भारत में शुक्राणु परीक्षण की औसत कीमत और प्रक्रिया

शुक्राणु परीक्षण, जिसे सेमेन एनालिसिस भी कहा जाता है, पुरुषों में प्रजनन क्षमता की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह परीक्षण पुरुषों के शुक्राणु की गुणवत्ता और मात्रा का मूल्यांकन करता है। भारत में, इस परीक्षण की कीमत और प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त करना कई लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, खासकर जब वे गर्भधारण की समस्याओं का सामना कर रहे हों। इस ब्लॉग में हम भारत में शुक्राणु परीक्षण की औसत कीमत, प्रक्रिया, और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।

 

 

 

शुक्राणु परीक्षण क्या है?

 

 

शुक्राणु परीक्षण एक प्रकार की लैब परीक्षण प्रक्रिया है, जिसमें पुरुषों के वीर्य का नमूना लिया जाता है और उसमें मौजूद शुक्राणुओं की संख्या, गति, आकार और अन्य गुणों का विश्लेषण किया जाता है। यह परीक्षण निम्नलिखित कारणों से किया जा सकता है:

 

 

  • बांझपन की जांच: अगर एक दंपति गर्भधारण में समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो इस परीक्षण के माध्यम से पुरुष की प्रजनन क्षमता का मूल्यांकन किया जा सकता है।

 

  • वेसक्टॉमी के बाद: वेसक्टॉमी एक स्थायी गर्भनिरोधक प्रक्रिया है। वेसक्टॉमी के बाद, यह परीक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि शुक्राणु अब वीर्य में मौजूद नहीं हैं।

 

  • गर्भधारण के उपचार की सफलता का मूल्यांकन: जब किसी पुरुष ने गर्भधारण के उपचार (जैसे आईवीएफ या आईसीएसआई) के लिए शुक्राणु का दान किया है, तो यह परीक्षण किया जाता है ताकि शुक्राणु की गुणवत्ता की जांच की जा सके।

 

 

 

भारत में शुक्राणु परीक्षण की औसत कीमत कितनी हैं ?

 

 

भारत में शुक्राणु परीक्षण की कीमत विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि लैब की प्रतिष्ठा, स्थान, और परीक्षण की जटिलता। सामान्यतः, भारत में शुक्राणु परीक्षण की औसत कीमत 500 रुपये से 3000 रुपये के बीच होती है। कुछ विशेष प्रयोगशालाओं में या विस्तृत जांच के लिए कीमत इससे अधिक भी हो सकती है।

 

 

 

शुक्राणु परीक्षण की प्रक्रिया कैसे होती हैं ?

 

 

शुक्राणु परीक्षण की प्रक्रिया को कुछ प्रमुख चरणों में विभाजित किया जा सकता है:

 

 

  • हस्तमैथुन: पुरुष एक निजी कमरे में जाकर हस्तमैथुन द्वारा वीर्य का नमूना एक साफ कंटेनर में एकत्रित करते हैं।

 

  • कंडोम विधि: कुछ मामलों में, विशेष रूप से बनाए गए कंडोम का उपयोग करके संभोग के दौरान नमूना एकत्र किया जा सकता है।

 

  • इलेक्ट्रोइजाकुलेशन: जब पुरुष हस्तमैथुन द्वारा नमूना देने में असमर्थ होते हैं, तब इलेक्ट्रोइजाकुलेशन का उपयोग किया जा सकता है, जिसमें विद्युत उत्तेजना द्वारा वीर्य प्राप्त किया जाता है।

 

 

नमूना प्राप्त करने के बाद, इसे लैब में भेजा जाता है जहां विभिन्न मानकों पर इसका विश्लेषण किया जाता है:

 

 

  • शुक्राणु की संख्या: प्रति मिलीलीटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या को मापा जाता है। सामान्यतः, प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन या उससे अधिक शुक्राणु एक सामान्य मात्रा मानी जाती है।

 

  • गति (मोबिलिटी): शुक्राणुओं की गति का मूल्यांकन किया जाता है, ताकि यह देखा जा सके कि वे अंडाणु तक पहुंचने के लिए पर्याप्त तेज़ हैं या नहीं।

 

  • आकार (मॉर्फोलॉजी): शुक्राणुओं के आकार और आकार का विश्लेषण किया जाता है। सामान्य संरचना वाले शुक्राणुओं का प्रतिशत महत्वपूर्ण है, क्योंकि विकृत संरचना वाले शुक्राणु अंडाणु को निषेचित करने में असफल हो सकते हैं।

