केरल में बाढ़ से राहत मिलने के बाद फैला महामारी का खतरा

बीते 13 दिनों से केरल में बाढ़ का कहर जारी है। इसी बीच दो दिन से बारिश (Monsoon) में आई कमी के चलते कुछ राहत की खबर आई है। बारिश में कम होने से राहत और बचाव कार्यों में और तेजी आई है। लेकिन वहीं बाढ़ प्रभावित इलाकों और राहत शिविरों (Relief camps) में संक्रामक बीमारियों (Infectious diseases) के फैलने का खतरा बढ़ गया है। राहत शिविरों में 7 लाख से ज्यादा लोग रह रहे हैं जिससे महामारी का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे कई मामलें सामने आए हैं जिसमें लोगों के संक्रामक रोग (infectious disease) हो गए हैं।

 

भारी वर्षा और बाढ़ (Flood)  से ग्रस्त केरल पहले ही डेंगू (dengue) और ​चिकनगुनिया (Chikungunya) जैसे बैक्टीरिया (Bacteria) से पैदा होने वाली बीमारी से पीड़ित है। अब उसे गंदे पानी से होने वाली बीमारियों ने घेर लिया है। पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञों ने राज्य में टाइफाइड (Typhoid), हेपेटाइटिस (Hepatitis), हैज़ा (Cholera) फैलने की चेतावनी दी है।

 

डाक्टरों के अनुसार राज्य में पहले ही डेंगू बुखार (dengue fever) के 846 मामले आए हैं। इसके अलावा 191,945 मामले डायरिया, 518 मामले मलेरिया (Malaria), 34 मामले ​चिकनगुनिया (Chikungunya), 225 मामले संक्रामक रोगों के मामले सामने आए हैं। केरल के स्वास्थ्य सेवाओं (Health services) के निदेशालय द्वारा यह जानकारी दी गई है। डाक्टरों ने बताया कि राज्य में गंदा पानी जमा होने के कारण पीड़ितों की संख्या बढ़ सकती है।

 

वेंकटेश्वर अस्पताल ​के डाक्टर निर्मल कुमार ने बताया कि गंदे पानी (Dirty water) के कारण ​हैजा और हेपेटाइटिस के फैलने का खतरा बढ़ गया है। इसके अलावा डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां भी बढ़ रही है क्योंकि राज्य के लोगों को साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा लोग टाइफाइड और संक्रामक रोगों से भी पीड़ित हैं। इन बीमारियों के लक्षण बुखार (Fever) होना, उल्टी आना, शरीर में जलन होना आदि शामिल है।

 

बीमारियां फैली तो होगी मुश्किल

 

चिकनपॉक्स (Chicken Pox) के अलावा अधिकारियों को डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया  और जानवरों के यूरिन व मल के सीधे संपर्क में आने से फैलनेवाले संक्रामक रोगों के फैलने की भी आशंका है। इतना ही नहीं, केरल में बाढ़ से प्रभावित लोगों में डायरिया, हेपेटाइटिस, वायरल बुखार और सांस संबंधी संक्रमण फैलने का भी खतरा है।

 

अगर इनमें से कोई भी बीमारी फैलती है तो उसे रोकना काफी चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि 2 लाख से ज्यादा परिवार इस समय राहत शिविरों में रह रहे हैं। आपको बता दें कि रुके हुए पानी और केरल का मौजूदा मौसम सूक्ष्मजीवों (Microorganisms) के तेजी से पनपने के लिए काफी अनुकूल है।

 

स्वास्थ्य मंत्रालय अलर्ट

 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि केंद्र ने बाढ़ प्रभावित केरल में किसी तरह की महामारी को रोकने के लिए 3,757 मेडिकल शिविर लगाए हैं. बाढ़ का पानी घटने के साथ माहौल संक्रामक बीमारियों के अनुकूल हो जाएगा. राज्य को दैनिक निगरानी के लिए कहा गया है जिससे किसी भी प्रकोप के शुरुआती संकेतों का पता लगाया जा सके.

 

संक्रामक बीमारियों, उनकी रोकथाम व नियंत्रण, सुरक्षित पेयजल, सफाई के कदम, वेक्टर नियंत्रण व अन्य चीजों पर राज्य के साथ स्वास्थ्य परामर्श साझा किया गया है. राज्य के आग्रह के तहत 90 प्रकार की दवाओं की पहली बैच सोमवार को केरल पहुंचेगी.

 

स्वास्थ्य मंत्रालय ने 60 टन दवाएं राज्य की ओर रवाना कर दी है. 14 लाख शुद्ध पानी की बोतल लेकर एक स्पेशल ट्रेन रवाना कर दी गई है. इसके अलावा नेवी के एक जहाज से 8 लाख लीटर पेयजल भेजने का इंतजाम किया गया है.

 

2 लाख लोग राहत कैम्पों में शरण ले चुके

 

स्वास्थ्य विभाग प्रदूषित जल और वायु से पैदा होने वाली बीमारियों के खतरे से निपटने की तैयारी कर रहा है। तीन महीने पहले शुरू हुई मॉनसून की बारिश के बाद से अब तक 2 लाख लोग रिलीफ कैंपों में शरण ले चुके हैं। फूड पैकेट्स समेत तमाम तरह की राहत भी लोगों तक पूरी तेजी के साथ पहुंचाई जा रही हैं।

 

पानी, खाने को लेकर निर्देश

 

इस खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने शिविरों से घरों को लौट रहे लोगों के लिए विस्तृत अडवाइजरी जारी की है, जिसमें बताया गया है कि पानी और खाने को लेकर क्या सावधानी बरतनी है। पानी गर्म न हो सके तो लोगों को क्लोरीनयुक्त पानी पीने (Chlorinated water) को कहा गया है। इसके साथ ही लोगों को मरे हुए पक्षियों या जानवरों के अवशेषों को जमीन में गहरा गड्ढा खोदकर दफनाने को कहा गया है।अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि बोरवेल्स से पानी का सीधे इस्तेमाल न करें।


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