जाने क्या है रेट फीवर, जो केरल में महामारी की तरह तेजी से फैल रहा है?

रैट फीवर (Rat Fever)  बैक्टीरिया (Bacteria) से फैलने वाली बीमारी गंदी पानी और गंदी मिट्टी से फैलती है। यह बैक्टीरिया जानवरों से गंदे पानी और मिट्टी में फैलता है और फिर धीरे-धीरे लोगों में फैल जाता है। यह रोग जीवाणु से फैलता है, जो इंसानों के साथ-साथ जानवरों को भी प्रभावित करता है। ये बीमारी लैप्टोस्पायर (Leptospirosis) नाम के बैक्टीरिया की वजह से होती है, जो जानवरों के मूत्र के जरिये फैलता है। ये जीवाणु कई सप्ताह से लेकर महीनों तक जीवित रह सकते हैं।

 

कैसे फैलती है रैट फीवर की बीमारी

 

डॉक्टरों के मुताबिक यह बीमारी जंगली और पालतु जानवरों से फैलती है। अगर किसी की स्किन दूषित पानी में डूबने या तैरने की वजह से बैक्टीरिया के संपर्क में आई तो उन्हें यह बीमारी हो सकती है। इस दौरान अगर शरीर में किसी तरह की चोट का कोई घाव है तो यह बैक्टीरिया जल्दी संपर्क में आता है। फीवर का बैक्टीरिया उस भीगी मिट्टी, घास या पौधों में जिंदा रहता है जिन पर इस बैक्टीरिया से ग्रसित जानवर ने पेशाब किया हो। यह बैक्टीरिया से दूषित खाना खाने, चीज चुभ जाने और पेय पदार्थ पीने से भी हो सकता है।

 

  • ज्यादा बारिश और उसके नतीजतन बाढ़ से चूहों की संख्या बढ़ जाने के चलते जीवाणुओं का फैलाव आसान हो जाता है.

 

  • संक्रमित (Infected) चूहों के मूत्र में बड़ी मात्रा में लेप्टोस्पायर्स होते हैं, जो बाढ़ के पानी में मिल जाते हैं. जीवाणु त्वचा या (आंखों, नाक या मुंह की झल्ली) के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, खासकर यदि त्वचा में कट लगा हो तो.

 

  • दूषित पानी पीने से भी संक्रमण हो सकता है. उपचार के बिना, लेप्टोस्पायरोसिस गुर्दे की क्षति, मेनिनजाइटिस (Meningitis) (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के चारों ओर सूजन), लीवर की विफलता, सांस लेने में परेशानी और यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकता है.

 

  • लेप्टोस्पायरोसिस के कुछ लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, ठंड, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, पीलिया, लाल आंखें, पेट दर्द, दस्त आदि शामिल हैं. किसी व्यक्ति के दूषित स्रोत के संपर्क में आने और बीमार होने के बीच का समय दो दिन से चार सप्ताह तक का हो सकता है.

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने कहा है कि अभी केरल में जैसे हालत हैं, उसमें बारिश, बाढ़ और दूसरी तरह की आपदाओं (Disasters) के चलते पानी और मिट्टी के उस बैक्टीरिया से दूषित होने की बहुत आशंका है जिससे लैप्टोसपोरोसिस यानि रैट फीवर के फैलने की संभावना होती है. जंगली और घरेलू दोनों ही तरह के जानवरों का इन बैक्टीरिया को फैलाने में बहुत रोल होता है. अगर किसी इंसान की त्वचा डूबने या तैरने के दौरान इस बैक्टीरिया के संपर्क में होती है तो यह बीमारी हो जाती है. अगर त्वचा कटी या छिली है तो इसके जल्दी संपर्क में आने की संभावना होती है. इसके बैक्टीरिया उस भीगी मिट्टी, घास या पौधों में जिंदा रहते हैं जिनपर इस बैक्टीरिया से ग्रसित जानवर ने पेशाब किया होता है. कभी-कभी इसका संक्रमण बैक्टीरिया (Infection bacteria) से दूषित खाना खाने, कोई दूषित चीज चुभ जाने या फिर किसी बैक्टीरिया से दूषित पेय पदार्थ पीने से भी हो सकता है.

 

रैट-फीवर के लक्षण

 

  • तेज बुखार

 

  • सिरदर्द

 

  • शरीर में दर्द

 

  • पेट में दर्द

 

  • उल्टियां होना

 

रैट-फीवर का प्रभाव

 

  • किडनी पर

 

  • दिमाग पर (मेनिनजाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है)

 

  • लीवर पर (लीवर फेल हो सकता है)

 

  • सांस लेने में परेशानी हो सकती है. सांस की नली से जुड़े कई रोग हो सकते हैं.

 

रैट फीवर बचाव के उपाय

 

  • इस बीमारी से बचने का सरल तरीका है कि आप इससे बचाव करें। गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को सही समय पर चिकित्सा परीक्षण कराने की सलाह दी जाती है।

 

  • शुरुआत में इसके लक्षण बिल्‍कुल आम दिखाई देते हैं इसलिए निदान करना मुश्किल होता है। मगर लक्षण बढ़ते ही 6-7 दिन दवाई लेने के बाद बीमारी को कम किया जा सकता है।

 

  • केरल में आई भीषण बाढ़ के चलते वहां रैट फीवर का प्रकोप काफी बढ़ गया है। इससे मरने वालों की संख्‍या तेजी से बढ़ रही है जिसकी वजह से वहां पर हाई अलर्ट लागू कर दिया गया है। चूहे से फैलने वाले इस बुखार को लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis) भी कहते हैं।

 

केरल सरकार की ओर से हो रहे हैं रोकथाम के उपाय

 

बीमारी के कहर को देखते हुए राज्य सरकार ने लोगों से अतिरिक्त सावधानी बरतने का अलर्ट जारी किया है. स्वास्थ्य मंत्री कुमारी शैलजा ने कहा कि राज्य सरकार सभी ज़रूरी और एहतियाती कदम उठा रही है. उन्होंने बाढ़ के पानी के संपर्क में आने वाले लोगों से अपील की है कि वह अतिरिक्त निगरानी रखें. उन्होंने कहा कि जो लोग सफाई के काम में लगे हैं उन्हें ‘डॉक्सीसाइलिन‘ (Doxycylline) की खुराक ले लेनी चाहिए. हालांकि उन्होंने लोगों को खुद से दवा लेने से मना किया. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों और व सरकारी अस्पतालों में ज़रूरत से ज़्यादा दवाएं मौजूद हैं.

 

 

सबसे ज्यादा खतरा इन्हें

 

यह रोग तेजी से और आसानी से एक से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करता है. इसके मामले में इतनी तेजी आने की यह भी वजह है. सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि शनिवार तक राज्य में 216 राहत कैंप में रह रहे हैं. जिनमें केरल के 19,524 नागरिक मौजूद हैं. जिनपर इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा मंडरा रहा है.

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