खसरा के लक्षण, कारण और बचाव के लिए घरेलू उपचार

खसरा (Measles) एक वायरल इंफेक्शन है जो श्वसन तंत्र (respiratory system) में होता है। यह एक संक्रामक बीमारी मानी जाती है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित श्लेष्म (mucus) या लार (saliva) के जरिए फैलती है। यह बीमारी आमतौर पर बच्चों को होती है। एक संक्रमित व्यक्ति के छींकने और कफ के माध्यम से संक्रमण हवा में फैल जाता है और उस हवा में सांस (breath) लेने से दूसरा व्यक्ति भी बहुत आसानी से इस बीमारी के चपेट में आ जाता है। खसरा बच्चों में मौत का सबसे बड़ा कारण है और हर साल हजारों बच्चे इस बीमारी की चपेट में आकर मर जाते हैं। इस संक्रमण के शुरूआत में मस्तिष्क की कोशिकाओं (brain cell) में सूजन आ जाता है और बाद में समस्या गंभीर होने पर कई सालों बाद व्यक्ति का मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाता है।

 

खसरा के कारण

 

खसरा एक बेहद संक्रामक बीमारी है जो पैरामिक्जो वायरस (paramyxovirus) के कारण होती है। यह संक्रमित व्यक्ति के कफ, छींकने, सांस लेने और नाक बहने के कारण छोटी-छोटी बूंदों (droplets) के जरिए दूसरे व्यक्ति में भी फैल जाती है। इसके अलावा वायरस के संपर्क में आने के बाद मुंह में उंगली डालने, नाक रगड़ने, आंखों को छूने से भी संक्रमण फैल जाता है जिसके कारण व्यक्ति खसरे से पीड़ित हो जाता है। लगभग 90 प्रतिशत लोग दूसरे व्यक्ति में यह वायरस होने से उसके संपर्क में आने के कारण इस समस्या से ग्रसित हो जाते हैं। लेकिन इंफ्लूएंजा वायरस के विपरित खसरा उत्पन्न करने वाले वायरस लंबे समय तक जिंदा नहीं रहते हैं। यह हवा में उत्पन्न होते हैं और अधिक संक्रामक होते हैं।

 

खसरा का संक्रमण निम्न कारणों से फैलते हैं।

 

  • किसी वस्तु में वायरस उत्पन्न होने के दो घंटे के भीतर उसे छूने से ।

 

  • संक्रमित व्यक्ति (infected person) के शारीरिक संपर्क में आने से ।

 

  • संक्रमित व्यक्ति के कफ, लार, नाक के पानी से संक्रमित जगह को हाथों से छूने या उसके संपर्क में आने से।

 

खसरा के लक्षण

 

आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के लगभग 14 दिनों बाद खसरा के लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं। शुरूआत में प्रायः सिर्फ हल्का बुखार आता है लेकिन बाद में यह गंभीर हो जाता है और कई दिनों तक बना रहता है। लेकिन जब शरीर पर लाल चकते (rash) दिखायी देने लगते हैं तब बुखार लगातार नहीं बना रहता है।

 

  • गले में कफ बनना

 

  • बुखार आना

 

  • आंखें लाल होना

 

  • प्रकाश के प्रति संवेदनशील होना

 

  • मांसपेशियों में दर्द

 

  • नाक बहना

 

  • गले में खराश (sore throat)

 

  • मुंह के अंदर सफेद धब्बे पड़ जाना

 

  • आंखों से पानी बहना और झींक आना

 

  • इसके अलावा कान के पीछे लाल चकते (red rashes) उभर आते हैं जो सिर एवं गर्दन तक फैल जाते हैं। कुछ दिनों के बाद ये लाल चकते पैरों सहित पूरे शरीर पर फैल जाते हैं। जैसे-जैसे ये लाल चकते बढ़ते जाते हैं आपस में मिलकर पूरे शरीर को घेर लेते हैं। इस स्थिति में शरीर में खुजली शुरू हो जाती है।

 

खसरा का घरेलू उपचार

 

दिन के दौरान नियमित अंतराल पर संतरे या नींबू का रस पीएं। इन फलों का खट्टे स्वाद संक्रमण के कारण भूख में आयी कमी को समाप्त कर सकता है। नींबू और नारंगी के रस भी निर्जलीकरण को कम करने और विटामिन सी सामग्री के साथ प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। शहद या दूध के साथ हल्दी पाउडर को मिलाकर पीने से खसरा को ठीक करने में सहायता मिल सकती है, क्योकि यह प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ावा देती है। खांसी और गले की खरास को कम करने के लिए बच्चों को शहद के साथ लाइसोरिस पाउडर (licorice) मिलाकर दिया जा सकता है।

 

खसरा से बचाव

 

चूंकि खसरा एक संक्रामक बीमारी है इसलिए इस बीमारी से बचाव करना बहुत जरूरी है ताकि यह संक्रमण अन्य व्यक्तियों में न फैले। आइये जानते हैं कि खसरा से किस तरह बचाव किया जा सकता है।

 

  • यदि घर में कोई व्यक्ति खसरा से पीड़ित हो तो घर के दूसरे समस्यों को उसके संपर्क से दूर रखें।

 

  • खसरा से बचने के लिए हर व्यक्ति को खसरा का वैक्सीन (Vaccine) लगवाना चाहिए ताकि किसी संक्रमित (infected) व्यक्ति के संपर्क में आने से उसे यह बीमारी न हो।

 

  • जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर है उन्हें इम्युनिटी बढ़ाने के उपाय करने चाहिए अन्यथा वे बहुत जल्द ही इस बीमारी के चपेट में आ सकते हैं।
Doctor Consutation Free of Cost=

Disclaimer: GoMedii  एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।