डायलिसिस रक्त को साफ करने की प्रकिया है यह प्रक्रिया तब की जाती है जब किसी व्यक्ति की किडनी ख़राब हो जाती है। डायलिसिस की प्रक्रिया में रोगी के रक्त से अपशिष्ट, विषाक्त पदार्थ और अतिरिक्त पानी निकाल दिया जाता है। डायलिसिस इसलिए किया जाता है ताकि शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन भी बना रहे, इसलिए क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) से पीड़ित रोगी डायलिसिस के माध्यम से जीवन जीते हैं। डॉक्टर डायलिसिस कराने की सलाह तब देते हैं जब किसी व्यक्ति की किडनी खराब हो जाती है। ऐसा ही विजय कुमार त्यागी के साथ हुआ जिसके बाद GoMedii ने उनकी मदद की।
GoMedii ने विजय का रमा हॉस्पिटल में कराया डायलिसिस
डॉक्टर ने विजय कुमार त्यागी को डायलिसिस की सलाह दी क्योंकि उनकी किडनी (Kidney) सही से काम नहीं कर रही थी। इसका मतलब है कि किडनी पूरी तरह से फेल हो जाती है। किडनी से जुड़े रोगों (Kidney Disease), लंबे समय से डायबिटीज के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है। विजय का इलाज डॉ समीर तवाकले ने किया है वह हापुड़ के रमा हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी एंड रेनल ट्रांसप्लांट मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉक्टर हैं।
डायलिसिस कराने वाले मरीज को डॉक्टर पहले से कुछ सलाह देते हैं ताकि उस दौरान किसी भी तरह की कोई समस्या न हो। लेकिन डायलिसिस से बचने का एक मात्रा और आखिरी इलाज किडनी ट्रांसप्लांट ही है। दरअसल डॉक्टर बहुत से किडनी के मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं।
रमा हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी विभाग में किन स्थितियों का इलाज होता है?
रामा नेफ्रोलॉजी विभाग में किडनी और उच्च रक्तचाप से संबंधित विकारों से संबधित बीमारी का इलाज किया जाता है। हमारी टीम संवेदनशीलता और सहानुभूति के साथ मरीज की चिंताओं का समाधान करती है। इस विभाग में सामान्य नेफ्रोलॉजी, हेमोडायलिसिस, पेरिटोनियल डायलिसिस, क्रिटिकल केयर, इंटरवेंशन नेफ्रोलॉजी, रीनल ट्रांसप्लांटेशन और रीनल न्यूट्रीशन में देखभाल प्रदान करता है।
- एक्यूट किडनी फेलियर
- क्रोनिक किडनी डिजीज
- घातक उच्च रक्तचाप
- झिल्लीदार नेफ्रोपैथी
- माइक्रोस्कोपिक पॉलीएंगाइटिस
- मिनिमल परिवर्तन रोग (Minimal change disease)
- नेफ्रोजेनिक प्रणालीगत फाइब्रोसिस
- न्यूरोब्लास्टोमा
- ऑर्थोस्टेटिक हाइपरटेंशन
- पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज
- पोस्ट-ट्रांसप्लांट हाइपरटेंशन
- प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia)
- रीनल आर्टरी स्टेनोसिस (Renal artery stenosis)
- रेनल पैरेन्काइमल रोग
- रेसिस्टेंट हाइपरटेंशन (Resistant hypertension)
- सेकंडरी हाइपरटेंशन
- मूत्रवाहिनी रुकावट (Ureteral obstruction)
डायलिसिस कितने प्रकार के होते हैं?
डायलिसिस कराने के दो तरीके हैं:
- हेमोडायलिसिस
- पेरिटोनियल डायलिसिस
डॉक्टर ने विजय को हेमोडायलिसिस कराने की सलाह दी। दरअसल इसमें मशीन आपके शरीर से रक्त निकालती है, इसे एक डायलाइज़र के माध्यम से फ़िल्टर करती है और मरीज के शरीर में साफ रक्त को भेजती है। यह 3 से 5 घंटे की प्रक्रिया होती है। विजय कुमार त्यागी ने GoMedii के माध्यम से रमा अस्पताल में डायलिसिस कराया है। डॉक्टर ने कुछ दिनों तक विजय का डायलेसिस हॉस्पिटल में किया उसके बाद उन्हें घर पर ही डायलेसिस करवाने की सलाह दी।
हेमोडायलिसिस के दौरान क्या होता है?
हेमोडायलिसिस के दौरान, डायलिसिस मशीन कैसे काम करती है:
मरीज की बांह में सुई के माध्यम से खून निकाला जाता है। उसके बाद डायलाइज़र से फ़िल्टर के माध्यम से रक्त का संचार शुरू किया जाता है, जो अपशिष्ट (खराब) खून को बाहर निकालता है। इसमें पानी, नमक और अन्य योजक पदार्थ होते हैं। मरीज की बांह में एक अलग सुई के माध्यम से फ़िल्टर्ड रक्त भेजा जाता है। मरीज के शरीर के अंदर और बाहर रक्त कितनी तेजी से बहता है, इसे समायोजित करने के लिए डॉक्टर रक्तचाप की निगरानी भी की जाती है।
विजय और उनके परिवार ने किया GoMedii का धन्यवाद!
विजय पिछले कुछ महीने से काफी परेशान थे लेकिन जैसे ही उन्होंने GoMedii से संपर्क किया उसके बाद से उनके स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार होने लगा। अब विजय पहले से काफी स्वस्थ महसूस कर रहे हैं और उन्होंने इसका श्रेय GoMedii की पूरी टीम को दिया है। विजय के परिवार ने भी GoMedii को धन्यवाद किया और कहा कि कम लागत में हमने विजय को सही इलाज कराने की सलाह दी है। यदि आप भी किसी बीमारी से परेशान हैं और अपना इलाज कराना चाहते हैं तो इसके लिए आप यहाँ क्लिक करें या आप हमसे व्हाट्सएप (+91 9654030724) पर संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमें Connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी।
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