हम सभी जानते हैं कि कैंसर कितनी घातक बीमारी है। इसका नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं। दुनियाभर में लोगों की मौत का दूसरा प्रमुख कारण कैंसर है। कैंसर एक घातक और जानलेवा बिमारी हैं, कैंसर तब होता है जब शरीर में कोशिकाएं असमान्य रूप से बढ़ने लगती हैं,और इसके कई प्रकार होते हैं तथा आमतौर पर देखा जाता हैं। कैंसर के कई प्रकार होते हैं, उन्ही में से एक ब्लड कैंसर भी हैं जिसे खून का कैंसर या रक्त कैंसर भी कहते हैं। कैंसर एक ऐसी बिमारी हैं, जिसमे शरीर के अंदर की कोशिकाओं असमान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और यदि समय रहते इसके लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो इसका इलाज दवाइयों द्वारा किया जा सकता हैं। कैंसर का इलाज पहले चरण में होना अधिक आवश्यक होता हैं। आज इस लेख में हम बात करेंगे ब्लड कैंसर के लक्षण और इलाज किस प्रकार होता हैं ?
ब्लड कैंसर क्या होता हैं ?
ब्लड कैंसर को ल्यूकेमिया भी कहा जाता हैं जो रक्त में मौजूद सफ़ेद रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करती हैं। ब्लड कैंसर में अस्थि मज्जा भारी संख्या में असामान्य सफ़ेद रक्त कोशिकाओं को बनाने लगती हैं जिन्हें ब्लड कैंसर कोशिकाएं कहा जाता हैं, यह सामान्य कोशिकाओं के मुताबिक अधिक तेजी से बढ़ती हैं तथा रूकती नहीं हैं और स्वस्थ कोशिकाओं के लिए हानिकारक साबित होती हैं।
ब्लड कैंसर के कितने प्रकार होते हैं ?
ब्लड कैंसर के तीन प्रकार होते हैं-
- ल्यूकेमिया: यह ब्लड कैंसर का एक प्रमुख प्रकार है, जिसमें असामान्य तरीके से बढ़ जाने वाले व्हाइट ब्लड सेल्स के कारण रक्त में कैंसर होता है।
- मायलोमा: रक्त कैंसर का एक रूप जो प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करता है। ये प्लाज्मा कोशिकाएं (एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका) आमतौर पर शरीर के भीतर अस्थि मज्जा में रहती हैं और शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करती हैं।
- लिम्फोमा: लिम्फोमा एक प्रकार का रक्त कैंसर है जो लिम्फोसाइटों में शुरू होता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली की संक्रमण से लड़ने वाली कोशिकाएं होती हैं और आमतौर पर लसीका प्रणाली को प्रभावित करती हैं। लसीका प्रणाली बीमारियों से बचाने में मदद करती है। ये कोशिकाएं प्लीहा, लिम्फ नोड्स, अस्थि मज्जा, थाइमस और शरीर के अन्य भागों में मौजूद होती हैं। लिम्फोमा दो प्रकार के होते हैं – हॉजकिन लिंफोमा और गैर-हॉजकिन लिंफोमा।
ब्लड कैंसर के इलाज किस प्रकार होते हैं ?
ब्लड कैंसर का इलाज तब होता है, जब रक्त कैंसर की पुष्टि होती है। ब्लड कैंसर का इलाज कई तरीकों से किया जा सकता है, और उसके लक्षणों को डॉक्टर द्वारा निर्धारित किया जाता है। इसके बाद, इलाज की योजना बनाई जाती है-
स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन: इस प्रक्रिया में, बोन मैरो से स्टेम सेल, पेरिफेरेल ब्लड (peripheral blood) या उम्बिकल कार्ड को इकट्ठा किया जाता है और स्वस्थ रक्त बनाने वाली कोशिकाओं के साथ इंफ्यूज किया जाता है।
कीमोथेरेपी: इसमें कैंसर रोधी दवाओं का उपयोग शामिल है, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकती हैं। इन दवाओं को एक इंजेक्शन के माध्यम से या फिर ओरल तरीके से रोगी को दिया जाता है। कुछ मामलों में, कीमोथेरेपी में एक समय पर कई दवाएं लेने की आवश्यकता हो सकती है। ब्लड कैंसर के रोगी को कुछ मामलों में पहले कीमोथेरेपी और फिर स्टेम सेल ट्रांसप्लाटेशन से गुजरना पड़ सकता है।
रेडिएशन थेरेपी: इसमें कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडिएशन का उपयोग शामिल है और इसलिए स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से पहले रेडिएशन थेरेपी की सलाह दी जा सकती है।
ब्लड कैंसर में मरीजों को क्या खाना चाहिए ?
