बाढ़ की वजह से तेजी से फैल रही है ये भयानक बीमारियां

देश में हो रही भारी बारिश (rain) की वजह से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया हैं| कई राज्यों में तो बाढ़ की स्थिति बन गयी हैं| ऐसे ही कई दिनों से कई राज्यो में हो रही बारिश की वजह से बाढ़ (flood) की स्थिति बन गयी हैं| इस भारी बारिश की वजह से हर जगह पानी इकठ्ठा हो रहा हैं और यह इकठ्ठा पानी जानलेवा बीमारी का खतरा बढ़ा रही हैं| बारिश के होने पर हमें गर्मी से राहत तो मिल जाती है लेकिन बारिश अपने साथ कई तरह की बीमारियां भी ले आती है। इस मौसम में जुकाम, खांसी, फंगल इंफेक्शन और बुखार जैसी कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial infection) इस मौसम की आम समस्या है। बारिश कि वजह से कई तरह कि बीमारियाँ फैलती है|

 

ऐसे ही भारी बारिश की वजह से लोगो के लिए खतरा बनकर आयी हैं जिसका नाम लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis) है। इस भयानक बीमारी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं की, हर 24 घंटे के भीतर चार लोगों की मौत हो रही है। इस बीमारी के फैलने से रोकने के लिए कीट नियंत्रण विभाग ने चूहों के बिलों में कीटनाशक दवा का छिड़काव करा रही है। यह बीमारी मल-मूत्र से पैदा होने वाली लेप्टोस्पायल नाम के बैक्टीरिया (Bacteria) से फैलती है। हम आपको बता दें कि लेप्टोस्पायल बैक्टीरिया पानी या मिट्टी में कई महीनों तक जिंदा रह सकता है। यह रुके पानी में पनपता हैं|

 

हम आपको बता दें कि लेप्टोस्पायरोसिस एक जीवाणुजनित रोग (Bacterial diseases) है, जो मनुष्यों को तो प्रभावित करता ही हैं साथ में यह जानवरों को भी प्रभावित करता है। यह लेप्टोस्पिरा जीनस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह रोग संक्रमित जानवरों (Infected animals) के मूत्र के जरिये फैलता है, जो पानी या मिट्टी में रहते हुए कई सप्ताह से लेकर महीनों तक जीवित रह सकते हैं और मनुष्य के संपर्क में आने पर जानलेवा भी बन सकती हैं| यह बाढ़ वाले इलाको में ज्यादा फैल रही हैं|

 

सावधानी ना बरतने पर यह बीमारी इंसान, चूहों और पालतू जानवरों को आसानी से हो जा रही हैं| चूहों के जरिए बीमारी के फैलने का खतरा ज्यादा रहता है। इसके बैक्टिरिया संक्रमित चूहों के मूत्र में लेप्टोस्पायल भारी मात्रा में पाये जाते हैं। ऐसे पानी के सेवन या फिर ऐसा पानी यदि घाव पर लग जाए तो लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी हो सकती है। इसलिए जहां तक हो सके संक्रमित पानी से दूर रहने कि कोशिश करे| ताकि आप इस गंभीर बीमारी से बचे रहें|

 

लेप्टोस्पायरोसिस  ( Leptospirosis) बीमारी के कुछ लक्षणों में

 

  • तेज बुखार और सिरदर्द होना

 

  • ठंड लगना और उल्टी होना.

 

  •  मांसपेशियों में दर्द महसूस होना

 

  • आंखों का लाल होना.

 

  • पेट में लगातार या रुक-रुक कर दर्द होना या दस्त लगना.

 

  • पीलिया भी इसका लक्षण हो सकता है.

 

बचाव

 

  •  जूते, दस्ताने, चश्मा, एप्रॉन, मास्क आदि पहनें।

 

  • वॉटरप्रूफ ड्रेसिंग के साथ त्वचा के घावों को कवर करें।

 

  • पूल, तालाबों, नदियां के पास जाने से बचें।

 

  • दूषित पानी में जाने या तैराकी करने से बचने की कोशिश करें।

 

  • गंदे पानी से स्नान न करें।

 

  •  घावों को धोएं और इनकी नियमित रूप से सफाई करें।

 

  • बीमार या मृत जानवरों को छूने से बचें।

 

  • स्वच्छ पानी का इस्तेमाल करें।

 

क्या है उपचार

 

इसकी उपचार प्रक्रिया में डायलिसिस और मजबूत एंटीबायोटिक (Antibiotic) का इस्तेमाल प्रमुखता से शामिल है। गुर्दा, यकृत (liver) या दिल की भागीदारी के मामलों में विशेषज्ञों की देखभाल और उपचार जरूरी है। गंभीर मामलों में डायलिसिस (Dialysis) का उपयोग किया जाता है। पोटैशियम (Potassium) का स्तर अधिक होने पर विशेष उपाय अपनाना जरूरी है।

 

बारिश के मौसम में हो सकती हैं ये बीमारियां :

 

पीलिया (jaundice) : रक्तरस में पित्तरंजक नामक एक रंग होता है, जिसके बढ़ने से त्वचा में पीलापन आ जाता है. इस दशा को पीलिया या जॉन्डिस कहते हैं.

 

कारण : दूषित पानी के इस्‍तेमाल और कच्‍ची सब्‍जियां खाने से यह बीमारी ज्‍यादा फैलती है.

 

लक्षण : अमाशय में सूजन, भूख कम लगना, उल्‍टी, कब्‍ज, पसलियों के नीचे भारीपन, सिरदर्द और थकावट.

 

रोकथाम और उपचार : अगर आपको इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्‍टर से संपर्क करें. इसके अलावा पानी उबालकर पीएं, कम से कम दो सप्‍ताह आराम करें. प्रोटीन युक्‍त खाना खाएं, ग्‍लूकोज लें और गन्‍ने का रस पीएं

 

मलेरिया (Malaria) : तेज बुखार, इसका प्रमुख लक्षण है, लेकिन यह सामान्य बुखार से अलग होता है. मलेरिया में रोगी को रोजाना या एक दिन छोड़कर बहुत तेज बुखार आता है. साथ ही शरीर में कपकपी भी होती है.

 

कारण : पानी जमा होने से मच्‍छर का पनपना.

 

लक्षण : बुखर का आना और जाना. मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी.

 

रोकथाम और उपचार : अगर आपको इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्‍टर से संपर्क करें. इस बीमारी से बचने के लिए मच्‍छरदानी लगाकर सोएं, आसपास पानी न जमने दें, घर के पास नालियों में समय-समय पर डीडीटी का छिड़काव करते रहें.

 

 

टायफाइड (Typhoid) : इसे मियादी बुखार के नाम से जाना जाता हैं. इसे मोतीझरा भी कहा जाता हैं. इसका दूसरा नाम एंट्रिक फीवर (आंत्र ज्वर) भी हैं.

 

कारण : मिलावटी और दूषित खाना खाने से और दूषित पानी पीने से.

 

लक्षण : लंबे समय तक बुखार रहना, पेट में दर्द, सिर दर्द.

 

रोकथाम और उपचार : अगर आपको इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्‍टर से संपर्क करें. मरीज को परिवार के अन्‍य सदस्‍यों से अलग रखें, चिकित्‍सकों के परामर्श से दवा लें, स्‍वस्‍थ होने के बाद भी आराम करें.

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