जानिए पार्किंसंस के इलाज के लिए हॉस्पिटल | Best Parkinson’s treatment centers in India

पार्किंसंस आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को प्रभावित करता है। पार्किंसंस रोग मूल रूप से एक न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर है जो मस्तिष्क के थायरिया नाइग्रा क्षेत्र में डोपामिनर्जिक न्यूरॉन्स को प्रभावित करता है, जो डोपामाइन उत्पादन के लिए अनिवार्य रूप से जिम्मेदार है।

डोपामाइन वह रसायन है जो मस्तिष्क के चारों ओर संदेश ले जाने के लिए जिम्मेदार होता है। उदाहरण के लिए जब आपको शरीर में कहीं पर  खुजली महसूस होती है, तो यह डोपामाइन संदेश को तंत्रिका कोशिकाओं तक पहुंचाता है जो आपकी मांसपेशियों को खुजली करने के लिए नियंत्रण करता है।

 

 

पार्किंसंस रोग के प्रकार

 

ऐसा कहा जाता है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में पार्किंसंस रोग का खतरा 50 प्रतिशत अधिक होता है। यह बीमारी जेनेटिक भी हो सकती है, लेकिन जरूरी नहीं कि यह हर बार हो। यह मुख्यतः दो प्रकार का होता है।

 

  • प्राथमिक या इडियोपैथिक: न्यूरॉन्स के नुकसान का कारण ज्ञात नहीं है।

 

  • द्वितीयक या एक्वायर्ड: इसमें रोग के कारण का पता चलता है, जैसे दवा, संक्रमण, ट्यूमर, विष आदि।

 

 

जानिए पार्किंसंस के इलाज के लिए हॉस्पिटल | Best Parkinson’s treatment centers in India

 

 

यदि आप पार्किंसंस के इलाज कराना चाहते हैं, तो आप हमारे द्वारा इन सूचीबद्ध अस्पतालों में से किसी भी अस्पताल में अपना इलाज करा सकते हैं:

 

  • सर्वोदय अस्पताल, मुंबई

 

  • श्री रामचंद्र मेडिकल सेंटर, चेन्नई

 

  • एमजीएम हेल्थकेयर प्रा. लिमिटेड, चेन्नई

 

  • फोर्टिस अस्पताल, मुंबई

 

  • सीके बिड़ला अस्पताल, कोलकाता

 

  • रेनबो हॉस्पिटल, दिल्ली

 

  • अपोलो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, चेन्नई

 

  • साइटकेयर कैंसर अस्पताल, बैंगलोर

 

  • ब्लैक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, दिल्ली

 

  • केयर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, अहमदाबाद

 

  • इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नोएडा

 

  • मेदांता द मेडिसिटी, गुरुग्राम

 

  • फोर्टिस अस्पताल, अहमदाबाद

 

यदि आप इनमें से कोई अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं तो हमसे व्हाट्सएप (+91 9599004311) या आप इस नंबर पर कॉल कर सकते हैं।

 

 

पार्किंसंस रोग के कारण

 

पार्किंसंस रोग का मुख्य कारण थायरिया नाइग्रा से न्यूरॉन्स की हानि है। यह मस्तिष्क का वह भाग है जो शरीर को नियंत्रित करने के लिए मस्तिष्क से रीढ़ की हड्डी तक संकेत भेजता है। दरअसल, यह काम इस हिस्से में बनने वाले केमिकल डोपामाइन से होता है, जो इन न्यूरॉन में बनता है। पार्किंसंस रोग इन न्यूरॉन्स की संख्या में कमी का कारण बनता है, जिसके परिणामस्वरूप डोपामाइन की मात्रा में कमी आती है। ऐसे में दिमाग से सिग्नल भेजने में दिक्कत होती है और शरीर कंट्रोल नहीं हो पाता है।

 

 

पार्किंसंस रोग के लक्षण क्या हैं?

 

 

पार्किंसंस रोग के लक्षण शुरूआती दौर में दिखाई नहीं देते हैं। इसके लक्षण 80 फीसदी न्यूरॉन के नष्ट होने के बाद ही दिखने लगते हैं। फिर समय के साथ जैसे-जैसे मस्तिष्क में डोपामाइन रसायन की मात्रा और घटती जाती है, इसके लक्षण बढ़ते जाते हैं। पार्किंसंस रोग के कुछ लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

 

  • बेहोशी छाना

 

 

  • बार-बार नींद खुलना

 

  • थकान महसूस होना

 

  • कब्ज की समस्या रहना

 

  • आवाज में नरमाहट आना

 

  • शारीरिक संबंधों में कम रुचि

 

 

  • खाना या पानी निगलने में समस्या

 

  • शरीर को संतुलित रखने में समस्या

 

  • मूड स्विंग जैसे कि अवसाद आदि

 

 

  • किसी भी कार्य में रुचि कम होना (Epathy)

 

 

  • शरीर के किसी भाग में कंपन होना, खासकर हाथ में

 

  • संवेदी (Sensory) लक्षण, जैसे कि गंध की अनुभूति या दर्द आदि न होना

 

  • शारीरिक गतिविधियां, जैसे – चलना व करवट बदलना आदि में धीमापन

 

 

पार्किंसंस रोग का इलाज

 

 

थेरेपी 

  • लेवोडोपा: इस थेरेपी के जरिए दिमाग में डोपामाइन की मात्रा को बढ़ाया जाता है। हालांकि, इस थेरेपी के कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे उल्टी, मतली, बेचैनी और निम्न रक्तचाप। ऐसे में इन दुष्प्रभावों से बचने के लिए कार्बिडोपा नाम की दवा भी इस थेरेपी के साथ दी जाती है। यह दवा लेवोडोपा के प्रभाव को भी बढ़ाती है।

 

  • डीप ब्रेन स्टिमुलेशन: यह थेरेपी उन रोगियों को दी जाती है जो लेवोडोपा या पार्किंसंस रोग के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अन्य दवाओं का जवाब नहीं देते हैं। यह एक प्रकार की सर्जरी है जिसमें मस्तिष्क और छाती में एक विद्युत उपकरण लगाया जाता है। यह उपकरण पार्किंसंस रोग के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करता है, जैसे चलने-फिरने में समस्या, शरीर में अकड़न और कंपन महसूस होना।

 

  • सर्जरी: चुनिंदा मामलों को छोड़कर पार्किंसंस के उपचार के लिए सर्जरी की सिफारिश नहीं की जाती है। आमतौर पर, सर्जरी की सलाह तब दी जाती है जब रोगी बीमारी के एक उन्नत चरण में पहुंच गया हो और उसमें असहनीय मोटर लक्षण हों।

 

  • अन्य उपचार: इनके अलावा, पार्किंसंस रोग के प्रभाव को कम करने के लिए शारीरिक, व्यावसायिक और भाषण चिकित्सा सहित अन्य उपचारों का भी उपयोग किया जाता है।

 

यदि आप पार्किंसंस का इलाज (Best Parkinson’s treatment centers in India) कराना चाहते हैं, या इस बीमारी से सम्बंधित कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें। इसके अलावा आप प्ले स्टोर (play store) से हमारा ऐप डाउनलोड करके डॉक्टर से डायरेक्ट कंसल्ट कर सकता हैं। आप हमसे व्हाट्सएप (+91 9599004311)  पर भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमें Connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी।

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