वायु प्रदूषण से बढ़ रहा है कैंसर और दिल की बीमारियों का खतरा

भारत में अन्य देशों की तुलना में सांस (Ashthma)  की बीमारियों से सबसे ज्यादा लोगों की मौत होती है। वायु प्रदूषण दिल के लिए भी बहुत हानिकारक है। अगर आप अधिक समय तक प्रदूषण में अपना समय बिताते हैं इससे दिल काफी कमजोर बनता हैं। वायु प्रदूषण मनुष्यों को ही नहीं वनस्पतियों, जीव जंतुओं, जलवायु और मौसम यहां तक कि ओजोन परत को भी काफी नुकसान पहुंचाता है। वायु प्रदूषण के कारण ही कुछ सालों में जलवायु परिवर्तन हुआ है, जिससे कारण सूखे की स्थिति पैदा हो गयी है। सांस से संबंधित समस्याएं: वायु प्रदूषण के कारण मनुष्यों को दमा, गले में दर्द, निमोनिया, ब्रॉन्काइटिस (Bronchitis) आदि की समस्या पैदा हो जाती है।

 

दिल पर प्रभाव

 

वायु प्रदूषण से लोगों में ब्लड प्रेशर (Blood Pressure)  और हार्ट अटैक (Heart Attack) के खतरे ज्यादा बढ़ जाता है। एक शोध की मानें तो वायु प्रदूषण (Air Pollution) से फेफड़ों को नुकसान पहुंचने के साथ ही हृदय पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। शोध के मुताबिक हवा में मौजूद सूक्ष्म कण हृदय की कार्यप्रणाली पर बुरा असर डालते हैं। जिसके कारण उसकी इलेक्ट्रानिक सिग्नल (Electronic Signal) देने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में हृदय रोग से पीडि़त मरीजों के हृदय की क्रियाशीलता में प्रदूषण की वजह से आने वाले परिवर्तन की जांच की।

 

किडनी भी होती है प्रभावित

 

पिछले कुछ सालों में बढ़े वायु प्रदुषण के स्तर के कारण इसके किडनी के रोगों का कारण बनने की संभावना है। इस नए शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने देखा कि वायु प्रदूषण से झिल्लीदार नेफ्रोपैथी के होने की संभावना में बढ़ोतरी हुई है, जो किडनी के खराब होने का मुख्य कारण है। लंबे समय तक वायु प्रदुषण में मौजूद कणिका तत्व का आवरण झिल्लीदार नेफ्रोपैथी के जोखिम से जुड़ा होता है। कणिका तत्व वायु मंडल में मौजूद कण प्रदूषण है जो हवा में पाए जाने वाले ठोस कणों और तरल बूंदों के मिश्रण के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

 

दवाएं हो जाती हैं बेअसर

 

क्या आप जानते हैं कि वायु प्रदूषण से जीवाणुओं की क्षमता में वृद्धि होने जाने से सांस संबंधी संक्रमण के इलाज में दी जाने वाली एंटीबॉयोटिक दवाएं (antibiotic medicine) बेअसर हो जाती हैं। यह बात एक शोध में सामने आई। हम कई बार छोटी-छोटी बीमारियों के लिए दवाई खा लेते हैं कि लेकिन उनका कितना असर हमारे शरीर पर होता है, वह नहीं जान पाते। वायु प्रदूषण की वजह से अब ये सभी दवाइयां बेअसर होने लगी हैं। वायु प्रदूषण का प्रमुख घटक कार्बन है। यह डीजल, जैव ईंधन व बायोमास के जलने से पैदा होता है। शोध से पता चलता है कि यह प्रदूषक जीवाणु के उत्पन्न होने और उसके समूह बनाने की प्रक्रिया को बदल देता है। इससे उनके श्वसन मार्ग में वृद्धि व छिपने और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली से लड़ने में सक्षम हो जाता है।

 

महिलाओं में कैंसर की आशंका

 

प्रदूषित वायु में कई तरह के जहरीले तत्व पाये जाते हैं, जिनसे द्वारा कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। जिन इलाकों में उच्च स्तर का वायु प्रदूषण हो, वहां की महिलाओं के स्तनों के ऊतकों का घनत्व ज्यादा हो सकता है, और उसमें कैंसर पनपने की आशंका बढ़ जाती है। यह निष्कर्ष अमेरिका की करीब 2,80,000 महिलाओं पर अध्ययन करने के बाद निकाला गया है। कहा गया है कि स्तनों का आकार ऊतकों का घनत्व बढ़ने से बड़ा हो जाता है और वसा की अधिकता से भी आकार बढ़ता जाता है, लेकिन अगर चर्बी बढ़ने से स्तन का आकार बढ़ा हो, तो उसमें कैंसर पनपने की आशंका नहीं रहती।

 

दिल को फिट रखने के टिप्‍स

 

  • दिल को फिट और तंदरुस्‍त रखने के लिए जरूरी है पौष्टिक आहार खाना चाहिए । अपने खाने के चार्ट में ताजे फल और सब्जियों को शामिल कीजिए।

 

  • ज्‍यादा नमक नहीं खाना चाहिए , क्‍योंकि ज्‍यादा नमक का सेवन करने से रक्‍तचाप बढ़ता है।

 

  • तनाव और अवसाद से दूर रहने की कोशिश कीजिए, क्‍योंकि तनाव ब्‍लड प्रेशर को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।

 

  • धूम्रपान और एल्‍कोहल से दूर रहने की कोशिश कीजिए, कुछ शोधों में यह साबित हो चुका है कि धूम्रपान करने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

 

  • रोज 30-40 मिनट तक व्‍यायाम कीजिए, इससे आपका दिल मजबूत और फिट रहेगा।

Disclaimer: GoMedii  एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।