ब्रेन अटैक से ज्यादा खतरनाक लैग अटैक

भारत में क्रिटिकल लिम्ब इस्कीमिया (Acute limb ischaemia) (सीएलआई) या लैग अटैक (leg attack) की समस्या ज्यादातर मधुमेह (diabetes) से पीड़ित रोगियों में देखने को मिलती है। मेदांता के वस्कुलर स्पेशलिस्ट डॉ. राजीव पारख के अनुसार, प्रत्येक वर्ष मधुमेह के 20 फीसदी रोगी क्रिटिकल लिम्ब इस्कीमिया या लैग अटैक की चपेट में आते हैं। कई बार इसकी वजह से मरीजों को अपने अंग तक कटवाने पड़ जाते हैं, जबकि संक्रमण (infection) ज्यादा फैलने की स्थिति में यह जानलेवा भी हो सकता है।

 

मधुमेह (diabetes) के मामले में सलाह दी जाती है कि मरीज चेहरे से ज्यादा अपने पैरों की देखभाल ज्यादा करे। इसकी वजह यह है कि उनके पैरों की धमनियों (Arteries) के पूर्ण या आंशिक तौर पर अवरुद्ध होने व संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है। डॉ. राजीव के अनुसार, आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण शुरुआती चरण में सामने नहीं आते लेकिन बचाव के तौर पर विशेषज्ञ मधुमेह से पीडि़त लोगों को साल में एक बार पैरों की अल्ट्रासाउंड डॉप्लर (Ultrasound Doppler) जैसी जांच कराने की सलाह देते हैं।

 

धमनियां अवरुद्ध

 

लैग अटैक (leg attack) गंभीर बीमारी होती है, जिसमें प्रभावित हिस्से में रक्त के संचार (blood circulation) को बहाल करने के लिए तत्काल इलाज की जरूरत होती है। मरीजों में एक साथ कई धमनियां अवरुद्ध हो जाती हैं। इसमें इलाज के तहत पैरों को बचाना, दर्द से राहत व रक्त के प्रवाह में सुधार करना होता है। बीमारी रोकने व उच्च रक्तचाप (blood pressure) , उच्च कोलेस्ट्रॉल (cholesterol)  तथा मधुमेह जैसे जिम्मेदार कारकों के प्रभाव को कम करने और दर्द से राहत के लिए दवाइयों (medicine) की सलाह दी जा सकती है। थक्का बनने से रोकने या संक्रमण खत्म करने के लिए दवाएं दी जा सकती हैं, परंतु एक बार धमनियों के अवरुद्ध हो जाने पर उन्हें दवा की मदद से खोला नहीं जा सकता।

 

एंडोवस्कुलर उपचार

 

इस मामले में दिल (heart) की धमनियों में किए जाने वाले बैलूनिंग (ballooning), स्टेंटिंग (Stenting) जैसे उपचार (treatment) किए जाते हैं। पैरों की धमनियों में कैथेटर (catheter) डाले जाते हैं ताकि प्रभावित हिस्से तक पहुंचा जा सके। अवरुद्ध धमनियों को खोलने के लिए कैथेटर से छोटे बैलून (baloon) को धमनियों में प्रवेश कराते हुए एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) भी की जा सकती है। बैलून को फुलाते हैं जिससे धमनियां खुल जाती हैं और रक्त का प्रवाह होने लगता है। इसके बाद धातु से बना स्टेंट नामक उपकरण प्रवेश कराया जाता है। अन्य उपचार अथ्रेक्टॉमी (orthotropic) के तहत धमनियों के भीतर जमी परत हटाने के लिए कैथेटर के साथ घूमते हुए ब्लेड (blood) का इस्तेमाल किया जाता है।

 

धमनी की सर्जरी

 

अगर धमनियां इस हद तक अवरुद्ध हों कि एंडोवस्कुलर चिकित्सा ( endovascular treatment) कारगर न रह जाए तो सर्जरी (surgery) की सलाह दी जाती है। इसके अंतर्गत प्रभावित हिस्से को हटा दिया जाता है या मरीज के ही अन्य नस या कृत्रिम प्रत्यारोपण (Artificial implants) की मदद से बाईपास सर्जरी (bypass surgery) की जाती है। कुछ मामलों में सर्जन ओपन सर्जरी का भी सहारा लेते हैं, जिसके अंतर्गत अवरोधों को बाहर निकाल वर्तमान धमनी को क्रियाशील बना दिया जाता है। अंग विच्छेदन अंतिम विकल्प के तौर पर अंगूठे, पैर के अन्य हिस्से या पूरे पैर को काटना होता है। निदान में चूक या देरी होने पर सीएलआई के 25 प्रतिशत मामलों में अंग को काट कर हटाना पड़ता है।

 

इन संकेतों को गंभीरता से लें

 

  • चलने-फिरने के दौरान मांसपेशियों में तेज दर्द या पैरों का सुन्न होना।
  • पैरों के निचले हिस्से के तापमान में बाकी शरीर की तुलना में ज्यादा अंतर।
  • पैर के अंगूठे या पैर के घावों, संक्रमण या फोड़ों का ठीक न होना। बहुत धीमी गति से सुधार होना (दस दिनों से भी अधिक समय तक)।
  • अंग में किसी तरह की हलचल महसूस न होना।
  • पैर के किसी हिस्से में चमकदार व शुष्क त्वचा।
  • पैर के अंगूठे के नाखूनों का ज्यादा मोटा होना।
  • पैरों की नाड़ी की गति धीमी या बंद पडऩा।

 

ध्यान रहे

अगर किसी व्यक्ति के पैर में फोड़े हों, चलने-फिरने या आराम करने के दौरान दर्द महसूस होता हो तो वे वस्कुलर विशेषज्ञ से संपर्क करें। जल्द पता लगने पर बीमारी की गंभीरता में कमी होगी तथा इलाज की शुरुआत हो सकेगी। साथ ही संबंधित हिस्से में रक्त की आपूर्ति की पुष्टि किए बगैर अंग विच्छेदन शल्य (Surgery) प्रक्रिया के बारे में न सोचें।


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