क्या होती है स्लिप डिस्क, जाने इसके लक्षण, कारण, जांच, उपचार

 

स्लिप डिस्क को स्पाइनल डिस्क हर्नियेशन भी कहा जाता है। यह कोई बीमारी नहीं है। इसमें  कमर दर्द और पीठ दर्द की समस्या होती है, जो की लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठे रहने से और शारीरिक श्रम न करने की वजह से यह समस्या होती है।

 

स्लिप डिस्क की स्थिति में डिस्क अक्सर तंत्रिका आधार पर दबाव डालती है जिससे क्षतिग्रस्त डिस्क या तंत्रिका के उस क्षेत्र में दर्द, सूजन या कमजोरी के लक्षण के साथ-साथ अन्य लक्षण भी पैदा हो सकते हैं। ज्यादातर मामलों में, लक्षण कई हफ्तों में धीरे-धीरे कम हो जाते हैं।

 

स्पाइनल डिस्क हर्नियेशन एक ऐसी स्थिति है जो रीढ़ के साथ कहीं भी हो सकती है, लेकिन अधिकतर पीठ के निचले हिस्से में होती है। इसे कभी-कभी उभड़ा हुआ या टूटा हुआ डिस्क भी कहा जाता है। यह पीठ के निचले हिस्से में दर्द के सबसे सामान्य कारणों में से एक है, साथ ही पैर में दर्द या “साइटिका” रोग होने का कारण भी बन सकता है।

 

 

स्लिप डिस्क के टाइप

 

यह 3 तरह की होती है।

 

सर्वाइकल स्लिप डिस्क

 

जब गर्दन में दर्द या ऊपरी पीठ में दर्द होता है, तो उससे सर्वाइकल स्लिप डिस्क हो सकती है।

 

इसके लक्षणों में शामिल हो सकते हैं –

 

  • कंधे या हाथ में अकड़न

 

  • झुनझुनी जो उंगलियों पर भी आ सकती है

 

  • हाथ में दर्द और कमजोरी

 

 

थोरैसिक स्लिप डिस्क

 

इस प्रकार की हर्नियेशन आमतौर पर ऊपरी पीठ में दर्द और मायलोपैथी का कारण बनती है, यह हर्नियेटेड डिस्क के आकार और रीढ़ की हड्डी पर दबाव की मात्रा पर निर्भर करता है। थोरैसिक स्लिप डिस्क की समस्या लोगो में बहुत कम देखने को मिलती है।

 

गंभीर मामलों में, एक थोरैसिक हर्नियेटेड डिस्क से कमर में पक्षाघात (paralysis) हो सकता है।

 

इसके लक्षणों में शामिल हो सकते है –

 

  • थोरैसिक स्लिप डिस्क का सबसे आम लक्षण कमर में दर्द होना है।

 

  • ऊपरी पीठ में दर्द होना

 

  • खांसने या छींकने पर थोरैसिक पीठ का दर्द तेज हो सकता है।

 

 

लंबर स्लिप डिस्क

 

लंबर स्लिप डिस्क साइटिका और पैर दर्द, सुन्नता या कमजोरी के लक्षण का कारण बनता है।

 

हर्नियेटेड डिस्क के लक्षणों में –

 

  • सुस्त या तेज दर्द

 

  • मांसपेशियों में ऐंठन

 

 

  • पैर की कमजोरी या पैर की कार्यक्षमता में कमी शामिल हो सकती है

 

  • छींकने, खांसने या झुकने से आमतौर पर दर्द तेज होता है

 

 

स्लिप डिस्क के स्टेप

 

 

इसके भी 3 स्टेप होते है।

 

फर्स्ट स्टेप 

इस स्टेप में डिस्क से निर्जलीकरण शुरु होता है, जिस वजह से रीढ़ की हड्डी कमजोर हो जाती है और साथ ही इसमें लचीलापन भी कम हो जाता है।

 

दूसरा स्टेप

इस स्टेप में हमारी रेशेदार परतों में दरारे आ जाती है। जिससे अंदर का द्रव बाहर आने लगता है या फिर बुलबुले बनने लगते है।

 

तीसरा स्टेप 

इसमें न्यक्लिअस का एक भाग टूट जाता है और फिर भी डिस्क अंदर रहता है।

 

 

स्लिप डिस्क के लक्षण

 

 

  • यह समस्या ज्यादातर पीठ के निचले भाग में होती है।

 

