इंसेफेलाइटिस क्या है, जानिए इसके कारण, लक्षण और बचने के उपाए

इंसेफेलाइटिस को दिमागी बुखार व मस्तिष्क ज्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह बुखार आम वायरल संक्रमण के कारण होता है। इसका वायरस सुअर और मच्छरों के माध्यम से लोगों में फैलता है। इंसेफेलाइटिस एक संक्रामक बीमारी है जो किसी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलती है।

 

इंसेफेलाइटिस का मरीज खुले में मल मूत्र त्यागता है, थूकता या छींकता है, उसके सम्पर्क में आने पर अन्य व्यक्ति भी संक्रमित हो जाते हैं। इंसेफेलाइटिस का एक रूप जापानी बुखार है, जो मच्छरों के कारण फैलता है।

 

 

 

इंसेफेलाइटिस के कारण (Causes of Encephalitis in Hindi)

 

 

 

 

  • इंसेफेलाइटिस बैक्टीरिया परजीवी, रसायन, विषाक्त पदार्थों और गैर-संक्रामक चीजों के कारण भी होता है।

 

 

  • आपको बता दें कि जापानी वायरस भारत में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम का प्रमुख कारण है, वहीं दूसरी ओर, तीव्र इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के कारण निपाह वायरस भी हो जाते है।

 

 

  • वायरल इंसेफेलाइटिस कई वायरल बीमारियों जैसे इन्फ्लूएंजा, चिकनपॉक्स और अर्बोवायरस संक्रमणों के साथ संक्रमण के दौरान भी हो सकता है।

 

 

  • हरपीज सिंप्लेक्स टाइप 1 वायरस इंसेफेलाइटिस के अधिक सामान्य और गंभीर कारणों में से एक है।

 

 

  • इंसेफेलाइटिस से पीड़ित लोग कई प्रकार के वायरस पैदा कर सकते हैं जैसे कि रेबीज वायरस, पोलियो वायरस और वैरिकाला वायरस आदि।

 

 

 

इंसेफेलाइटिस के लक्षण (Symptoms of Encephalitis in Hindi)

 

 

 

 

  • सिरदर्द,

 

 

 

 

  • गर्दन और पीठ का सुन्न होना,

 

 

  • जी मिचलाना,

 

 

  • तेज़ बुखार,

 

 

  • व्यवहार में बदलाव,

 

 

  • मतिभ्रम,

 

 

  • याददाश्त में कमी।

 

 

 

इंसेफलाइटिस के अन्य लक्षण (Other Symptoms of Encephalitis in Hindi)

 

 

  • चमकी नाम का तेज बुखार आता है,

 

 

  • बच्चों के शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है,

 

 

  • तंत्रिका तंत्र के काम करने में बाधा आना,

 

 

  • ब्लड शुगर लो हो जाना,

 

 

  • बच्चे तेज बुखार की वजह से बेहोश हो जाते हैं,

 

 

  • दौरे पड़ना।

 

 

 

इंसेफेलाइटिस का उपचार (Treatment of Encephalitis in Hindi)

 

 

इंसेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चों की देखभाल पूरी तरह से डॉक्टर की निगरानी में होनी चाहिए।

 

मस्तिष्क की सूजन को रोकने के लिए, डॉक्टर उनके रक्तचाप, हृदय गति, श्वास (साँस) और उनके पूरे शरीर की जाँच करते हैं। उसके बाद ही उसके शरीर के अनुसार उसका इलाज करते हैं।

 

इंसेफेलाइटिस के ज्यादातर मामले कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ गंभीर मामलों में समय ज्यादा लग सकता है।

 

 

 

इंसेफेलाइटिस से बचने के तरीके (Ways to Prevention of Encephalitis in Hindi)

 

 

यह बीमारी मच्छर के काटने से होती है, इसलिए आपको उन जगहों पर जाने से बचना चाहिए। अपने घर और घर के बाहर साफ सफाई का बहुत ध्यान रखना चाहिए। आपको उपयुक्त कपड़े पहनना चाहिए ताकि आप मच्छर के काटने से बचे रहें, इसके मच्छर रात के मुकाबले दिन में जल्दी काटते हैं।

 

इसलिए आपको दिन के समय अपना ज्यादा ध्यान रखने की जरुरत है, अक्सर बारिश के मौसम में मच्छरों की संख्या काफी बढ़ जाती है, तब आपको अपने घरों के खिड़की और दरवाजों को दिन में भी ज्यादा देर तक खुला नहीं रखना चाहिए।

 

क्योंकि उस वक़्त भी ये मच्छर आपके घर में प्रवेश कर सकते हैं। ऐसे में आपको अपने घरों में मच्छर दानी का इस्तेमाल करना चाहिए और मच्छर भगाने के लिए प्रभावी कदम उठाना चाहिए। यदि आपके घर में या घर के बाहर कहीं पानी भरा रहता है और वह इस्तेमाल में नहीं आ रहा है तो आपको उसे तुरंत खाली कर देना चाहिए।

 

यदि आपको ऐसे कुछ भी लक्षण अपने शरीर में दिखाई देते हैं तो आप हमारे डॉक्टर से सलाह लें सकते हैं, ऐसे मामलों में लापरवाही करना आपके लिए घातक हो सकता है।

 

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