आज के समय में बहुत से लोगों के लिए बोन मैरो एक नया शब्द हो सकता है। इस कारण से, जब उन्हें इस हिस्से में परेशानी होती है, तो वे समझ ही नहीं पाते हैं कि इसका इलाज क्या है और कैसे किया जाए। आमतौर पर ज्यादातर लोग बोन मैरो की समस्या को हड्डी के दर्द के साथ जोड़ते हैं।
हालांकि, जब कुछ समय बाद दर्द बढ़ने लगता है, तो उनकी परेशानी बढ़ जाती है और उस स्थिति में एकमात्र विकल्प होता है बोन मैरो ट्रांसप्लांट। अब सवाल ये उठता है की ये क्या है और इसे कहां कराएं। कई लोगों को बोन मैरो के बारे में पता ही नहीं है यही कारण है कि वे इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। अगर आप भी बोन मैरो ट्रांसप्लांट के बारे में जानना चाहते हैं, तो आपको यह आर्टिकल जरूर पूरा पढ़ना चाहिए, क्योंकि हमने इसमें पूरी जानकारी देने की कोशिश की है।
बोन मैरो ट्रांसप्लांट क्या है?(Bone marrow transplant in hindi)
बोन मैरो ट्रांसप्लांट बोन मैरो को बदलने के लिए की जाने वाली एक मेडिकल प्रक्रिया है जो किसी बीमारी, संक्रमण या कीमोथेरेपी द्वारा क्षतिग्रस्त या खराब हो जाता है, तो उस स्थिति में बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है। इस प्रक्रिया में रक्त स्टेम कोशिकाओं को प्रत्यारोपण करना शामिल है, जो बोन मैरो तक खून पहुंचते हैं जहां वे नई रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करते हैं और नए बोन मैरो के विकास को बढ़ावा देते हैं।
बोन मैरो आपकी हड्डियों के अंदर स्पंजी, वसायुक्त ऊतक हैं। यह रक्त के निम्नलिखित भागों का निर्माण करता है:
लाल रक्त कोशिकाएं (red blood cells), जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्व ले जाने का काम करती हैं।
सफेद रक्त कोशिकाएं (white blood cells), जो संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं।
प्लेटलेट्स (platelets), जो खून के थक्कों को नहीं बनने देती हैं।
बोन कैंसर (Bone cancer): बोन कैंसर से पीड़ित व्यक्ति के बोन मैरो का ट्रांसप्लांट किया जाता है। बोन कैंसर भी मैरो को प्रभावित करता है, इसे बदलने के लिए एकमात्र विकल्प ट्रांसप्लांट होता है।
कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट: कैंसर के इलाज के दौरान डॉक्टर मरीज को कई कीमोथेरेपी के सेशन देते हैं। हालांकि, कैंसर से पीड़ित कुछ लोगों के कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव होते हैं, जिसके कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक बेहतर उपाय साबित हो सकता है।
लिम्फोमा (lymphomas) से पीड़ित: यदि कोई व्यक्ति लिंफोमा नामक कैंसर से पीड़ित है, तो डॉक्टर उस व्यक्ति को बोन मैरो ट्रांसप्लांट्स की सलाह देते हैं। जब मानव शरीर में लिम्फ नोड बढ़ता है, तो मेडिकल भाषा में इसे लिम्फोमा कहा जाता है। बोन मैरो के आनुवंशिक कारण- उपरोक्त कारणों के अलावा, आनुवंशिक कारक भी इम्प्लांट किए जाते हैं।
एप्लास्टिक एनीमिया: बोन मैरो ट्रांसप्लांट मुख्य रूप से उन लोग के लिए किया जाता है, जो एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित होते हैं। एप्लास्टिक एनीमिया एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है जब किसी व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त रक्त कोशिकाएं नहीं होती हैं।
बोन मैरो ट्रांसप्लांट्स के प्रकार(Types of bone marrow transplant in Hindi)
बोन मैरो ट्रांसप्लांट्स के दो प्रमुख प्रकार हैं। उपयोग किया जाने वाला प्रकार उस कारण पर निर्भर करता है।
ऑटोलॉगस ट्रांसप्लांट्स (Autologous Transplants): ऑटोलॉगस ट्रांसप्लांट (Autologous Transplants) में मरीज की अपनी स्टेम कोशिकाओं का उपयोग किया जाता है। वे आमतौर पर कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी की वजह से ख़राब हो जाती है। उपचार किए जाने के बाद, वह कोशिकाएं मरीज के शरीर में वापस आ जाती हैं।
इस प्रकार का प्रत्यारोपण हमेशा उपलब्ध नहीं होता है। इसका उपयोग केवल तभी किया जा सकता है जब आपके पास स्वस्थ बोन मैरो होता है। हालांकि, यह जीवीएचडी सहित कुछ गंभीर जटिलताओं के जोखिम को कम करता है।
एलोजेनिक ट्रांसप्लांट (Allogeneic Transplants): एलोजेनिक ट्रांसप्लांट (Allogeneic Transplants) में डोनर की कोशिकाओं का उपयोग किया जाता है। डोनर का बोन मैरो मरीज के बोन मैरो से मेल खाना चाहिए तभी डॉक्टर द्वारा ट्रांसप्लांट किया जाता है। अक्सर, मरीज का भाई, परिवार या रिश्तेदार में से कोई भी बोन मैरो दे सकता है, जब मरीज के परिवार से भी डोनर नहीं मिलता है तो किसी अन्य व्यक्ति से बोन मैरो लिया जाता है।
यदि किसी व्यक्ति का बोन मैरो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, तो एलोजेनिक ट्रांसप्लांट उसके लिए बहुत आवश्यक हो जाता है। हालांकि, उन्हें कुछ जटिलताओं का खतरा अधिक होता है, जैसे कि जीवीएचडी। मरीज को प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का सेवन भी करना पड़ता है। ताकि मरीज के शरीर में बनने वाली नई कोशिकाएं नष्ट ना हो। एलोजेनिक ट्रांसप्लांट की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि डोनर सेल्स मरीज से कितनी बारीकी से मेल खाते हैं।
बोन मैरो ट्रांसप्लांट कैसे किया जाता है?
