मन में मौत का डर! चिंता या पैनिक डिसऑर्डर के लक्षण – समझिए इसका अंतर

भय और चिंता दोनों ही मानसिक स्थितियां हैं जो तनाव और दबाव का कारण बन सकती हैं। हालांकि, इन दोनों के बीच कुछ मूलभूत अंतर हैं जिन्हें समझना ज़रूरी है। भय आमतौर पर एक तत्काल ख़तरे की प्रतिक्रिया होता है। जब हमें लगता है कि हमारी सुरक्षा या जीवन को तुरंत ख़तरा है, तो भय की भावना उत्पन्न होती है। भय एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है जो हमें संकट से निपटने के लिए तैयार करती है।

 

दूसरी ओर, चिंता भविष्य के बारे में अनिश्चितता और उद्वेग की एक अवस्था है। चिंता करना किसी हद तक स्वाभाविक और सामान्य है, लेकिन अतिरेकपूर्ण चिंता परेशान कर सकती है और दैनिक जीवन में बाधा उत्पन्न कर सकती है। इस प्रकार, भय और चिंता के बीच स्पष्ट अंतर है – भय वर्तमान ख़तरे की प्रतिक्रिया है, जबकि चिंता भविष्य के प्रति उद्वेग है। इन दोनों के बीच का फर्क समझना महत्वपूर्ण है।

 

 

 

पैनिक डिसऑर्डर क्या है?

 

 

पैनिक डिसऑर्डर एक तरह का एंजाइटी डिसऑर्डर है। इसमें अचानक आने वाले भयंकर दौरे और भय की वजह से होता है। दौरे के दौरान शारीरिक लक्षण भी हो सकते हैं जैसे – दिल की धड़कन तेज होना, सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, चक्कर आना आदि। ये लक्षण अचानक से शुरू होते हैं और कुछ मिनटों में ही चरम स्तर पर पहुंच जाते हैं। फिर धीरे-धीरे कम होकर ठीक हो जाते हैं। पैनिक अटैक के दौरान व्यक्ति को लगता है कि वह मरने वाला है, पागल होने वाला है या कंट्रोल खोने वाला है।

 

 

पैनिक डिसऑर्डर के लक्षण-

 

 

इन कारणों के अलावा, कुछ शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएँ जैसे थायराइड संबंधी बीमारियाँ भी पैनिक डिसऑर्डर का कारण बन सकती हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में मानसिक कारक ही इसके पीछे होते हैं। पैनिक डिसऑर्डर के कुछ प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं:

 

 

  • अचानक आने वाला तीव्र भय या डर – अकस्मात बिना किसी वजह के अत्यधिक भय या डर महसूस होना।

 

  • धड़कन बढ़ जाना – धड़कन की रफ्तार अचानक बहुत तेज़ हो जाती है।

 

  • सांस लेने में परेशानी – सांस लेना मुश्किल हो जाता है और सांस की आवाज़ भी बदल जाती है।

 

  • चक्कर आना या बेहोशी का अनुभव – कभी-कभी चक्कर आने या बेहोशी जैसा अनुभव होता है।

 

  • छाती में दर्द या दबाव – छाती में दर्द, जकड़न या भारीपन महसूस हो सकता है।

 

 

पैनिक डिसऑर्डर के कारण-

 

 

पैनिक डिसऑर्डर के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

 

 

आनुवंशिक कारण – कुछ शोधों से पता चला है कि पैनिक डिसऑर्डर परिवारों में आनुवंशिक रूप से चला आता है। यदि आपके परिवार में किसी को पहले से पैनिक डिसऑर्डर है, तो आपको भी इसका खतरा अधिक हो सकता है।

 

 

मानसिक तनाव या घटनाएँ – जीवन में तनावपूर्ण घटनाएं जैसे कि नौकरी खोना, रिश्ते टूटना, या कोई दुर्घटना आदि पैनिक डिसऑर्डर का कारण बन सकती हैं। लंबे समय तक चलने वाला तनाव भी इस स्थिति को ट्रिगर कर सकता है।

 

 

अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ – अवसाद, एंजाइटी डिसऑर्डर या प्रतिबंधात्मक भोजन विकार जैसी अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ पैनिक डिसऑर्डर का जोखिम बढ़ा सकती हैं।

 

 

पैनिक डिसऑर्डर का इलाज-

 