  • शरीर के एक तरफ के हिस्से में बहुत तेज दर्द होना।

 

  • हाथ से लेकर पैरों तक दर्द होना।

 

  • अगर थोड़ी देर चलने पर भी दर्द हो रहा हो तो समझ ले आपको स्लिप डिस्क की समस्या है।

 

  • मांसपेशियों में दर्द होना और कमजोरी होना।

 

  • हाथ-पैरों में जलन या फिर झुनझुनी रहना।

 

 

स्लिप डिस्क के कारण

 

 

  • डिस्क से संबंधी समस्या हो जाना।

 

  • लेटकर या झूककर काम करना से स्लिप डिस्क की समस्या हो सकती है।

 

 

  • आमतौर पर ग़लत उठने-बैठने की वजह से भी यह दर्द हो सकता है।

 

  • ज़्यादा देर आराम करना और पैदल न चलना।

 

  • व्यायाम न करने से भी स्लिप डिस्क हो सकता है।

 

  • अत्यधिक शारीरिक श्रम,

 

 

स्लिप डिस्क की जांच

 

 

इमेजिंग परीक्षण (Imaging tests)

 

इमेजिंग स्कैन (imaging scans) में निम्न परीक्षण शामिल हो सकते हैं:

 

  • एक्स-रे (X-rays)

 

  • सीटी स्कैन (CT scans)

 

  • एम आर आई  (magnetic resonance imaging (MRI))

 

 

डिस्कोग्राफी (Discography)

 

डॉक्टर इन सभी परीक्षणों की मदद से असामान्य हड्डी जैसे – स्लिप डिस्क (slipped discs), हड्डी विस्थापन, ट्यूमर या टूटी हुई हड्डी (फ्रैक्चर) की पहचान कर सकते हैं।

 

 

स्लिप डिस्क के लिए उपचार

 

 

  • इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए मरीजों को आराम करने और फिजियोथेरेपी करने से राहत मिलती है। स्लिप डिस्क की समस्या होने पर कम से कम  2 से 3  तीन हफ्ते तक आराम करना चाहिए।

 

  • स्लिप डिस्क की समस्या होने पर एब्डोमिनल आइसोमेट्रिक व्यायाम करना अच्छा माना जाता है। यह व्यायाम करने से पैरों के जरिये पेट और कमर की मांसपेशियों पर खिंचाव आता है, जिससे दर्द से राहत मिलती है।

 

  • क्रंचेज भी स्लिप डिस्क की समस्या से राहत दिला सकती है. इसे करने के लिए पेट के बल जमीन पर लेट जायें। फिर टखनों पर अपने शरीर के हिस्से को ऊपर की तरफ उठायें, पैरों की उंगलियों और कोहनी पर आपके शरीर का भार होना चाहिए। शुरूआत में 5-10 सेकेंड ही करें, बाद में धीरे-धीरे समय को बढ़ाते रहे। कुछ दिनों तक ऐसा करने से स्लिप डिस्क की समस्या में बहुत राहत मिलता है।

 

  • लुंबर रोल एक्सरसाइज करने के लिए जमीन पर सीधे लेट जायें। अपने घुटनों को मोड़ लीजिए, फिर हाथों को दोनों तरफ सीधा फैला लें। उसके बाद पैरों को बायें और दायें दोनों तरफ घुमायें। प्रत्येक तरफ 5-5 बार यह प्रक्रिया दोहरायें।

 

 

स्लिप डिस्क की समस्या से बचने के टिप्स

 

 

  • अत्यधिक जटिल व्यायाम न करे।

 

  • बैठते वक्त सीधे तन कर बैठें ।

 

  • जब भी काम करते वक़्त बैठे तो कमर झुकाकर न बैठें और न ही चले।

 

  • अधिक भारी वजन न उठाएं।

 

  • अपने वजन को नियंत्रित रखें, बढ़ने न दे।

 

  • तनाव से बचें ।

 

 

घंटो तक एक ही पोजीशन में बैठे रहने से स्लीप डिस्क की समस्या हो सकती है और जिसकी वजह से खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए काम करते वक़्त अपने सेहत का भी ख्याल रखे। अगर आपको पीठ दर्द, रीढ़ की हड्डी में दर्द या फिर स्लीप डिस्क से सम्बंधित कोई भी समस्या हो, तो इसे नजरअंदाज न करे और तुरंत ही डॉक्टर से जांच कराएं।

 

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