंसर होने का खतरा भी अधिक बढ़ जाता हैं।  इसलिए इससे सम्बंधित कोई भी समस्या हो तो डॉक्टर से अवश्य संपर्क करे

 

 

 

ओवेरियन सिस्ट क्या होता हैं ?

 

 

ओवेरियन सिस्ट अंडाशयों में बनने वाली एक सिस्ट हैं जो की एक थैली में भरे हुए तरल प्रदार्थ यानि एक गांठ की तरह होते हैं। ओवेरियन सिस्ट को ओवरी में गांठ के नाम से भी जाना जाता हैं। यदि किसी महिला को ओवेरियन सिस्ट की समस्या होती हैं तो उन्हें गर्भधारण करने में भी परेशानी आती हैं। ओवेरियन सिस्ट की शुरुआत में इसका इलाज करा लेना चाहिए ताकि यह अधिक विकसित न हो पाए।

 

 

 

ओवेरियन सिस्ट के कितने प्रकार होते हैं ?

 

 

ओवेरियन सिस्ट के निम्नलिखित चार प्रकार होते हैं-

 

 

 

  • कॉर्पस लुटियम सिस्ट

 

  • डरमोइड सिस्ट

 

  • एंडोमेट्रियोड सिस्ट

 

 

ओवेरियन सिस्ट के लक्षण क्या नज़र आते हैं ?

 

 

ओवेरियन सिस्ट की समस्या बिना कोई लक्षण दिखे भी उत्पन्न हो सकती हैं। इस बीमारी के लक्षण कोई सामान्य नहीं होते हैं तथा सभी महिलाओं में लक्षण भिन्न नज़र आते हैं। यदि किसी महिला को ओवेरियन सिस्ट की शिकायत होती हैं तो डॉक्टर के अनुसार लक्षण कुछ इस प्रकार नज़र आते हैं जैसे की-

 

 

 

 

 

ओवेरियन सिस्ट होने के कारण क्या हो सकते हैं ?

 

 

ओवेरियन सिस्ट होने के निम्नलिखित कारण होते हैं –

 

 

फॉलिक्युलर सिस्ट: मासिक धर्म के दौरान फॉलिक्युलर सिस्ट बनने लगती है, हर माह ये थैली फट जाती है और अंडे इससे बाहर निकल जाते हैं लेकिन जब यह थैली फटने में असमर्थ रहती है, उस समय अंडाशय में मौजूद तरल पदार्थ सिस्ट या गांठ का रूप ले लेता है।

 

 

बिनाइन सिस्ट: जब ओवरी के ऊतक विकसित होकर शरीर के किसी अन्य हिस्सों में ऊतकों को विकसित करते हैं, तो उस स्थिति को बिनाइन सिस्ट कहा जाता है। बिनाइन सिस्ट का आकार अगर 5 सेंटीमीटर से बढ़ जाए तो यह अधिक घातक होता हैं।

 

 

एंडोमेट्रियोमा: यह एंडोमेट्रियोसिस नामक समस्या के कारण होता है, जिसमें कोशिकाएं गर्भाशय के अंदर असामान्य रूप से बढ़ने लग जाती हैं और सीस्ट का रूप धारण कर ले लेती हैं।

 

 

 

ओवेरियन सिस्ट का इलाज किस प्रकार होता हैं ?

 

 

ओवेरियन सिस्ट का इलाज निम्नलिखित तरीको से होता हैं जैसे की –

 

 

मेडिकल आब्ज़र्वेशन: अगर महिला की उम्र 40 साल के आसपास है और उसके मासिक धर्म सही चल रहे हैं, तो उन्हें आमतौर पर फॉलिक्युलर सिस्ट होती है। आमतौर पर इस सिस्ट से किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है। निदान के दौरान मिली समस्याओं के अनुसार 40 के आसपास की उम्र में हुई ओवेरियन सिस्ट में नियमित रूप से डॉक्टर से जांच जरूर होती है और मैलिग्नैंट ओवेरियन सिस्ट में तुरंत इलाज शुरू करने की आवश्यकता पड़ती है।

 

 

सर्जरी: अगर ओवेरियन सिस्ट के दौरान ट्यूमर विकसित हो गया है, तो बिनाइन या मैलिग्नैंट दोनों ही स्थितियों में सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। अगर बिनाइन ट्यूमर फट कर रक्तस्राव हो रहा है, तो यह एक इमरजेंसी स्थिति हो सकती है। अगर निदान के दौरान कैंसर या कैंसर युक्त ट्यूमर मिला है, तो उसे फैलने से रोकने के लिए तुरंत सर्जरी करने की आवश्यकता पड़ सकती है।

 

 

दवाएं: ओवेरियन सिस्ट का इलाज करने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। हालांकि, फंक्शनल सिस्ट का इलाज करने में ये प्रभावी रूप से काम नहीं कर पाती हैं।

 

 

 

ओवेरियन सिस्ट के इलाज के लिए भारत के अच्छे अस्पताल।

 

 

 

 

यदि आप ओवेरियन सिस्ट का इलाज कराना चाहते हैं, या इससे सम्बंधित किसी भी समस्या का इलाज कराना चाहते हैं, या कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें। इसके अलावा आप प्ले स्टोर (play store) से हमारा ऐप डाउनलोड करके डॉक्टर से डायरेक्ट कंसल्ट कर सकते हैं। आप हमसे व्हाट्सएप (+91 9599004311) पर भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमे connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी।


Disclaimer: GoMedii  एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।