विश्व खाद्य दिवस 2018 : भारत में खाने की बर्बादी है भुखमरी का कारण ?

विश्व खाद्य दिवस (World Food Day 2018 In Hindi) 2018 मंगलवार 16 अक्टूबर को दुनिया भर में मनाया गया।. विश्व खाद्य दिवस (World Food Day ) हर साल 16 अक्टूबर को दुनिया भर में मनाया जाता है। वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुरू किए गए खाद्य और कृषि संगठन की स्थापना की तिथि के सम्मान में यह वार्षिक उत्सव मनाया जाता है। विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) को कई अन्य संगठनों, जैसे इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट, वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम आदि, द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है जो खाद्य सुरक्षा से जुड़े मामलों से संबंधित हैं।

 

विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) का इतिहास

 

विश्व खाद्य दिवस (World Food Day ) की स्थापना संगठन के 20वें जनरल सम्मेलन में नवंबर 1979 में AFO (food and agriculture organization) के सदस्य देशों द्वारा की गई थी। डॉ पाल रोमानी, हंगरी के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य और तत्कालीन कृषि और खाद्य मंत्री, ने AFO के 20वें जनरल सम्मेलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और दुनिया भर में वर्ल्ड फ़ूड डे (World Food Day 2018) को लॉन्च करने का विचार प्रस्तावित किया था। तब से हर साल विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) 150 से अधिक देशों में मनाया जाता है और भूख तथा गरीबी के पीछे समस्याओं और कारणों की चेतना और ज्ञान के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है।

 

भारत में खाने की बर्बादी है भुखमरी का बड़ा कारण

 

दुनियाभर के विकासशील देशों में भुखमरी की समस्या पर इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में भारत 119 देशों में से 100वें पायदान पर है.

भारत- बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों से भी पीछे है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बाल कुपोषण से स्थिति और बिगड़ी है.

दरअसल हंगर इंडेक्स दिखाता है कि लोगों को खाने की चीज़ें कैसी और कितनी मिलती हैं.

 

फिर खाने की बर्बादी क्यों ?

 

एक और जहां भारत भूख की गंभीर समस्या से जूझ रहा है, वहीं दूसरी और देश में बड़े पैमाने पर खाने की बर्बादी की जाती है.खाने की बर्बादी भुखमरी का एक अहम कारण है. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 40 फ़ीसदी खाना बर्बाद हो जाता है. इन्हीं आंकड़ों में कहा गया है कि यह उतना खाना होता है जिसे पैसों में आंके तो यह 50 हज़ार करोड़ के आसपास पहुंचेगा.

 

आंकड़ों पर ना भी जाएं, तो भी हम रोज़ाना अपने आस-पास ढेर सारा खाना बर्बाद होते हुए देखते ही हैं. शादी, होटल, पारिवारिक और सामाजिक कार्यक्रमों, यहां तक की घरों में भी कितना खाना यू हीं फेंक दिया जाता है.

 

अगर ये खाना बचा लिया जाए और ज़रूरतमंदों तक पहुंचा दिया जाए तो कई लोगों का पेट भर सकता है.संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में खाने का पर्याप्त उत्पादन होता है, लेकिन ये खाना हर जरूरतमंद तक नहीं पहुंच पाता.

 

भूख से पीड़ित दुनिया की 25 फ़ीसदी आबादी भारत में रहती है. भारत में करीब साढ़े 19 करोड़ लोग कुपोषित हैं.

 

इसमें वो लोग भी हैं जिन्हें खाना नहीं मिल पाता और वो लोग भी हैं जिनके खाने में पोषण की कमी होती है.

 

 

कैसे रोकें खाने की बर्बादी ?

 

खाने की बर्बादी रोकने के लिए हर इंसान को व्यक्तिगत रूप से ज़ागरुक होने की ज़रूरत है. जितना खाना है उतना ही लें. अगर घर में खाना बच जाता है तो अपने आस-पास किसी ज़रूरतमंद को दें.

 

शादी, पार्टी, होटल में भी ऐसा ही किया जा सकता है, वैसे कई संस्थाएं ऐसी हैं जो लोगों का बचा हुआ खाना एकत्रित करके उसे ज़रूरतमंद लोगों तक पहुंचाने का दावा करती हैं.

 

ऐसी ही एक संस्था रॉबिन हुड आर्मी को शुरू करने वाले संचित जैन बताते हैं कि दिल्ली की एक शादी में बचे खाने से कई बार पांच सौ से ढाई हज़ार लोगों का पेट भर जाता है.

 

सप्लाई सिस्टम में खामी

 

संचित जैन खाने की चीज़ों की बर्बादी की वजह सप्लाई चेन का कमज़ोर होना बताते हैं. वो कहते हैं खेतों से अनाज निकलकर मंडी तक तो पहुंच जाता है, लेकिन भंडारण की सुविधाएँ अच्छी नहीं होने और समय पर आगे सप्लाई नहीं किए जाने की वजह से मंडियों में ही सड़ जाता है.

 

“सप्लाई चेन में खामी के चलते कई बार खाने की चीज़ों के दाम बढ़ जाते हैं.

 

कहां जाता है बचा खाना ?

 

रॉबिन हुड आर्मी का दावा है कि वे होटलों से एकत्रित किया हुआ खाना झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों तक पहुंचाते हैं.

वैसे सच्चाई यही है कि गैर-सरकारी संस्थाओं के अलावा सरकार भी कई बार खाने की बर्बादी पर चिंता जता चुकी है.

हाल ही में जब केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल अमरीका गईं तो वहां उन्होंने भारत में खाने की बर्बादी रोकने को सरकार की प्राथमिकता बताया.

 

हालांकि आम लोगों की कोशिशों से भी तस्वीर बदल सकती है. इसी साल अगस्त महीने में चेन्नई की एक महिला ईसा फातिमा जैसमिन ने एक ऐसी कोशिश शुरू की है जिससे खाने की बर्बादी कम हो रही है और गरीबों का पेट भी भर रहा है.

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