कैल्शियम की कमी से हो सकती हैं शरीर में ये कमियां

कैल्शियम (Calcium) एक रासायनिक तत्‍व है जिसकी मानव शरीर को बहुत आवश्‍यकता होती है। ये शरीर में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला खनिज है और अच्छे स्वास्थ्य (Health) के लिए इसे महत्वपूर्ण माना गया है।

 

दिमाग और शरीर के अन्‍य हिस्‍सों के बीच हैल्‍दी कम्‍युनिकेशन और हड्डियों को मजबूत और सेहतमंद बनाए रखने के लिए हम कुछ मात्रा में कैल्शियम का सेवन करते हैं। कैल्शियम कई चीज़ों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है जबकि कुछ प्रॉडक्‍ट्स और सप्‍लीमेंट (Supplements) में इसे डाला जाता है।

 

यह शरीर के विकास और मसल बनाने में भी सहायक होता है। हरी सब्जियां (Vegetables), दही, बादाम और पनीर इसके मुख्य स्रोत हैं। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मानद सचिव डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि कैल्शियम की कमी को हायपोकैल्शिमिया (Hypochalchimia) भी कहा जाता है। यह तब होता है, जब आपके शरीर को पूरी मात्रा में कैल्शियम नहीं मिलता।

 

कैल्शियम से जुड़े तथ्‍य

 

  • हड्डियों की सेहत (Health) के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी होता है।

 

  • विटामिन (Vitamin), डी, कैल्शियम को अवशोषित करने में शरीर की मदद करता है।

 

  • दूध, ब्रोकली और टोफू कैल्श्यिम के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं।

 

  • कैल्शियम सप्‍लीमेंट्स के कुछ हानिकारक प्रभाव भी होते हैं जैसे कि जी मिचलाना या गैस आदि।

 

  • कुछ गहरे रंग की हरी सब्जियां जिनमें ऑक्‍सेलिक एसिड (Oxalic acid) की मात्रा ज्‍यादा हो, वो शरीर की कैल्शियम को अवशोषित करने की क्षमता को घटा देती हैं।

 

हडि्डयों की सेहत

 

शरीर में लगभग 99 प्रतिशत कैल्शियम (Calcium) हड्डियों और दांतों में पाया जाता है। ये हड्डियों के विकास, उत्‍थान और रखरखाव के लिए जरूरी होता है। 20 से 25 साल की उम्र तक कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करता है। इस दौरान हड्डियों की बढ़ने की क्षमता सबसे ज्‍यादा होती है। इस उम्र के बाद हड्डियों का घनत्‍व बंद हो जाता है लेकिन कैल्शियम हड्डियों को मजबूती देना बंद नहीं करता है और हड्डियों के घनत्‍व को कम होने से रोकता है जोकि एजिंग (Aging) की प्रक्रिया का एक प्राकृतिक हिस्‍सा है।

 

जो लोग 20 से 25 की उम्र से पहले पर्याप्‍त मात्रा में कैल्शियम का सेवन नहीं करते हैं उनमें हड्डियों के रोग ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) का खतरा रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि बढ़ती उम्र में हड्डियों में जमा कैल्शियम खत्‍म होने लगता है।

मांसपेशियों में संकुचन

 

कैल्शियम मांसपेशियों (Muscles) में संकुचन करता है। ये ह्रदय की मांसपेशियों में भी काम करता है। जब नर्व मांसपेशी को उत्तेजित करती है तो कैल्शियम रिलीज़ होता है। यह मांसपेशियों में प्रोटीन (Protein) को संकुचन का काम करने में मदद करता है। मांसपेशी को तभी आराम मिलता है जब कैल्शियम मांसपेशियों से बाहर पंप हो जाए।

 

ब्‍लड क्‍लॉटिंग

 

सामन्‍य ब्‍लड क्‍लॉटिंग (Blood clotting) में कैल्शियम अहम भूमिका निभाता है। क्‍लॉटिंग की प्रक्रिया में कई तरह के स्‍टेप्‍स होते है जिसमें केमिकल्‍स (Chemicals) शामिल होते हैं। इन स्‍टेप्‍स में कैल्शियम अहम हिस्‍सा होता है।

 

कैल्शियम युक्‍त फूड

 

सेहत विशेषज्ञों के अनुसार डायट्री कैल्शियम कई चीज़ों और ड्रिंक्‍स में पाया जाता है। हम विभिन्‍न स्रोतों से अपने शरीर की कैल्शियम की जरूरत को पूरा कर सकते हैं।

 

कैल्शियम की कमी और कैल्शियम सप्‍लीमेंट्स

 

जिन लोगों में कैल्शियम की कमी होती है उन्‍हें कैल्शियम सप्‍लीमेंट्स लेने की सलाह दी जाती है। इन सप्‍लीमेंट्स को उन चीज़ों के साथ लिया जाता है जो आसानी से कैल्शियम को अवशोषित कर लें और जिससे इसके हानिकारक प्रभाव कम हो जाएं। कोई भी सप्‍लीमेंट एक बार में 600 ग्राम से ज्‍यादा नहीं होना चाहिए।

 

कैल्शियम सप्‍लीमेंट्स भी पूरे दिन में एक साथ लेने की बजाये धीरे-धीरे लेने चाहिए। दिन में दो से तीन सप्‍लीमेंट्स लेने चाहिए। कई सप्‍लीमेंट्स में विटामिन डी (Vitamin D) मिलाया जाता है क्‍योंकि ये शरीर में प्रोटीन को संश्‍लेषण करने में मदद करता है जिससे कैल्शियम अवशोषित हो पाता है।

 

जैसे कि कैल्शियम कार्बोनेट (Calcium Carbonate) में 40 प्रतिशत कैल्शियम का तत्‍व होता है। इस तरह के सस्ते सप्लीमेंट आसानी से मिल जाते हैं। खाने के साथ इन्‍हें लेने पर ये आसानी से घुल जाते हैं क्‍योंकि इन्‍हें अवशोषित होने के निए पेट के एसिड की जरूरत होती है।

 

कैल्शियम सप्‍लीमेंट्स के हानिकारक प्रभाव

 

कुछ मरीजों को गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल (Gastrointestinal) लक्षण जैसे कि जी मितली, कब्‍ज और गैस या इन तीनों की शिकायत रहती है। कैल्शियम साइट्रेट के कैल्शियम कार्बोनेट के मुकाबले कम नुकसान होते हैं। खाने के साथ सप्‍लीमेंट्स लेने या दिन में दो-तीन बार करके लेने से इसके हानिकारक प्रभाव को कम किया जा सकता है।

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