विश्व हेपेटाइटिस दिवस 2018 | World Hepatitis Day 28 July 2018

विश्व हेपेटाइटिस दिवस 2018 (World Hepatitis Day 2018), हेपेटाइटिस (Hepatitis)के बारे में जागरूकता प्रसारित करने और लोगों को शीघ्र निदान, रोकथाम और हेपेटाइटिस के उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए हर वर्ष 28 जुलाई को मनाया जाता है। हेपेटाइटिस संक्रामक बीमारियों (Infectious diseases) का समूह है, जिसे हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई के रूप में जाना जाता है।

 

विश्व हेपेटाइटिस दिवस के बारे में जानकारी

 

  • यह दिवस वर्ष 2010 से मनाया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा चिह्नित किए गए 8 वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में से एक है.

 

  • मई 2010 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक प्रस्ताव पारित कर यह दिवस मनाने की घोषणा की. इससे पहले क्रोनिक वायरल हैपेटाइटिस (Chronic viral hepatitis) के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए वर्ल्ड हेपेटाइटिस एलायंस (World Hepatitis Alliance) ने वर्ष 2008 में अभियान चलाया था.

 

  • 28 जुलाई प्रोफेसर बारूक ब्लमबर्ग (Professor Baruch Blumberg) का जन्मदिन है, उन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की थी और उन्हें 1976 में फिजियोलॉजी या चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

 

  • विदित हो हेपेटाइटिस ग्रीक शब्द  (Greek word)‘हेपर’ (Hepar) और ‘आईटिस’ (Itis) से बना है. ‘हेपर’ का अर्थ होता है ‘यकृत’ और ‘आईटिस’ का अर्थ है सूजन.

 

  • हेपेटाइटिस के 5 प्रकार के होते हैं हेपेटाइटिस- ए, बी, सी, डी और ई.

 

यह बीमारी हेपेटाइटिस वायरस  (Hepatitis virus )के कारण होती है और इसके अतिरिक्त यह ड्रग्स, शराब, रसायन और अन्य संक्रमण और स्व-प्रतिरक्षित बीमारियों जैसे मादक द्रव्यों (Intoxicants)  की वजह से भी होती है.

 

हेपेटाइटिस क्या है?

 

हेपेटाइटिस लिवर (Hepatitis liver) की सूजन है, जिसे यकृत के ऊतकों में सूजन वाली कोशिकाओं की मौजूदगी से पहचाना जाता हैं। हेपेटाइटिस एक्यूट और क्रोनिक दो प्रकार का होता हैं। एक्यूट हेपेटाइटिस (Acute hepatitis) की अवस्था तब होती हैं, जब यह कम से कम छह महीनों तक रहता है। क्रोनिक हैपेटाइटिस की अवस्था तब होती हैं, जब यह लंबे समय तक बना रहता है। हेपेटाइटिस सीमित या लक्षण रहित हो सकता हैं, लेकिन यह प्राय: पीलिया, आहार में अरुचि (भूख में कमी) और अस्वस्थता/बेचैनी पैदा करता हैं।

 

भारत में हेपेटाइटिस।

 

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र (National Disease Control Center) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2012, भारत में, हैपेटाइटिस वायरल के लगभग एक लाख उन्नीस हज़ार मामलों की सूचना प्राप्त हुयी। हैपेटाइटिस से पीड़ित रोगियों की संख्या वर्ष 2013 में बढ़ गई तथा यह संख्या बढ़कर दो लाख नब्बे हज़ार तक पहुँच गयी।

 

भारत में, हेपेटाइटिस के महामारी वाले रूप का सबसे महत्वपूर्ण कारण हेपेटाइटिस ई वायरस (एचईवी) है तथा हेपेटाइटिस ए वायरस (एचएवी) बच्चों के बीच होना सामान्य है। गर्भावस्था (Pregnancy)  के दौरान, हेपेटाइटिस का सबसे आम कारण एचईवी है। जब संक्रमित व्यक्ति अपनी पुरानी हेपेटाइटिस की अवस्था से अनभिज्ञ होता हैं, तब वह दूसरे व्यक्तियों को लंबे समय तक इस रोग के प्रसारण के माध्यम से संक्रमित कर सकता हैं, जिसके परिणामस्वरूप क्रोनिक लिवर रोग (Chronic liver disease), यकृत की विफलता और कैंसर (cancer) हो सकता है।

