विश्व शौचालय दिवस 2018 : सुरक्षा, स्वास्थ्य और मान सम्मान का प्रतीक है शौचालय

विश्व शौचालय दिवस जो प्रत्येक वर्ष को 19 नवंबर को मनाया जाता है संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व की अनुमानि ढाई अरब आबादी को पर्याप्त स्वच्छता मयस्सर नहीं है और एक अरब वैश्विक आबादी खुले में सौच को अभिसप्त है उनमे से आधे से अधिक लोग भारत में रहते हैं नतीजन बीमारियां उत्पन्न होने के साथ साथ पर्यावरण दूषित होता इसलिए सरकार इस समस्या से उबरने के लिए स्वच्छ भारता अभियान चला रही है लेकिन एक सर्वे के अनुसार खुले में सौच जाना एक तरह की मानसिकता दर्शाता है इसके मुताबिक सार्वजनिक शौचालयोँ में नियमित रूप से जाने वाले तकरीबन आधे लोगो और खुले में शौच जाने वाले इतने ही लोगो का कहना है कि यह सुविधाजनक उपाय है। ऐसे में स्वच्छ भारत के लिए सोच में बदलाव की जरुर दिखती है।

 

वर्ष 2018 के लिए विश्व शौचालय दिवस का विषय ‘When nature calls‘ है।

 

ऐसे हुई शुरुआत

 

विश्व शौचालय संगठन ने 2001 में इस दिवस की शुरुआत की। 12 साल बाद 2013 में दुनिया में साफ-सफाई और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को संयुक्त राष्ट्र के आधिकारिक दिवसों की सूची में शामिल किया।

 

विश्व शौचालय दिवस क्यों मनाया जाता है?

 

विश्व शौचालय दिवस कई स्वच्छता मुद्दों के प्रति जनता का ध्यान दिलाने और उन मुद्दों को हल करने का प्रयास करता है। हालांकि पर्याप्त स्वच्छता तक पहुंच को मानव अधिकार के रूप में घोषित किया गया है लेकिन दुनिया में हर तीन लोगों में से एक के पास शौचालय को लेकर कोई भी स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं है। इसके अलावा जिन लोगों की पहुंच असुरक्षित और अशुद्ध शौचालय तक है उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनमें टाइफाइड, हैजा, डायरिया और हेपेटाइटिस जैसी कई बीमारियां शामिल हैं। खुले में शौचालय जाने पर बच्चों और महिलाओं पर होने वाले यौन उत्पीड़न के केसों में वृद्धि होती है। विश्व शौचालय दिवस का अंतिम उद्देश्य सभी व्यक्ति को अपनी प्राथमिक जरूरतों का ख्याल रखने के लिए सुरक्षा के डर के बिना अनुमति देना है।

 

जैक सिम, विश्व शौचालय संगठन के संस्थापक, के शब्दों में – “जिसके बारे में हम चर्चा नहीं कर सकते उसका हम सुधार नहीं कर सकते”। विश्व शौचालय दिवस स्वच्छता के महत्व पर जागरूकता फैलाने का एक बहुमूल्य अवसर प्रदान करता है और हर जगह को सुधारने तथा हर साल वहां की उचित स्वच्छता को बनाए रखने के उद्देश्य की गति को प्रोत्साहित करता है। यह दिवस इस बात को सुनिश्चित करता है कि सभी की सुरक्षित शौचालय और स्वच्छता तक पहुंच होनी चाहिए। सभी लोगों को विश्व शौचालय दिवस का उद्देश्य समझाना एक अंतर्राष्ट्रीय विकास प्राथमिकता है और जो शौचालय की सुविधा नहीं रखते हैं उनके लिए स्वच्छता संकट को रोकना तत्काल आवश्यकता है। यह दिवस लोगों को इस संकट को खत्म करने के लिए आवश्यक कदम उठाने हेतु भी प्रेरित करता है।

 

हर व्यक्ति को स्वच्छ शौचालय मुहैया कराना है लक्ष्य

 

देश के हर नागरिक को शौचालय मुहैया कराने की दिशा में भारत ने हालिया वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। केंद्र सरकार ने 2 अक्टूबर 2019 से पहले पूर्ण स्वच्छता और समूचे देश को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। 2030 तक हर व्यक्ति को सुरक्षित और स्वच्छ शौचालय मुहैया कराने के लक्ष्य के साथ हर साल 19 नवंबर को दुनिया भर में विश्व शौचालय दिवस मनाया जाता है। सतत् विकास लक्ष्य 6.2 सबके लिए स्वच्छता हासिल करने से जुड़ा है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत में चलाये जा रहे स्वच्छ भारत अभियान की सफलता बेहद जरूरी है। 2 अक्टूबर 2014 को जब देश में इस अभियान की शुरूआत हुई थी तब से लेकर अब तक 9 करोड़ से भी अधिक शौचालय बने हैं।

 

स्वच्छ भारत अभियान के तहत 2 अक्टूबर 2019 तक समूचे देश को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है और जिस तेजी से देशभर में शौचालयों का निर्माण हो रहा है उससे उम्मीद है कि इस लक्ष्य को समय से पहले ही हासिल कर लिया जाएगा। देश के 26 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं और हालिया सर्वे के मुताबिक 90 फीसदी से अधिक लोग शौचालय का उपयोग कर रहे हैं। शौचालयों का उपयोग ना केवल हमारी अच्छी सेहत के लिए जरूरी है बल्कि इसके आर्थिक फायदे भी हैं। विश्व शौचालय दिवस पर सभी नागरिकों को देश को खुले में शौच से मुक्त करने और स्वच्छ और स्वस्थ समाज के निर्माण में सहयोग देने का संकल्प लेना चाहिए।

दुनिया में स्वच्छता से जुड़े मुख्य तथ्य

 

  • दुनिया की आबादी के साठ प्रतिशत घरों में शौचालय की सुविधा नहीं है या सुरक्षित मल प्रबंधन नहीं है

 

  • करीब 87 करोड़ से ज्यादा लोग आज भी खुले में शौच करने पर मजबूर हैं

 

  • खुले में शौच की वजह से करोड़ों लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं

 

  • दुनिया की 39 प्रतिशत आबादी के पास ही साफ शौचालय की व्यवस्था मौजूद है

 

  • अगर हर घर शौचालय बन जाए और साफ पानी की व्यवस्था हो तो हर साल 8.42 करोड़ मौतें रोकी जा सकती हैं
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