 

पैनिक डिसऑर्डर का इलाज कई तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें दवाएं, थेरेपी, ध्यान और जीवनशैली में बदलाव शामिल हैं:

 

 

  • दवाएं – डॉक्टर अक्सर दवाएं देते हैं जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं। ये दवाएं मनोभावनात्मक संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं।

 

  • थेरेपी – कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) जैसी थेरेपी पैनिक डिसऑर्डर से निपटने का एक प्रभावी तरीका है। यह व्यक्ति को उनके विचारों और भावनाओं को समझने में मदद करती है और चिंताजनक स्थितियों से निपटने के लिए कौशल सिखाती है।

 

  • ध्यान और योग – ध्यान और योग भी पैनिक डिसऑर्डर के लक्षणों को कम करने में मददगार हो सकते हैं। ये तनाव कम करने और शांत मन बनाए रखने में मदद करते हैं।

 

  • जीवनशैली में बदलाव – स्वस्थ आहार, पर्याप्त नींद, व्यायाम और सामाजिक संपर्क जैसे जीवनशैली में बदलाव भी मददगार हो सकते हैं। इनसे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

 

 

पैनिक डिसऑर्डर से बचाव के उपाय-

 

 

पैनिक डिसऑर्डर से बचने के लिए कुछ उपाय इस प्रकार हैं:

 

 

  • तनाव कम करना सीखें – तनाव पैनिक डिसऑर्डर का प्रमुख कारण है। तनाव को कम करने के लिए योग, ध्यान और व्यायाम जैसी गतिविधियाँ करें।

 

  • ध्यान और योग करें – ध्यान और योग मन को शांत और स्थिर रखने में मदद करते हैं। इन्हें दैनिक रूटीन में शामिल करें।

 

  • सकारात्मक सोचें – नकारात्मक सोच से बचें और हर चीज़ को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की कोशिश करें।

 

  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ – नियमित रूप से व्यायाम करें, संतुलित आहार लें, पर्याप्त नींद लें और मादक पदार्थों का सेवन कम करें। ये सभी पैनिक डिसऑर्डर से बचाव में मददगार हैं।

 

 

जागरूकता फैलाने की ज़रूरत-

 

पैनिक डिसऑर्डर एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जिसके बारे में लोगों को जागरूक करने की बहुत ज़रूरत है। अक्सर लोग इसे एक सामान्य भय या चिंता समझ लेते हैं, जबकि यह एक गंभीर बीमारी है जिसका इलाज ज़रूरी है। हमें लोगों को बताना चाहिए कि पैनिक डिसऑर्डर एक बीमारी है, न कि कमज़ोरी या शर्म की बात। इसके लक्षणों और कारणों के बारे में जागरूकता फैलाकर, हम लोगों को इस बीमारी को समझने में मदद कर सकते हैं।

 

हमें लोगों को इलाज के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए और उन्हें बताना चाहिए कि इलाज से इससे ठीक होना संभव है। मनोचिकित्सक से सलाह लेने और उपचार शुरू करने में कोई शर्म की बात नहीं है। साथ ही, हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने और इस पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर देना चाहिए। जागरूकता फैलाकर ही हम पैनिक डिसऑर्डर जैसी गंभीर समस्याओं से लड़ सकते हैं।

 

 

 

सारांश-

 

पैनिक डिसऑर्डर एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें व्यक्ति को अचानक डर या चिंता के दौरे पड़ते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे- तनाव, डिप्रेशन, ट्रॉमा आदि। पैनिक अटैक के दौरान व्यक्ति को दिल की धड़कन तेज होना, सांस लेने में परेशानी, छाती में दर्द और मौत का भय महसूस होता है।

 

इसलिए पैनिक डिसऑर्डर के लक्षणों और कारणों को समझना बहुत ज़रूरी है। इसका पहले निदान कराना चाहिए और डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लेनी चाहिए। कुछ जीवनशैली परिवर्तन और थेरेपी भी इससे राहत दिला सकती है। पैनिक डिसऑर्डर का इलाज और रोकथाम दोनों संभव है। सबसे ज़रूरी है इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और मरीज़ों को समाज का समर्थन मिले। परिवार का सहयोग भी इलाज में मददगार हो सकता है। मिलकर हम पैनिक डिसऑर्डर से लड़ सकते हैं।

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