ब्लड कैंसर के इलाज के लिए अच्छे हॉस्पिटल।

कैंसर की बीमारी अधिक घातक मानी जाती हैं कैंसर कई प्रकार के होते हैं इसका इलाज सही समय पर न होने के कारण यह जानलेवा भी साबित होता हैं इसलिए माना जाता हैं कि कैंसर किसी भी प्रकार का हो शुरुआत में लक्षण नहीं पता लगते हैं जब बीमारी अधिक गंभीर होने लगती हैं तब कुछ लक्षण सामने आते हैं इसलिए सामान्य लक्षण दिखने पर ही डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए।

 

 

 

ब्लड कैंसर क्या होता हैं ?

 

 

ब्लड कैंसर को ल्यूकेमिया भी कहा जाता हैं जो रक्त में मौजूद सफ़ेद रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करती हैं। ब्लड कैंसर में अस्थि मज्जा भारी संख्या में असामान्य सफ़ेद रक्त कोशिकाओं को बनाने लगती हैं जिन्हें ब्लड कैंसर कोशिकाएं कहा जाता हैं, यह सामान्य कोशिकाओं के मुताबिक अधिक तेजी से बढ़ती हैं तथा रूकती नहीं हैं और स्वस्थ कोशिकाओं के लिए हानिकारक साबित होती हैं।

 

 

 

ब्लड कैंसर के कितने प्रकार होते हैं ?

 

ब्लड कैंसर के तीन प्रकार होते हैं –

 

 

  • मायलोमा: रक्त कैंसर का एक रूप जो प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करता है। ये प्लाज्मा कोशिकाएं (एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका) आमतौर पर शरीर के भीतर अस्थि मज्जा में रहती हैं और शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करती हैं।

 

  • लिम्फोमा: लिम्फोमा एक प्रकार का रक्त कैंसर है जो लिम्फोसाइटों में शुरू होता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली की संक्रमण से लड़ने वाली कोशिकाएं होती हैं और आमतौर पर लसीका प्रणाली को प्रभावित करती हैं। ये कोशिकाएं प्लीहा, लिम्फ नोड्स, अस्थि मज्जा, थाइमस और शरीर के अन्य भागों में मौजूद होती हैं। लिम्फोमा दो प्रकार के होते हैं – हॉजकिन लिंफोमा और गैर-हॉजकिन लिंफोमा।

 

  • ल्यूकेमिया: ल्यूकेमिया एक प्रकार का रक्त कैंसर है जो शरीर की श्वेत रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है। यह तब होता है जब शरीर बहुत अधिक दोषपूर्ण सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है और अस्थि मज्जा की लाल रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स बनाने की क्षमता में हस्तक्षेप करता है। श्वेत रक्त कोशिकाएं हमारे शरीर के लिए आवश्यक हैं क्योंकि वे बीमारियों से लड़ने में मदद करती हैं।

 

 

 

ब्लड कैंसर के लक्षण क्या नज़र आते हैं ?

 

 

ब्लड कैंसर के प्रमुख लक्षण नहीं हैं। इसके अलावा आपके शारीरिक संकेत आपके रक्त कैंसर के प्रकार के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। ब्‍लड कैंसर के कॉमन लक्षण निम्‍न हैं-

 

 

  • अत्यधिक थकान और कमजोरी
  • सांस लेने में कठिनाई
  • सिर चकराना
  • त्वचा का पीला पड़ना
  • छाती में दर्द
  • चोट लगना
  • मसूड़ों में रक्तस्राव
  • रक्त वाहिकाओं के फटने के कारण त्वचा पर छोटे लाल धब्बे पड़ना
  • भारी मासिक धर्म
  • काला मल या शौच के वक्त खून आना
  • बुखार और रात को बहुत तेज पसीना आना
  • बेवजह वजन कम होना
  • हड्डी में दर्द
  • पेट दर्द के साथ मतली
  • बहुत ज्यादा प्यास लगना
  • कब्ज
  • भूख में कमी
  • टखनों में सूजन
  • त्वचा में खुजली
  • हाथ-पैर का सुन्न होना और उनमें दर्द होना

 

 

 

ब्लड कैंसर होने के कारण क्या होते हैं ?