 

हेपेटाइटिस के प्रकार

 

हेपेटाइटिस ए वायरस (एचएवी) दूषित भोजन एवं पानी या संक्रमित व्यक्ति (Infected person) के सीधे संपर्क में आने के माध्यम से फैलता है।

 

हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी)

 

संक्रामक रक्त, वीर्य और शरीर के अन्य तरल पदार्थों (जैसे कि स्वास्थ्य देखभाल सुविधा केंद्रों या नशे के इंजेक्शन (Intoxication injection) लगाने वाले व्यक्तियों में सुई और सिरिंजों के पुन: उपयोग या संक्रमित माताओं से जन्म के समय शिशुओं या प्रारंभिक बाल अवस्था में परिवार के सदस्य से शिशु और संक्रमित साथी के साथ यौन संपर्क) के संपर्क में आने से फैलता है।

 

हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी)

 

असुरक्षित इंजेक्शन (Unsafe injection) और बिना परीक्षण किए रक्त एवं रक्त उत्पादों के आधान के माध्यम से फैलता है तथा एचसीवी संक्रमित माताओं से पैदा हुए बच्चे में प्रसारित होता है।

 

हेपेटाइटिस डी वायरस (एचडीवी)

 

संक्रमित व्यक्ति के रक्त या शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क में आने के माध्यम से फैलता है। एचडीवी संक्रमण केवल एक साथ या एचबीवी के साथ उच्च संक्रमण के रूप में प्रकट होता है।

 

हेपेटाइटिस ई वायरस (एचईवी)

 

दूषित पानी या भोजन के उपभोग से फैलता है।

 

हेपेटाइटिस बचाव

 

हेपेटाइटिस बी और सी – बचाव

 

  • सुरक्षित यौन सम्बन्ध
  • हेपेटाइटिस से बचाव के लिए रक्त चढ़ाने के पूर्व रक्त की जांच जरूरी
  • स्टेरलाइज़्ड सुई व सिरिंज का प्रयोग
  • सुरक्षित रक्त चढ़वाना
  • शिशु मैं हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण ज़रूरी
  • हेपेटाइटिस के विषय में युवाओं को जानकारी देना
  • टैटू के लिए नई सुई का प्रयोग

 

हेपेटाइटिस -ए और ई : बचाव

 

  • खाना बनाने व खाने से पहले हाथ धोएं
  • स्वच्छ व ताज़ा भोजन खाएं
  • बाजार के कटे फल व सलाद न खाएं
  • पानी को उबालकर पिएं
  • शौच के बाद हाथों को स्वच्छ पानी व साबुन से अच्छी तरह धोएं

 

हेपेटाइटिस को रोकने के उपाय

 

हेपेटाइटिस ए (A) और बी (B) टीके (Vaccine) बहुत प्रभावी होते हैं। किसी भी संक्रमण से बचने के लिए समय पर टीकाकरण करना बेहतर होता है। यह सुनिश्चित करें कि परिवार में हर कोई बाथरूम जाने (या डायपर बदलने) के बाद और भोजन करने से पहले हाथ धोए। रक्त का कोई भी संपर्क हेपेटाइटिस बी और सी को प्रसारित कर सकता है। इसलिए अगर आप इसके संपर्क में आते हैं तो अच्छी तरह से हाथ धो लें। किसी लाइसेंसधारी पेशेवर द्वारा ही टैटू गुदवाएं। सुइयों और टैटू से हेपेटाइटिस होने का डर रहता है। आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने बताया तीव्र वायरल हेपेटाइटिस के लक्षणों में थकान, फ्लू जैसे लक्षण, गहरे रंग का मूत्र, हल्के रंग का मल, बुखार और पीलिया आदि शामिल हैं। हालांकि, तीव्र वायरल हेपेटाइटिस भी कम लक्षणों के साथ हो सकता है और अज्ञात रह सकता है। कई बार, तीव्र वायरल हेपेटाइटिस (Acute viral hepatitis) बड़े पैमाने पर यकृत संबंधी विफलता का कारण बन सकता है।

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