एडीएचडी (ADHD in Hindi) का इलाज कैसे होता है और यह कब होता है?

एडीएचडी का मतलब अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर है, जो सिर्फ बच्चों की समस्या नहीं है दरअसल यह एक तरह का मानसिक विकार है जो व्यवहार में बदलाव करता है। इस विकार से प्रभावित लोग अपना किसी भी काम में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते है और उनकी एकाग्र होने की क्षमता कम होती है, और यह भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता को भी कम करता है। एडीएचडी होने पर व्यक्ति अपने नियमित कार्यों को ठीक से नहीं कर पाते हैं।

एडीएचडी से प्रभावित लोगों को सेल्फ रेगुलेशन की समस्या होती है, जिसके कारण वे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं। यही कारण है कि एडीएचडी वाले व्यक्ति अधिक संवेदनशील व्यवहार या भावनाओं के साथ छोटी से छोटी घटना पर भी प्रतिक्रिया देते हैं। कई बार, एडीएचडी का समय पर इलाज नहीं होने के कारण, ऐसा होने पर व्यक्ति परिवार और दोस्तों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में असमर्थ होते हैं और इसलिए एडीएचडी का समय पर निदान करना बहुत जरुरी है। सबसे पहले आपको इसके लक्षणों का पता होना चाहिए।

 

 

एडीएचडी के लक्षण (Symptoms of ADHD in Hindi)

 

 

एडीएचडी से जुड़े लक्षणों में व्यक्ति\बच्चे के व्यवहार ऐसा होता है जिसमें में से कुछ हैं:

 

  • कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना

 

  • काम करते वक़्त भूल जाना

 

  • मन विचलित होना

 

  • जरूरत से ज्यादा बात करना या बिना वजह बोलना

 

  • हमेशा परेशान रहना

 

  • पढ़ते या काम करते समय बार-बार गलतियाँ करना

 

  • अपना सामान को रख कर भूल जाना या बार-बार सामान खोना

 

  • दैनिक कार्यों को व्यवस्थित करने में परेशानी होना

 

  • अधिक समय तक न बैठ पाना

 

 

एडीएचडी के इलाज कैसे होता है? (How is ADHD treated in Hindi)

 

एडीएचडी से परेशान व्यक्ति के लिए दवा अक्सर इलाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। हालाँकि, यह एक कठिन निर्णय लेना हो सकता है। कुछ मरीजों को दवा के साथ डॉक्टर एडीएचडी के लिए इलाज में थेरेपी का भी सुझाव देते हैं। अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें कि इनमें से कौन से विकल्प आपके लिए एक अच्छा विकल्प होगा जो इस प्रकार हैं:

 

मनोचिकित्सा (psychotherapy)

विभिन्न प्रकार के मनोचिकित्सा हैं जो एडीएचडी के लक्षणों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने का एक तरीका प्रदान कर सकते हैं।

 

बेहवियरल थेरेपी (behavioral therapy)

बेहवियरल थेरेपी का लक्ष्य किसी को उसके व्यवहार पर निगरानी करना और फिर उन व्यवहारों को उचित रूप से बदलना है।

 

कॉग्नेटिव बेहवियरल थेरेपी (cognitive behavioral therapy)

कॉग्नेटिव बेहवियरल थेरेपी (सीबीटी) मनोचिकित्सा का एक अल्पकालिक, लक्ष्य-केंद्रित रूप है इसकी मदद से व्यक्ति की नकारात्मक सोच को बदलना है और उन्हें अपने और अपने एडीएचडी लक्षणों के बारे में अपने डॉक्टर से जरूर डिसकस करें क्योंकि वह इसमें आपकी बेहतर तरीके से मदद करेंगे।

 

यदि आप इसका इलाज कराना चाहते हैं तो आप सीधे हमारे डॉक्टर से कंसल्ट कर सकते हैं, डॉक्टर से कंसल्ट करें के लिए  यहाँ क्लिक करें। 

 

 

एडीएचडी के प्रकार (Types of ADHD in Hindi)

 

 

एडीएचडी तीन प्रकार के होते हैं:

 

  • पेरडोमिनेंटली इनटेंटीवे (Predominantly inattentive): इस प्रकार के एडीएचडी होने पर उस व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने, कार्यों को पूरा करने और निर्देशों का पालन करने में बहुत दिक्कत होती है।

 

  • पेरडोमिनेंटली हाइपर एक्टिव-इम्पुल्सिव (Predominantly hyperactive-impulsive): इस प्रकार के लोगों में मुख्य रूप से पेरडोमिनेंटली हाइपर एक्टिव बिहेवियर होता है, जैसे कि फिजूलखर्ची करना, लोगों को बीच में रोकना और अपनी बारी का इंतजार न कर पाना।

 

  • कंबाइंड हाइपर एक्टिव इम्पल्सिव और इनटेंटीवे (Combined hyperactive-impulsive and inattentive): इस प्रकार के एडीएचडी वाले लोगों में कंबाइंड हाइपर एक्टिव इम्पल्सिव बिहेवियर का एक संयुक्त समस्या होती है। इसमें ध्यान दे पाना, आवेग की प्रवृत्ति और ऊर्जा और गतिविधि के औसत स्तर (above average levels of energy and activity) शामिल हो सकते हैं। यह एडीएचडी का सबसे आम प्रकार है जो बहुत से लोगों में देखा जाता है।