 

 

ब्लड कैंसर के सटीक कारण वास्तव में अज्ञात है, लेकिन कुछ कारक आपमें ब्लड कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं, जिसमें शामिल है:-

 

 

  • परिवार में किसी व्यक्ति को अगर ब्लड कैंसर हो तो वह आगे भी किसी को हो सकता हैं।

 

  • जो व्यक्ति अधिक धूम्रपान और शराब का सेवन करता हैं उसे भी ब्लड कैंसर होने का खतरा रहता हैं।

 

  • अधिक मोटापा भी ब्लड कैंसर होने का कारण बन सकता हैं।

 

  • वायरल संक्रमण जैसे एचआईवी (मानव प्रतिरक्षा विकार) या ईबीवी (एपस्टीन बर वायरस) से ग्रस्त होना।

 

  • कीटनाशकों (मच्छर और कॉक्रोच मारने की दवा) और नाइट्रेटयुक्त पानी का प्रयोग करने से ब्लड कैंसर होने का खतरा बढ़ता है।

 

 

 

ब्लड कैंसर की कितनी स्टेज होती हैं ?

 

 

मुख्य रूप से ब्लड कैंसर की 4 स्टेज होती हैं, वे इस प्रकार हैं:

 

 

स्टेज-1 : लिम्फोसाइट्स की संख्या अचानक बढ़ जाने के कारण लिम्फ नोड्स भी बढ़ जाते है। इस स्टेज में दूसरों की तुलना में कम खतरा होता है और इस स्टेज में कैंसर इलाज योग्य होता है क्योंकि मेटास्टेसिस का विकास इस स्टेज में पूरी तरह से शुरू नहीं होता है।

 

स्टेज-2: इस स्टेज में, रोगी के शरीर के अंग जैसे स्पलीन, यकृत (लिवर) और लिम्फ नोड्स बढ़ जाते हैं। सभी अंग एक ही समय में प्रभावित नहीं होते हैं बल्कि कैंसर इन अंगों पर धीरे-धीरे हमला करता है।

 

स्टेज-3: इस स्टेज में, रोगी एनीमिया का शिकार हो जाता है और स्पलीन, यकृत (लिवर) और लिम्फ नोड्स कैंसर से प्रभावित होने लगते हैं। इस स्टेज में दो से ज्यादा अंग निश्चित रूप से प्रभावित होते हैं।

 

स्टेज-4 : रक्त कैंसर की लास्ट स्टेज में क्या होता है? यह आखिरी स्टेज होती है जिसमें कैंसर का शरीर पर प्रभाव अत्यंत भयंकर होता है (ब्लड कैंसर की लास्ट स्टेज के लक्षण) और रोगी की मौत की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि ब्लड प्लेटलेट बहुत तेज़ी से गिरने लगती हैं। इस स्टेज में फेफड़ों के साथ-साथ और भी महत्वपूर्ण अंग कैंसर सेल्स से प्रभावित होने लगते हैं।

 

 

 

ब्लड कैंसर का इलाज किस प्रकार होता हैं ?

 

 

ब्लड कैंसर का इलाज मरीज की स्थिति और कैंसर पर निर्भर करता हैं। ब्लड कैंसर का इलाज कुछ इस तरह से किया जाता हैं –

 

 

  • स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन: इस तरह के इलाज में, रोगी के शरीर में हेल्दी ब्लड सेल्स को डाला जाता है जो अनहेल्दी ब्लड सेल्स से लड़ने में सहायता करती हैं । स्टेम सेल्स को बोन मेरो, शरीर में बहने वाले ब्लड और umbilical cord ब्लड से इक्कट्ठा किया जा सकता है।

 

  • कीमोथेरेपी: कीमोथेरेपी एंटीकेंसर दवाओं का उपयोग है जो शरीर में कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकती हैं। ब्लड कैंसर के लिए कीमोथेरेपी में कभी-कभी एक सेट रेजिमेंट में बहुत सारी दवाइयां एक साथ दी जाती हैं। यह एक स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन से पहले भी दिया जा सकता है।

 

  • रेडिएशन थेरेपी: रेडिएशन थेरेपी का उपयोग कैंसर सेल्स को खत्म करने या दर्द या असुविधा से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। इसे भी स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन से पहले भी दिया जा सकता हैं।

 

 

 

ब्लड कैंसर के इलाज के लिए अच्छे अस्पताल।

 

 

 

यदि आप ब्लड कैंसर का इलाज कराना चाहते हैं, या इससे सम्बंधित किसी भी समस्या का इलाज कराना चाहते हैं, या कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें। इसके अलावा आप प्ले स्टोर (play store) से हमारा ऐप डाउनलोड करके डॉक्टर से डायरेक्ट कंसल्ट कर सकते हैं। आप हमसे व्हाट्सएप (+91 959904311) पर भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमे connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी।


Disclaimer: GoMedii  एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।