बोन मेरो ट्रांसप्लांट क्यों किया जाता है जाने इसके लिए बेस्ट हॉस्पिटल

बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत उन बीमारियों में होती है जिनमें किसी कारण से डैमेज हो जाता है यानी जब बोन मैरो काम करना बंद कर देता है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए आवश्यक है कि रोगी का बोन मैरो डोनर के बोन मैरो से मेल खाता हो। मानव ल्यूकोसाइट एंटीजन यानी ‘HLA’ से मेल खाना भी जरूरी है। यदि एचएलए 100% से मेल खाता है, तो डॉक्टर इसके ट्रांसप्लांट की तैयारी शुरू कर देते हैं।

सभी आवश्यक परीक्षणों के बाद, बच्चों याबोन मैरो दोष वाले रोगियों, जैसे कि थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, ल्यूकेमिया आदि के मामले में, डॉक्टर उसे अपने अस्पताल की बोन मैरो इकाई में भर्ती करते हैं जब रोगी सात पार कर जाता है। कीमो पास करना है। कई दिनों में मेरो नष्ट हो जाती है। यह कीमो आईबी के जरिए किया जाता है। फिर, डोनर से ली गई 350 मिली बोन मैरो को आईबी के जरिए मरीज के शरीर में रक्त के रूप में इंजेक्ट किया जाता है। यह प्रक्रिया एक साधारण प्रक्रिया है, यह सर्जरी नहीं है।

 

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट क्यों किया जाता है?

 

 

अगर बोन मैरो ट्रांसप्लांट कम उम्र में यानि दस से बारह साल की उम्र तक कर दिया जाए तो इसके सफल होने की संभावना बहुत ज्यादा यानी 95 फीसदी तक हो जाती है। इन्हीं कारणों से डॉक्टर दो से दस साल की उम्र में थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियों से पीड़ित बच्चों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं। लेकिन, ल्यूकेमिया या अप्लास्टिक एनीमिया के मामले में, जैसे ही डॉक्टर रोग का निदान करते हैं, वे तुरंत बोन मैरो ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं।

 

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट क्या है?

 

  • बोन मेरो ट्रांसप्लांट के बीच का स्थान है जो लाल, पीले और सफेद रक्त कोशिकाओं को बनाता है:

 

  • प्लेटलेट्स से खून बहना बंद हो जाता है

 

  • लाल रक्त कोशिकाएं देती हैं ताकत

 

  • यह शरीर की हर लंबी हड्डी में पाया जाता है

 

  • जैसे पैर की हड्डी, हाथ की हड्डी या रीढ़ की हड्डी

 

  • श्वेत रक्त कोशिकाएं देती हैं बीमारियों से लड़ने की शक्ति

 

  • स्टेम सेल उन कोशिकाओं को जन्म देती हैं जहाँ उनके पास खाली स्थान होता है

 

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए हॉस्पिटल

 

 

यदि आप बोन मेरो ट्रांसप्लांट कराना चाहते हैं तो आप हमारे द्वारा बताए गए इनमें से कोई भी हॉस्पिटल में अपना इलाज करवा सकते हैं:

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली के बेस्ट अस्पताल

 

  • बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, राजिंदर नगर, दिल्ली

 

  • इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, सरिता विहार, दिल्ली

 

  • फोर्टिस हार्ट अस्पताल, ओखला, दिल्ली

 

  • मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत, दिल्ली

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए गुरुग्राम के बेस्ट अस्पताल

 

  • नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, गुरुग्राम

 

  • मेदांता द मेडिसिटी, गुरुग्राम

 

  • फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड, गुरुग्राम

 

  • पारस अस्पताल, गुरुग्राम

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए ग्रेटर नोएडा के बेस्ट अस्पताल

 

  • शारदा अस्पताल, ग्रेटर नोएडा

 

  • यथार्थ अस्पताल, ग्रेटर नोएडा

 

  • बकसन अस्पताल, ग्रेटर नोएडा

 

  • जेआर अस्पताल, ग्रेटर नोएडा

 

  • प्रकाश अस्पताल, ग्रेटर नोएडा

 

  • दिव्य अस्पताल, ग्रेटर नोएडा

 

  • शांति अस्पताल, ग्रेटर नोएडा

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए मेरठ के बेस्ट अस्पताल

 

  • सुभारती अस्पताल, मेरठ

 

  • आनंद अस्पताल, मेरठ

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए हापुड़ के बेस्ट अस्पताल

 

  • शारदा अस्पताल, हापुड़

 

  • जीएस अस्पताल, हापुड़

 

  • बकसन अस्पताल, हापुड़

 

  • जेआर अस्पताल, हापुड़

 

  • प्रकाश अस्पताल, हापुड़

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए कोलकाता के सबसे अच्छे अस्पताल

 

  • रवींद्रनाथ टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डिएक साइंस, मुकुंदपुर, कोलकाता

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए बैंगलोर के सबसे अच्छे अस्पताल

 

  • फोर्टिस अस्पताल, बन्नेरगट्टा रोड, बैंगलोर

 

  • अपोलो अस्पताल, बैंगलोर

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए मुंबई के सबसे अच्छे अस्पताल

 

  • नानावटी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, विले पार्ले वेस्ट, मुंबई

 

  • लीलावती अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, बांद्रा, मुंबई

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए हैदराबाद के सबसे अच्छे अस्पताल

 

  • ग्लेनीगल्स ग्लोबल हॉस्पिटल्स, लकडी का पूल, हैदराबाद

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए चेन्नई के सबसे अच्छे अस्पताल

 

  • अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर, चेन्नई

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए अहमदाबाद के सबसे अच्छे अस्पताल

 

  • केयर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, सोला, अहमदाबाद

 

यदि आप इनमें से कोई अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं तो हमसे व्हाट्सएप (+91 9654030724) पर संपर्क कर सकते हैं।

 

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट कौन दान कर सकता है?