बोन मैरो ट्रांसप्लांट डॉक्टर द्वारा किया जाता है जिसमें कई महत्वपूर्ण चरण शामिल होते हैं, जो इस प्रकार हैं –
मरीज के शरीर में एक छोटा सा कट लगाया जाता है: बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक कट बनाने के साथ शुरू होता है। डॉक्टर बोन मैरो के मरीज की छाती या कंधे पर एक कट बनाता है, जिसके बाद पूरी प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
सुई को छेद में डालें: मरीज के शरीर पर कट लगाने के बाद, सुई को उस छेद में डाला जाता है। यह सुई बोन मैरो की खराब कोशिका को हटा देती है।
स्टेम सेल को कलेक्ट करना: बोन मैरो बनाने वाले व्यक्ति के शरीर से बोन मैरो से खराब स्टेम सेल को निकालने के बाद स्वस्थ सेल इकठा किया जाता है। इसे उसी व्यक्ति से लिया जाता है जिससे बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है।
व्यक्ति के शरीर में स्टेम सेल को डालना: स्वस्थ स्टेम सेल को इकट्ठा करने के बाद, यह उस व्यक्ति के शरीर में डाला जाता है जो बोन मैरो ट्रांसप्लांट से गुजरता है।
कट बंद करना: हेल्थी स्टेम सेल को लगाने के बाद, मरीज के शरीर पर लगाए गए कट को डॉक्टर बंद कर देता है। इसके साथ ही बोन मैरो ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया खत्म हो जाती है।
व्यक्ति को रिकवरी रूम में ले जाया जाता है: बोन मैरो ट्रांसप्लांट पूरा होने के बाद, मरीज को रिकवरी रूम में ले जाया जाता है। रिकवरी रूम में, व्यक्ति के स्वास्थ्य की देख रेख की जाती है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि वह अब पूरी तरह से स्वस्थ हो गया है की नहीं। जब डॉक्टर को यह विश्वास हो जाता है कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट प्रदान करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से ठीक है, तो वे उसे डिस्चार्ज कर देता है।
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बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए सबसे अच्छे हॉस्पिटल (Bone marrow transplant Hospital in Hindi)
अपोलो हॉस्पिटल (Apollo Hospital)
अपोलो हॉस्पिटल्स की स्थापना 1983 में डॉ. प्रताप सी रेड्डी ने की थी, जो भारत में आधुनिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करते हैं इनके पास भारत के सबसे अच्छे डॉक्टर हैं जिन्हें काफी अनुभव हैं और वह काफी प्रसिद्ध हैं। देश के पहले कॉर्पोरेट अस्पताल के रूप में, अपोलो अस्पताल देश में सबसे बेहतर निजी स्वास्थ्य सेवा का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है।
फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड (Fortis healthcare Limited)
फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड भारत के सबसे प्रसिद्ध हॉस्पिटल्स में से एक है और GoMedii इससे जुड़ा है। वर्तमान में, फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड 36 हेल्थकेयर में फैला हुआ है, हॉस्पिटल्स में लगभग 4,000 बेड्स और 415 डायग्नोस्टिक्स केंद्रों के साथ विदेशों में भी अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है।
मैक्स हॉस्पिटल (Max Hospital)
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मेदांता हार्ट इंस्टिट्यूट (Medanta Hospital)
मेदांता हार्ट इंस्टिट्यूट (MEDANTA HEART INSTITUTE) में कार्डिएक सर्जरी, इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी और पेसिंग, क्लीनिकल और प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी और इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी जैसे सभी सुविधाएं प्रदान करता है, जहां कार्डियक सर्जन और कार्डियोलॉजिस्ट की एक एकीकृत टीम मिलकर काम करती है। एक अद्वितीय हाइब्रिड ऑपरेटिंग सूट सहित नवीनतम तकनीक के साथ समर्थित, कार्डियक सर्जरी डॉक्टरों की समर्पित टीम ने 50,000+ CABG सर्जरी करने का शानदार अनुभव है। हमारे डॉक्टर्स की टीम ऑफ-पंप CABG, रोबोटिक हार्ट सर्जरी और न्यूनतम इनवेसिव वाल्व और कोरोनरी हार्ट बाईपास तकनीकों में भी अच्छा अनुभव रखती है।
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