प्रेगनेंसी के दौरान थायराइड : लक्षण, कारण और इलाज

प्रेगनेंसी में थाइरोइड होना बहुत खतरनाक हो सकता है. लेकिन सही ट्रीटमेंट और समय-समय पर जाँच से थायराइड को नियंत्रण में रखा जा सकता है. भारत में 10 में से 1 महिला थाइरोइड रोग से ग्रसित होती है. वैसे तो थाइरोइड एक आम बीमारी है, पर जितना जल्दी हो सके हर गर्भवती महिला का थायराइड हॉर्मोन की जाँच करा लेना चाहिए।

 

गर्भावस्था के दौरान थायराइड की समस्या होने पर महिला और शिशु दोनों को खतरा हो सकता है। जिन महिलाओं को थायरॉयड की समस्या होती है, उन्हें गर्भधारण के पहले और गर्भावस्था के हर महिने भी जांच कराते रहना चाहिए।

 

यह बीमारी मेटाबालिज्म से जुडी हुई है।जिसमें थायराइड हार्मोन का स्राव असंतुलित हो जाता है, जिस वजह से शरीर की अंदर की क्रियाओं गड़बड़ी हो जाती है। और फिर कई तरह की परेशानियों का सामना करना पडता है.

 

प्रेगनेंसी में थायराइड की समस्या के लक्षण

 

 

  • मांसपेशियों में कमज़ोरी,

 

 

 

  • आवाज़ मे भारीपन आना,

 

 

 

  • गर्दन और जोड़ो मे दर्द होना,

 

  • मिसकैरिज या कंसीव न कर पाना.

 

  • कोलेस्ट्रॉल बढ़ना.

 

  • दिल का सही ढंग से काम न करना.

 

  • शरीर और चेहरे पर सूजन.

 

प्रेग्नेंसी में थायरॉयड से कैसे बचा जाए

 

  • गर्भवती महिला को थायरॉयड होने पर हर महीने थायरॉयड की जांच करानी चाहिए.

 

  • महिलाओं में ज़्यादातर हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) होता है और ऐसी स्तिथि में थायराइड ग्लैन्ड ज़रुरत से ज़्यादा हॉर्मोन बनाता है। और इस वजह से महिलाएँ अनियमित माहवारी और गर्भधारण करने में मुश्किल महसूस कर सकती हैं।

 

  • गर्भावस्था के समय हाइपोथायरॉयड होने से महिला में गर्भपात होने की संभावना बढ़ सकती हैं. इतना ही नहीं बच्चे का गर्भ में ही मृत्यु होने का खतरा भी हो सकता है.

 

  • हाइपरथायरायडिज्म से बचने के लिए ऐन्टी-थायराइड की दवाई ले सकते हैं।

 

  • ऐसी स्तिथि में महिला को अपने खानपान का भी खास ख्याल रखना चाहिए और ज्यादा समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए।

 

  • अगर प्रेग्नेंसी में थायरॉयड की बीमारी है, तो उनका होने वाले बच्चा असमान्य भी हो सकता है और साथ ही शारीरिक और मानसिक विकास पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है.

 

  • गर्भावस्था के दौरान थायरॉयड की समस्या होने पर नवजात शिशु का नियोनेटल हाइपोथायरॉयड की समस्या भी हो सकती हैं.

 

  • प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड है, तो हर 6 हफ़्तों में TSH लेवल की जाँच करानी चाहिए। इससे TSH लेवल नियंत्रण में रहता है.

 

खान-पान पर विशेष ध्यान दें

 

  • नमक का सेवन अधिक मात्रा में न करे. खाने में सेंधा या काला नमक प्रयोग करें।

 

  • रोज 3-4 लीटर पानी पीएं। ऐसा करने से शरीर में जितने विषैले पदार्थ होते है, वो बाहर निकल जाते है।

 

  • अधिक मात्रा में पानी का सेवन करे।

 

  • नेचुरल आयोडीन का सेवन करे, जैसे कि टमाटर, प्याज और लहसुन। ये थायराइड को कंट्रोल करने मे काफी असरदार है.

 

  • हरी सब्जियों और गाजर मे विटामिन ए पाए जाते है, जो थायराइड को कंट्रोल करने मे मदद करता है। अधिक मात्रा में इसका सेवन करे.

 

  • हल्दी के दूध का रोज सेवन करे। अगर आपको दूध पीना पसंद नहीं तो आप हल्दी को भून कर इसका सेवन कर सकती है।

 

  • रोजाना सुबह खली पेट लौकी का जूस पिने से भी थाइराइड की समस्या जल्द से जल्द खत्म हो जाती है।

 

  • रोज तुलसी में आधा चम्मच एलोवेरा जूस मिला कर पीने से भी फायदा मिलता है।

 

  • बादाम और अखरोट दोनों में सेलीनीयम पाए जाते है, जो की थायराइड के इलाज के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके रोज सेवन से गले की सूजन में भी आराम मिलता है।

 

  • प्रैग्नेंसी में थायराइड की समस्या होने पर रोजाना आधा घंटा व्यायाम करें।

 

प्रेग्नेंसी में थायरॉयड का पता लगते ही महिला को तुरंत से तुरंत इलाज करा लेना चाहिए। डॉक्टर के सलाहानुसार समय-समय पर लगातार जांच करानी चाहिए और नियमित रूप से दवाओं का सेवन भी करना चाहिए, जिससे होने वाले बच्चे पर थायरॉयड का प्रभाव न पड़े और गर्भवती महिला भी सुरक्षित रहें।

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