जाने सिजेरियन डिलीवरी या नॉर्मल डिलीवरी के फायदे

गर्भवती होना हर महिला के लिए एक वरदान का रूप होता है। लेकिन गर्भवती महिलाएं अक्सर इस सोच में रहती है की, उनके शिशु के लिए सिजेरियन डिलीवरी या नॉर्मल डिलीवरी दोनों में से क्या बेहतर है। इसलिए, आज हम आपको दोनों के फायेदे और नुकसान के बारे में बताने जा रहे है, ताकि दोनों में से बेहतर विकल्प का चुनाव कर सकें। जो आपके लिए और आपके होने वाले शिशु के स्वस्थ के लिए सुरक्षित हो।

 

डिलीवरी के दो तरीके है – सिजेरियन (सी-सेक्शन) डिलीवरी या फिर नॉर्मल डिलीवरी।

 

शिशु की डिलीवरी इस बात पर निर्भर करती है, कि दोनों में से कौन सी सबसे सुरक्षित रहेगी। इसलिए हर गर्भवती महिला को सिजेरियन डिलीवरी या नॉर्मल डिलीवरी दोनों में अंतर क्या है और इसके फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

 

सिजेरियन डिलीवरी या नॉर्मल डिलीवरी में अंतर 

 

  • सिजेरियन डिलीवरी जिसे “सी-सेक्शन” डिलीवरी भी कहा जाता है। इस डिलीवरी में गर्भवती महिला के पेट को ऑपरेशन के द्वारा खोल करके उसके गर्भाशय से बच्चे को निकाला जाता है।  जबकि, नॉर्मल डिलीवरी में शिशु का जन्म गर्भवती महिला के योनि मार्ग के द्वारा कराया जाता है।

 

  • जब नार्मल डिलीवरी होने से शिशु और माँ दोनों को खतरा रहता है, तब डॉक्टर उस स्थिति में सिजेरियन डिलीवरी का रास्ता अपनाते है।

 

  • आज के समय में नार्मल डिलीवरी से ज्यादा सिजेरियन डिलीवरी को अपनाते है। इस संसार में जन्म लेने वाले हर दो में से एक बच्चे का जन्म सिजेरियन डिलीवरी के द्वारा होता है।

 

नार्मल डिलीवरी के फायदे

 

 

  • शिशु के जन्म के बाद दर्द कम होना।

 

  • सेहत में जल्दी-से सुधार होना।

 

  • नार्मल डिलीवरी में शिशु को अपनी मां के साथ प्रारंभिक सम्पर्क थोड़ा पहले मिल जाता है।

 

नार्मल डिलीवरी से होने वाले नुकसान

 

  • जितने नॉर्मल डिलीवरी के फायदे हैं, उतने ही इसके कुछ नुकसान भी हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

 

  • नॉर्मल डिलीवरी होने के लगभग 2 घंटों तक महिला की सेहत में कोई सुधार नहीं होता।

 

  • इस डिलीवरी से गर्भवती महिला को काफी थकान महसूस होना।

 

  • नॉर्मल डिलीवरी की वजह से योनि के चारों ओर की त्वचा और उत्तकों में खिंचाव पड़ जाते हैं।

 

  • कुछ स्थिति में यह फट भी सकते हैं और उसकी मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं।

 

  • कई अध्ययनों के जरिये ये बात भी पता चली है कि जिन महिलाओं की नार्मल डिलीवरी होती है, उन्हें आगे चलकर के उनके आंत्र या मूत्र को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियां कमजोर हो जाती है और भी कई समस्याओ का सामना करना पड़ता है।

 

  • नॉर्मल डिलीवरी के बाद गर्भवती महिलाओं को पेरिनेम में काफी दर्द रहने की समस्या हो सकती है।

 

सिजेरियन डिलीवरी के फायदे

 

  • सिजेरियन डिलीवरी में गर्भवती महिला को कोई दर्द नहीं होता। और इस डिलीवरी में महिला के शरीर के निचे भाग को सुन्न कर दिया जाता है।

 

  • इसके अपने अलग ही फायदे है, जैसे की आप अपनी मनचाही तारीख पर अपना डिलीवरी करवा सकती है।

 

  • इस डिलीवरी में शरीर पर कोई भी स्ट्रेच मार्क्स नहीं पड़ते है।

 

 

सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान

 

  • इसमें गर्भवती महिला का बहुत ज़्यादा खून बहता है और वह बहुत ही कमज़ोर हो जाती है।

 

  • माँ और बच्चे दोनों का ही वजन बढ़ने लगता है।

 

 

  • माँ को स्तनपान करवाने में भी काफी समस्या होती है।

 

  • ऑपरेशन वाली जगह पर महिला को कुछ महीनों से लेकर कई सालों तक दर्द रह सकता है।

 

  • सिजेरियन डिलीवरी कराने की वजह से, माँ में खून की कमी और संक्रमण का भी खतरा रहता है।

 

  • आंत या मूत्राशय की घायल होने की संभावना भी बनी रहती है।

 

  • सिजेरियन डिलीवरी के बाद रिकवरी प्रोसेस बढ़ जाती है। इससे काफी असुविधा तथा दर्द भी होता है।

 

  • प्लेसेंटा (placenta) से संबंधित खतरे भी हर सिजेरियन डिलीवरी के बाद बढ़ते जाते हैं।

 

कई बार कई डॉक्टर भी शिशु की आतंरिक स्थिति देखकर पहले से ही सिजेरियन डिलीवरी करने की सलाह देते है। लेकिन, यह स्थिति तब बनती है, जब नार्मल डिलीवरी से शिशु और माँ दोनों की जान को ख़तरा हो। यह एक बहुत बड़ी सर्जरी होती है।

 

गर्भवस्था के समय आपको समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लेते रहना चाहिए। ऐसा करने से माँ और बच्चे दोनों ही स्वस्थ रहेंगे। और डॉक्टर से संपर्क करके ये भी पूछे की शिशु और माँ दोनों के लिए कौन सी डिलीवरी सही है, सिजेरियन डिलीवरी या नॉर्मल डिलीवरी।

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