 

  • वॉल्यूम: कुल वीर्य का वॉल्यूम मापा जाता है। सामान्यतः, 1.5 से 5 मिलीलीटर का वॉल्यूम सामान्य माना जाता है।

 

  • पीएच स्तर: वीर्य का पीएच स्तर मापा जाता है, जो 7.2 से 8.0 के बीच होना चाहिए।

 

  • श्वेत रक्त कोशिकाएं: वीर्य में श्वेत रक्त कोशिकाओं की उपस्थिति की जांच की जाती है, क्योंकि इनकी अधिकता संक्रमण का संकेत हो सकती है।

 

 

 

 

शुक्राणु परीक्षण के लिए तैयारी किस प्रकार की जाती हैं ?

 

 

शुक्राणु परीक्षण से पहले कुछ तैयारियां करना आवश्यक होता है ताकि परिणाम सटीक हों। इनमें शामिल हैं:

 

 

  • संयम: परीक्षण से पहले 2 से 5 दिन तक यौन संयम का पालन करना चाहिए। इससे शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता का सही आकलन किया जा सकता है।

 

  • स्वच्छता: नमूना देने से पहले हाथ और जननांग क्षेत्र को अच्छी तरह से धोना चाहिए ताकि नमूने में किसी भी प्रकार की अशुद्धि न हो।

 

  • दवाईयों का सेवन: अगर कोई दवाईया चल रही है, तो डॉक्टर को सूचित करें, क्योंकि कुछ दवाइयां शुक्राणु की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं।

 

  • शराब और धूम्रपान: परीक्षण से पहले शराब और धूम्रपान से बचें, क्योंकि ये शुक्राणु की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

 

 

शुक्राणु परीक्षण के परिणामों की व्याख्या-

 

 

शुक्राणु परीक्षण के परिणाम आमतौर पर निम्नलिखित मानकों पर आधारित होते हैं:

 

 

सामान्य परिणाम: प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन या उससे अधिक शुक्राणु, 40% से अधिक गतिशील शुक्राणु, और 4% से अधिक सामान्य आकार के शुक्राणु।

 

असामान्य परिणाम: अगर शुक्राणुओं की संख्या, गति, या आकार में कोई असामान्यता पाई जाती है, तो यह प्रजनन क्षमता में समस्या का संकेत हो सकता है।

 

 

 

शुक्राणु परीक्षण के परिणाम आने में कितना समय लगता हैं ?

 

 

आमतौर पर शुक्राणु परीक्षण के परिणाम 1 से 2 दिनों के भीतर मिल जाते हैं। कुछ विशेष परीक्षणों या विस्तृत विश्लेषण की स्थिति में यह समय बढ़ सकता है।

 

 

 

 

शुक्राणु परीक्षण के बाद के कदम क्या होने चाहिए ?

 

 

अगर शुक्राणु परीक्षण के परिणाम सामान्य नहीं आते हैं, तो डॉक्टर निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:

 

 

  • पुनः परीक्षण: कभी-कभी एक ही परीक्षण पर्याप्त नहीं होता। दोबारा परीक्षण करने से सटीक परिणाम मिल सकते हैं।

 

  • अतिरिक्त जांच: अन्य लैब जांचें या उन्नत प्रजनन क्षमता परीक्षण किए जा सकते हैं।

 

  • इलाज: अगर कोई समस्या पाई जाती है, तो उसके अनुसार उपचार शुरू किया जा सकता है। इसमें हार्मोनल थेरेपी, दवाइयाँ, या सर्जरी शामिल हो सकती है।

 

निष्कर्ष:

 

 

शुक्राणु परीक्षण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो पुरुषों की प्रजनन क्षमता का मूल्यांकन करती है। भारत में, इसकी कीमत और प्रक्रिया दोनों ही महत्वपूर्ण हैं, और इनके बारे में जानकारी होना आवश्यक है। सही जानकारी और तैयारी के साथ, इस परीक्षण को प्रभावी ढंग से किया जा सकता है, जिससे प्रजनन संबंधी समस्याओं का समाधान पाने में मदद मिलती है। अगर आपको या आपके साथी को गर्भधारण में कठिनाई हो रही है, तो किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें और उचित परीक्षण और उपचार के लिए परामर्श लें।

 

 

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