ब्लड कैंसर होने पर शरीर पर कई अन्य प्रभाव पड़ते है, इसलिए कैंसर में मरीजों को उपचार के साथ-साथ अपने खान-पान पर भी अधिक ध्यान देना चाहिए जैसे की-
फलों का सेवन करें: ब्लड कैंसर में मरीज को उच्च पानी की मात्रा वाले फलों का अधिक सेवन करने चाहिए जैसे की-
- जामुन
- खरबूजा
- केला
- अनानास
- नाशपाती
- ब्लूबेरी
- स्ट्रॉबेरी
- गहरे रंग की पत्तेदार सब्जियाँ: पत्तेदार सब्जियाँ जैसे कि गोभी और पालक कैंसर से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे फाइबर और फोलेट से समृद्ध होते हैं, जो कुछ कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं। फोलेट नई कोशिकाओं का उत्पादन करने और डीएनए की मरम्मत करने में मदद करता है।
- साबुत अनाज: साबुत अनाज पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं क्योंकि वे फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, पादपरसायन, विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं। साबुत अनाज में कुछ पदार्थ होते हैं जो कैंसर से लड़ते हैं, जिसमें सैपोनिन भी शामिल है, जो कैंसर कोशिकाओं के गुणन को रोक सकता है, और लिग्नान, जो एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है।
- हल्दी: हल्दी मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन, विटामिन बी 6, ओमेगा 3, ओमेगा 6 फैटी एसिड और एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर होती है। कैंसर से बचाने में हल्दी भी काफी कारगर है। कैंसर के इलाज में भी हल्दी बेहद कारगर औषधि साबित होती है। हल्दी का नियमित सेवन कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचा सकता है।
- सोया: सोया में आइसोफ्लेवोंस नामक एक फाइटोन्यूट्रिएंट्स होता है, जिसमें कैंसर विरोधी गुण होते हैं। सोया की मध्यम मात्रा, जो सोया दूध या टोफू जैसे पूरे सोया खाद्य पदार्थों में से एक या दो सर्विंग सुरक्षित हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-
1. ब्लड कैंसर के 3 प्रकार कौन-से होते हैं?
ब्लड कैंसर के मुख्य 3 प्रकार होते हैं-
- ल्यूकेमिया
- लिंफोमा
- मायलोमा
2. ब्लड कैंसर में मरीज को क्या परेशानी होती हैं ?
ब्लड कैंसर में मरीज को अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं जैसे की- रात को पसीना आना, सांस में कमी, गर्दन में लिम्फ नोड में सूजन, बेवजह वजन कम होना, ब्रश करते समय खून आना।
3.ब्लड कैंसर के संकेत क्या होते हैं ?
ब्लड कैंसर के कुछ संकेत निम्नलिखित होते हैं जैसे की-
- शरीर का वजन अचानक कम होना या बढ़ जाना
- ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस होना
- त्वचा में गांठ बनना
- त्वचा के रंग में बदलाव होना
- पाचन संबंधी समस्या, कब्ज या दस्त होना
- आवाज बदल जाना
- जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द
- घाव ठीक होने में ज्यादा समय लगना
4. ब्लड कैंसर की शुरुआत कैसे होती है?
ब्लड कैंसर के शुरुआत में ही शरीर के टिश्यूज या डीएनए के अंदर म्यूटेशन होने लगता है, यानि इसके अंदर लगातार सेल्स बढ़ने लगते हैं. यह कैंसर ब्लड या बोन मैरो में होता है. इसके बाद यह धीरे-धीरे ब्लड में फैलने लगता है।
5. ब्लड कैंसर किसकी कमी से होता है ?
ब्लड कैंसर का मुख्य लक्षण एनीमिया (लाल रक्त कोशिकाओं की कमी) के कारण उत्पन्न होते हैं।
यदि आप ब्लड कैंसर से सम्बंधित कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें। आप हमसे व्हाट्सएप (91 9599004311) पर भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमें connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी|
Disclaimer: GoMedii एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।