 

 

सामान्य व्यवहार और एडीएचडी के व्यवहार में क्या अंतर हैं? (Differences between normal behavior and ADHD behavior in Hindi)

 

लगभग सभी के जीवन में कभी न कभी एडीएचडी के समान कुछ लक्षण देखने को मिलते हैं। यदि ये समस्या कुछ दिन पहले ही शुरू हुई है या काफी पहले से आप इस समस्या से परेशान हैं, तो आप ADHD नहीं है।

एडीएचडी का निदान केवल तभी किया जाता है जब लक्षण आपके जीवन के एक से अधिक बच्चो और वयस्कों में चल रही समस्याओं का कारण बनने के लिए पर्याप्त गंभीर होते हैं। इन लक्षणों का पता बचपन से ही लगाया जा सकता है।

वयस्कों में एडीएचडी का निदान मुश्किल हो सकता है क्योंकि कुछ एडीएचडी लक्षण अन्य स्थितियों, जैसे चिंता या मनोदशा संबंधी विकारों के कारण होते हैं। और एडीएचडी वाले कई वयस्कों में भी कम से कम एक अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थिति होती है, जैसे कि अवसाद या चिंता होना।

 

 

एडीएचडी के कारण क्या हैं? (What are the causes of ADHD in Hindi)

 

शोधकर्ता के अनुसार, एडीएचडी का सही कारण अभी तक कोई नहीं जानता। लेकिन एडीएचडी के कुछ कारण और जोखिम कारक हो सकते हैं।

उदाहरण के लिए, किसी प्रकार की बीमारी या मस्तिष्क में चोट के कारण, मस्तिष्क ठीक से काम नहीं करता है और भावनाओं, व्यवहार को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं। बच्चे आनुवंशिक कारणों से एडीएचडी विकसित कर सकते हैं।

एडीएचडी से प्रभावित बच्चों के दिमाग में कई ऐसे बदलाव होते हैं, जिनकी वजह से दिमाग काम पर ध्यान नहीं कर पाता है। एडीएचडी वाले बच्चों में केमिकल काअसंतुलन (chemical imbalance) होता है, जो बच्चों के दिमाग में केमिकल का असंतुलन (chemical imbalance) पैदा कर सकता है।

गर्भावस्था के दौरान महिला को संतुलित आहार नहीं मिलता है, खराब जीवनशैली, शराब, धूम्रपान और नशीली दवाओं के सेवन से बच्चे के दिमाग का विकास नहीं होता है और बच्चा मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है।

 

 

एडीएचडी से होने वाली अन्य समस्याएं क्या हैं? (What are the other problems caused by ADHD in Hindi)

 

 

ओब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी)

एडीएचडी से लगभग 50 से 80 प्रतिशत लोग प्रभावित होते हैं। एडीएचडी के लक्षण ओसीडी के लक्षणों से अलग होते हैं। ओसीडी वाले लोग लगातार विचारों और कल्पनाओं से परेशान रहते हैं, जिसके कारण वे आवश्यकतानुसार कार्य करते हैं।

दूसरी ओर, एडीएचडी वाले लोग अक्सर एक ही कार्य को बार-बार करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि वे पहली बार में उस कार्य को करने में असमर्थ होते हैं। इस वजह से दोनों के लक्षण अलग-अलग हैं।

 

सीखने की क्षमता में कमी आना 

एडीएचडी किसी को भी कुछ नया सीखने में बाधा नहीं डालता है, लेकिन यह कुछ चुनौतियों का कारण बन सकता है, जैसे डिस्लेक्सिया या डिस्केल्कुलिया। डिस्लेक्सिया वाले लोगों को शब्दों को पढ़ने या उच्चारण करने में कठिनाई होती है।

जबकि डिस्केकुलिया वाले लोगों को अक्सर संख्याओं को समझने में परेशानी होती है। ये दोनों चुनौतियाँ किसी भी विषय को ठीक से ध्यान केंद्रित करने और समझने में समस्याएँ पैदा कर सकती हैं।

 

डिप्रेशन होना 

अति सक्रियता और ध्यान की कमी के कारण, एडीएचडी वाले लोगों को आमतौर पर अपने स्कूल और कार्यालय में कठिनाइयां होती हैं क्योंकि वे ठीक से काम करने में असमर्थ होते हैं और अक्सर अपनी नौकरी खो देते हैं या स्कूल में बच्चे की अपने साथियों से बनती नहीं है। जिससे वे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।

 

हमने आपको एडीएचडी से जुड़ी कुछ बातें बताई है और इसका इलाज के विकल्प भी बताएं हैं यदि आप इससे सम्बंधित किसी भी तरह की जानकारी चाहते हैं है तो इसके लिए आप यहाँ क्लिक करें या आप हमसे व्हाट्सएप (+91 9654030724) पर संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमें Connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी।

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