 

 

भारत की मैरो डोनर रजिस्ट्री के अनुसार बोन मैरो डोनेशन की सामान्य प्रक्रिया इस प्रकार है:

 

  • जिनकी उम्र 18 साल से 50 साल के बीच है

 

  • डोनर का वजन ज्यादा नहीं होना चाहिए

 

  • डोनर को हृदय, किडनी या लीवर से संबंधित कोई रोग नहीं होना चाहिए

 

  • डोनर को कैंसर, मधुमेह, एचआईवी/एड्स जैसे रोग न हों

 

  • डोनरके शरीर (2 एचएलए-ए, 2 एचएलए-बी और 2 एचएलए-डीआर) में छह प्रकार के मानव ल्यूकोसाइट्स एंटीजन (एचएलए) की आवश्यकता होती है, तभी डोनर खुद को एमडीआरआई में डोनर के रूप में पंजीकृत कर पाएगा। एचएलए एक प्रोटीन है जो कोशिकाओं की सतह पर पाया जाता है। ब्लड ग्रुप मैच करने की कोई जरूरत नहीं है। डोनरऔर रोगी के एचएलए प्रकार का मिलान होना चाहिए। यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसके लिए पहले डोनर टेस्ट किया जाता है, जिसकी रिपोर्ट आने में एक-दो हफ्ते का समय लगता है। अगर मैच होता है, तो काउंसलर डोनर से स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के बारे में बात करेगा। इस समय भी डोनर के पास बोन मैरो देने या न देने का विकल्प होता है। अगर वह डोनेट करने के लिए राजी हो जाता है तो डोनर की पूरी मेडिकल जांच की जाती है।

 

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट कैसे संग्रहीत किया जाता है?

 

बोन मेरो ट्रांसप्लांट से लगभग एक या दो सप्ताह पहले अस्थि मज्जा तैयार किया जाता है। इसमें मरीजों या उनके अस्थि मज्जा दाताओं से एक या दो यूनिट रक्त लिया जाता है। बोन मेरो तैयार होने के बाद, इसे वापस कर दिया जाता है।

बोन मेरो को सामान्य एनेस्थीसिया के तहत तैयार किया जाता है ताकि रोगी या उसके डोनर को कुछ भी महसूस न हो। इसमें कूल्हे (श्रोणि क्षेत्र) से आगे और पीछे की हड्डी के अंदर से थोड़ी मात्रा में मज्जा (मेडुला) निकाल दिया जाता है।

डॉक्टर मरीज को एनेस्थीसिया से पूरी तरह से ठीक होने के लिए रोगी या डोनर को रात भर अस्पताल में रहना पद सकता है। मरीज को आमतौर पर कुछ दिनों तक दर्द महसूस हो सकता है और इसके लिए डॉक्टर मरीज को दर्द निवारक देवा दे सकते हैं। यह पूरी प्रक्रिया डॉक्टरों और नर्सों की देखरेख में की जाती है।

 

 

बोन मेरो टेस्ट क्यों किया जाता है?

 

ब्लड कैंसर के मरीजों को बार-बार बोन मैरो टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है और इससे उन्हें असहनीय दर्द नहीं सहना पड़ेगा। मरीज के दवा लेने के बाद अब इस छोटी मशीन से बीमारी की स्थिति की जांच की जा सकेगी। अब तक, ब्लड कैंसर रोगियों पर दवा के प्रभाव का टेस्ट करने के लिए केवल बोन मेरो लिया जाता था। इस मशीन के जरिए पता चलेगा कि एक मिनट में शरीर में कितनी बीमारी रह जाती है।

 

 

ब्लड कैंसर टेस्ट से क्या पता चलता है?

 

 

इसे सुनें बंद करें श्वेत रक्त कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करती हैं और संक्रमण से लड़ने में हमारी सहायता करती हैं। जबकि रेड ब्लड सेल्स हमारे पूरे शरीर को ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। कालाजार रोग की जांच के लिए यह बोन मेरो शरीर के किसी भी हिस्से से लिया जाता है। यह टेस्ट इस बात की सटीक जानकारी देता है कि बीमारी मौजूद है या नहीं।

 

यदि आप बोन मेरो ट्रांसप्लांट कराना चाहते हैं या इससे सम्बंधित किसी भी समस्या का इलाज कराना चाहते हैं, या कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें। इसके अलावा आप प्ले स्टोर से हमारा ऐप डाउनलोड करके डॉक्टर से डायरेक्ट कंसल्ट कर सकता हैं। आप हमसे  व्हाट्सएप (+91 9654030724) पर भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमें Connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी।

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