गर्भाशय कैंसर (endometrial cancer ) को बच्चेदानी का कैंसर (garbhashay cancer) भी कहते है, और यह कैंसर जब होता है, तब गर्भाशय (Uterus) की अंदर वाली परत की कोशिकाएं जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है| जैसे जैसे ये कोशिकाएं बढ़ती है, वैसे वैसे ये शरीर के अन्य हिस्सों में भी कैंसर (cancer) का प्रभाव कर देती है| गर्भाशय कैंसर गायनेकोलॉजी (Gynaecology) से जुड़ा एक खतरनाक प्रकार का कैंसर है| 50 साल की उम्र पार करने के बाद गर्भाशय कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है|
गर्भाशय का कैंसर भारत में तेजी से पांव पसार रहा है. दुनिया में इस मामले में भारत का पहला नंबर है. औरतों के इसे ले कर लापरवाही बरतने की वजह से यह तेजी से फैल रहा है. दक्षिणपूर्व एशिया, भारत और इंडोनेशिशा में कुल कैंसर मरीजों का एकतिहाई हिस्सा गर्भाशय के कैंसर से पीडि़त है. 30 से 45 साल की उम्र की औरतों में इस कैंसर का ज्यादा खतरा होता है, इसलिए इस आयु की औरतों को लापरवाही छोड़ कर सचेत होने की जरूरत है.
भारत में गर्भाशय कैंसर की स्थिति
गर्भाशय कैंसर पश्चिमी महिलाओं में अधिक पाया जाता है। हालांकि एक अध्ययन के अनुसार, भारत में यह दर प्रति एक लाख लोगों में 4.3 है।
भारत में गर्भाशय कैंसर के रोगियों का जीवन दर
उपरोक्त अध्ययन में यह भी पाया गया कि 5 सालों से भारत में गर्भाशय कैंसर (Uterine cancer) के रोगियों की जीवन रक्षा दर 92% थी। पांच साल की दर के अनुसार 50 साल से कम उम्र के लोगों में (97%), तंबाकू न खाने वाले लोगों में (94%), जिनके परिवार में कोई भी कैंसर से ग्रस्त नहीं है उनमें (93%) और जिनका सर्जरी द्वारा कोई इलाज हुआ हो उनमें (95%) लोग इस रोग से सुरक्षित पाए गए हैं।
गर्भाशय कैंसर के लक्षण
1. गर्भाशय कैंसर (garbhashay cancer) का ट्यूमर (Tumor) अधिक बढ़ने पर यह मूत्राशय, पेट और छोटी आंत पर दबाव डालने लगता है, जिसके कारण महिलाओं को मल त्यागने में बहुत कठिनाई होती है|
2. गर्भाशय कैंसर होने पर पेट की परत में एक तरल पदार्थ का निर्माण होता है| यह तरल पदार्थ इस क्षेत्र में दवाब डालता है, जिसके कारण सांस लेने में बहुत परेशानी होती है|
3. गर्भाशय कैंसर का मुख्य लक्षण है, संभोग के समय दर्द होना| संभोग के समय दर्द होने को डायसपारुनिया (Diasporania) भी कहते है| यह महिलाओं में होने वाली बहुत बड़ी समस्या है|
4. श्रोणि में दर्द होने को महिलाएं सामान्य मानकर अक्सर नजरअंदाज कर देती है, लेकिन श्रोणि में दर्द होना गर्भाशय कैंसर का संकेत भी हो सकता है, इसीलिए श्रोणि में दर्द होने की समस्या को हल्के में ना ले और तुरत किसी महिला डॉक्टर से संपर्क करे|
5. गर्भाशय कैंसर होने पर महिलाओं को भूख कम लगती है और बहुत कम भोजन करने पर भी पेट भर जाने का अनुभव होता है|
6. पेशाब के साथ खून आना, बार बार पेशाब आना और पेशाब पर कण्ट्रोल ना होना, पेशाब से जुडी ये सभी प्रॉब्लम गर्भाशय कैंसर की ओर संकेत करती है|
7. गर्भाशय कैंसर (garbhashay cancer) के होने पर भूख कम लगने के कारण महिलाओं का वजन तेजी से कम होने लगता है|
8. गर्भाशय कैंसर की कोशिकाएं जब महिलाओं के उत्तको में फ़ैल जाती है, तब रजोनिवृत्ति (Minopause) के बाद अचानक महिलाओं को ब्लीडिंग होने लगती है|
9. गर्भाशय कैंसर से होने पर महिलाओं की पीठ के निचे दर्द होता है| जैसे जैसे कैंसर की कोशिकाएं बढ़ती है, वैसे वैसे पीठ में होने वाला दर्द बढ़ता जाता है|
10. गर्भाशय कैंसर से ग्रसित महिलाओं को नींद अधिक आती है और भरपूर नींद लेने के बाद भी वो शारीरिक थकान का अनुभव करती है|
गर्भाशय कैंसर के कारण
1. महिलाओं के अंडाशय में प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) और एस्ट्रोजन (Estrogen) दो प्रकार के हार्मोन्स होते है| जब इन दोनों हार्मोन्स में असंतुलन होता है, तब गर्भाशय की दीवार धीरे धीरे मोटी हो जाती है, जिसके कारण गर्भाशय कैंसर होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है|
2. जो महिलाये हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (hormone replacement therapy) करवाती है, उनमे बच्चेदानी का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है, ऐसा इसीलिए होता है, क्योंकि इस थेरेपी में केवल एस्ट्रोजन हार्मोन होता है, प्रोजेस्टेरोन नहीं होता| जिसके कारण गर्भाशय कैंसर का खतरा बढ़ जाता है|
3. गर्भाशय कैंसर (garbhashay cancer) का खतरा 50 से 60 साल की उम्र पार करने के बाद बढ़ जाता है| इस उम्र में आपको पीरियड्स (periods) होने बंद हो जाते है, ऐसे में गर्भाशय कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है|
4. हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure) और मधुमेह (diabetes) की समस्या गर्भाशय कैंसर के खतरे को बढ़ा देती है| एक शोध के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह का मुख्य कारण मोटापा है| इस प्रकार मोटापा भी बच्चेदानी के कैंसर का कारण बन सकता है|
5. रजोनिवृत्ति का देर से होना भी यूटेरिने कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है| जिन महिलाओं को रजोनिवृत्ति देर से होती है, उन्हें समय समय पर गर्भाशय कैंसर की जाँच कराते रहना चाहिए|
6. अगर आपके परिवार में किसी को पहले कभी कोलोरेक्टल कैंसर या गर्भाशय कैंसर रहा है, तो आपमें बच्चेदानी के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि बच्चेदानी का कैंसर आनुवंशिक होता है|
गर्भाशय कैंसर से बचाव
1. गर्भाशय कैंसर से बचने के लिए रोजाना योग और व्यायाम करे|
2. गर्भाशय कैंसर के बचने के लिए वजन कण्ट्रोल (Weight control) में रखे|
3. असामान्य रक्तस्राव (Bleeding) की प्रॉब्लम होने पर तुरंत इसका उपचार कराये|
4. गर्भाशय कैंसर (garbhashay cancer) के कोई भी लक्षण नजर आने पर देर किये बिना तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे|
5. ताजे फलो और हरी सब्जियों को अपने आहार का मुख्य हिस्सा बनाये|
6. अगर आपको मधुमेह की समस्या है, तो अपना ब्लड शुगर लेवल कण्ट्रोल (Blood sugar level control) में रखे|
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