बारिश में ज्यादा फैलता है आंखों का संक्रमण, जानिए बचने के आसान उपाय

बारिश का मौसम संक्रमण (Infection)  का मौसम होता है। यह आपकी सेहत के लिए भी परेशानी वाला होता ही है, आंखों के लिए भी उतना ही खतरनाक होता है क्योंकि आंखों का संक्रमण (Eye Infections During Monsoons) सबसे ज्यादा इस मौसम में ही होता है।

 

डॉक्टरों के अनुसार, बारिश (Monsoon) के बाद उमस (Humidity) होने से बैक्टीरिया (Bacteria) तेजी से फैलते हैं। पानी व अन्य माध्यमों से यह आंखों तक पहुंचकर बीमार कर रहे हैं। इन दिनों लोगों की आंखों के ऊपरी हिस्से में सूजन की समस्याएं सामने आ रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि आंखें लाल होने, जलन व सूजन आदि में विशेषज्ञ की सलाह पर ही दवा लें। एनआईटी तीन ईएसआई मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ़ पीयूष के अनुसार, बारिश के दिनों में इंफेक्शन तेजी से होता है। लोग ध्यान रखें कि आंखें बारिश के संपर्क में सीधे नहीं आनी चाहिए, क्योंकि बारिश के पानी से कई तरह के इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है।

 

बारिश के मौसम के दिनों में विभिन्न संक्रमणों के साथ-साथ कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) यानि आंखों के संक्रमण का खतरा सबसे अधिक होता है। ऐसे में शहर के एसएमएस अस्पताल सहित अन्य सरकारी और निजी नेत्र रोग विशेषज्ञों के पास इन दिनों इस संक्रमण से ग्रसित मरीजों की तादाद में इजाफा हुआ है। संक्रमण होने पर आंखों में कुछ रेत की तरह चुभता है और आंखों में दर्द के साथ जलन होती है। यह संक्रमण एक-दो दिन नहीं, बल्कि लंबे समय तक आपको परेशान कर सकता है, क्योंकि इस बीमारी का कीटाणु अपनी सात दिन की उम्र पूरी करके ही खत्म होता है। हालांकि दर्द निवारक गोलियों (Painkillers) और एंटिबायोटिक (Antibiotic) आई ड्रॉप (eye drop) से कंजक्टिवाइटिस में राहत मिलती है।

 

कंजक्टिवाइटिस

 

हालांकि कंजक्टिवाइटिस से दृष्टि को कभी कोई गंभीर क्षति नहीं पहुंचती है, लेकिन जब तक यह संक्रमण ठीक नहीं होता तब तक मरीज को बेचैन किए रहता है। यह बीमारी बैक्टीरिया, वायरस (Virus) या ऐसे पदार्थों की एलर्जी से होती है जो आंखों में जलन पैदा करते हैं। धूल, धूप और धुएं किसी से भी कंजक्टिवाइटिस बढ़ सकता है।

 

कंजक्टिवाइटिस के लक्षण

 

कंजक्टिवाइटिस के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। सबसे आम लक्षण है आंखों में जलन और रेत कणों के अंदर होने का एहसास होना। अंदरूनी पलकें और आंखों के किनारे लाल सुर्ख हो जाती हैं। आंखों से लगातार पानी भी गिरता है। सुबह सोकर उठने पर दोनों पलकें आपस में चिपकी हुई मिल सकती हैं। कई लोगों की आंखें सूज जाती हैं और वे तेज रोशनी के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं।

 

कंजक्टिवाइटिस से बचने के उपाय

 

केमिस्ट की सलाह पर कोई ड्रॉप न खरीदें। इनमें तेज स्टेरायड्स (Steroids) भी हो सकते हैं जिनसे कोर्निया (Cornea) में गंभीर संक्रमण भी हो सकता है। इससे कोर्निया में अल्सर भी हो सकता है। आंखों को मसलें या रगड़ें नहीं। संक्रमित व्यक्ति का तौलिया, रूमाल, धूप का चश्मा वगैरह का इस्तेमाल न करें। पीड़ित कहीं बाहर ना जाएं।

 

कैसे फैलता है कंजक्टिवाइटिस संक्रमण

 

कंजक्टिवाइटिस का संक्रमण आपसी संपर्क के कारण फैलता है। इस रोग का वायरस संक्रमित मरीज के उपयोग की किसी भी वस्तु जैसे रूमाल, तौलिया, टेलीफोन के रिसीवर सहित अन्य वस्तुओं के इस्तेमाल से एक दूसरे तक पहुंचता है।

 

बारिश में आंखों संक्रमण से बचने के उपाय

 

1. आंखों की सफाई का खास तौर से ख्याल रखें। इसके लिए सुबह शाम आंखों को ठंडे और साफ पानी से धोएं ताकि किसी भी प्रकार की गंदगी आंखों में न रह जाए।

 

2. सही मात्रा में नींद लें ताकि आंखों की थकावट (Exhaustion) दूर हो। शरीर से ज्यादा हमारी आंखें दिनभर काम करती हैं, ऐसे में उन्हें आराम देना भी बेहद जरूरी है।

 

3. ठंडी हवा, धूल कणों, धुएं आदि से आंखों को बचाएं। इसके लिए जब भी किसी ऐसे स्थान से गुजरें, आंखों को चश्मे से कवर कर लें ताकि ये कण आंखों में न जा सकें।

 

4. आंखों में किसी भी तरह की असहजता, लालिमा या खुजली होने पर बिना देर किए आंखों के डॉक्टर को दिखाएं और उनकी सलाह लें।

 

5. सौंदर्य प्रसाधन (beauty product) भी आंखों का इंफेक्शन पैदा कर सकता है इसलिए इनका प्रयोग करते समय सावधानी बरतें और किसी का प्रयोग किया गया काजल न लगाएं।

 

6. कम्प्यूटर स्क्रीन, मोबाइल लैपटॉप आदि पर काम करते समय हर थोड़ी थोड़ी देर में ब्रेक लें, ताकि आंखों पर अधिक दबाव न बने।


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